कोर्ट द्वारा पुलिस जांच के आदेश देने के बाद दैनिक भास्कर प्रबंधकों ने टेके घुटने, भास्कर का यह समझौता मीडिया जगत के लिए बना नजीर
नोएडा । शोषण करने वाले से शोषण सहने वाला बड़ा गुनाहगार होता है। यदि शोषण करने वाले शोषकों का ईमानदारी और लगन से विरोध किया जाये तो अंत में देर सबेर जीत सत्य की ही होती है। मामला नोएडा व लखनउ से प्रकाशित दैनिक भास्कर के हठधर्मी प्रबंधकों से जुडा है। इस संस्थान ने पिछले दिनो अपने बिजनौर ब्यूरोचीफ शहजाद अंसारी को मनमाने ढंग से न केवल बर्खास्त कर उन्हें संस्थान से हटाया था, बल्कि उन्हें हटाये जाने की सूचना भी दैनिक भास्कर के नोएडा एवं लखनउ संस्करण के प्रथम पृष्ठ पर छापकर बेइज्जत करने का प्रयास किया।
शहजाद अंसारी का पारिश्रमिक और विज्ञापन का कमीशन भी प्रबंधकों ने रोक लिया था। एक श्रमजीवी पत्रकार के पास क्षेत्र में उसकी प्रतिष्ठा ही होती है। अगर यह नहीं रहेगी तो उसका पत्रकार बने रहने पर सवालिया निशान लगना लाजमी है। शहजाद ने अपने साथ हो रही इस नाइंसाफी के लिए कई बार प्रबंधकों से शिकायत की, लेकिन मीडिया की सत्ता के नशे में चूर इन करामाती प्रबंधकों पर कोई असर नहीं पड़ा। इसके बाद पत्रकार शहजाद अंसारी ने इस मामले को बिजनौर की कोर्ट में पेश किया तो बिजनौर सीजेएम ने पुलिस को पूरे मामले की जांच के आदेश जारी कर रिपोर्ट 29 अप्रैल तक कोर्ट में पेश करने के लिए कहा।
इस खबर को भड़ास4मीडिया ने अपने 22 मार्च के अंक में बड़ी प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया तो नोएडा से लेकर लखनऊ तक पूरे मीडिया जगत में भास्कर प्रबंधको की थू-थू होने लगी। नोएडा के प्रबंधक किसी भी तरीके के समझौते के लिए तैयार नहीं थे। कोर्ट के जांच संबंधी आदेश की खबर जैसे ही भडास4मीडिया डाट काम में छपी तो नोएडा संस्करण के प्रबंधक भी धरती पर आ गये। पुलिस जांच से घबराये प्रबंधकों ने आनन फानन में शहजाद अंसारी को किसी बिचैलिया के माध्यम से समझौते के लिए तैयार किया।
प्रबंधकों ने न केवल पत्रकार शहजाद अंसारी के साथ समझौता किया, बल्कि इस समझौते के पूरे प्रारूप को दस्तावेज के रूप में दैनिक भास्कर नोएडा संस्करण के 26 अप्रैल के अंक में पेज नम्बर 12 पर प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया है। आप भी देखें-
यह प्रकरण मीडिया जगत के लिए नजीर है। भास्कर जैसे मीडिया हाउस ने इस तरह एक श्रमजीवी पत्रकार के सामने घुटने टेक दिया। यह मामला उन मीडिया घरानों के लिए भी चेतावनी है जो आये दिन पत्रकारों का शोषण करते रहते हैं और पत्रकार चुपचाप इस तरह के शाषण को सहते हैं। बहराल इस पूरे मामले का पटाक्षेप हो गया है। हम उम्मीद करते हैं यदि इसी तरह और पत्रकार भी ईमानदारी के साथ मीडिया की बड़ी मछलियो से लड़ाई लड़ें तो उनकी जीत अवश्य होगी।