Vishnu Rajgadia : जेटली जी तो अब ‘इंटायर जर्नलिज्म’ भी पढ़ाने लगे। कह रहे हैं राजनीतिक दलों को मिली छूट पर लिखने से पहले तथ्य जान लें। तो तथ्य यह है कि सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया, जिससे राजनीतिक दलों के काले धन पर मामूली सी भी चोट हो। जब यह बात सामने आ गई तो जेटली जी तर्क दे रहे हैं कि राजनीतिक दलों को छूट देने का कोई नया नियम अभी नोटबंदी के बाद नहीं बनाया गया है।
यही तो असली सवाल है। नोटबंदी के बाद नागरिकों के लिए जिस तरह के नए कड़े नियम बनाए गए, वैसा एक भी नियम राजनीतिक दलों के खिलाफ क्यों नहीं बनाया गया?
पहले किसी नागरिक या व्यवसायी या अधिकारी को बैंक में कोई भी राशि जमा करने या निकालने पर कोई रोक नहीं थी। आठ नवम्बर को कह दिया कि आपके पास जितने रूपये हों, सारे रुपए बैंक में जमा कर दो। ढाई लाख से ज्यादा हुए, तो आयकर वाले पूछेंगे, तो बता देना कहाँ से आए।
देशी कारोबार का 80 फीसदी नगद पर चलता है। जिस व्यक्ति के पास अपनी बचत, पूँजी, माल के रुपये, भविष्य की जरूरतों के लिए घर में रखे रूपये या महाजन को देने के रूपये हों, उन्हें कहाँ फेंक दे? या बैंक में जमा करके इनकम टैक्स वालों को बुलाए? जन धन खाते में जिनका अकाउंट है, उन्हें 50 हजार की लिमिट कर दी।
Small Saving Account में तो एक गरीब बच्ची का 500 का एकमात्र नोट तक जमा नहीं हो सका। नोटबंदी के बाद का RBI के सर्कुलर में राजनीतिक दलों पर कोई रोक नहीं। नोटबंदी के बाद नागरिकों को 50 हजार और ढाई लाख की सीमा बताई गई राजनीतिक दल के लिए यह सीमा क्या है? 1900 राजनीतिक दल हैं। कोई पार्टी कितने रूपये जमा करेगी तो उसे आयकर विभाग के चक्कर नहीं काटने होंगे?
उन्हें क्यों नहीं डराया गया कि पचास हजार या पचास लाख से ज्यादा जमा करने पर आयकर विभाग को बताना होगा? कोई पार्टी 10000 लोगों से प्रति व्यक्ति 18000 का चंदा नगद में प्राप्त दिखाकर 18 करोड़ जमा कराए, तो किस कानून के तहत रोक देंगे? नहीं रोक सकते। नागरिक या व्यवसायी या अधिकारी को ऐसा कोई चंदा लेकर अपने बैंक में जमा करने की छूट नहीं है। इसलिए वह अपनी ही मेहनत की कमाई को बचाने के लिए परेशान है। जबकि राजनीतिक दल पहले से मिली हुई इस छूट का दुरुपयोग कर सकते हैं। इसलिये यह कहना बचकाना है कि हमने कोई नए नियम नहीं बनाए।
सवाल तो यही है कि अगर काला धन से सचमुच लड़ना है तो राजनीतिक दलों के लिए नए नियम क्यों नहीं बनाए? अब काला धन से असल लड़ाई हम नागरिक ही लड़ेंगे। नोटबंदी के बाद से देश भर में 1900 पार्टियों द्वारा जमा राशि की जानकारी हम RTI से मांगेंगे, तो देश बदलेगा।
लेखक विष्णु राजगढ़िया झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट हैं.