आखिरकार चन्दा कोचर के मामले में किसे बचा रहे है अरूण जेटली? आपने ऐसा कितनी बार सुना है कि सरकार का सबसे ताकतवर केबिनेट मंत्री अपनी ही जांच एजेंसी की खुलेआम आलोचना कर रहा हो? साफ बात यह है कि मामला जो नजर आ रहा उससे कही अधिक पेचीदा है! धोखाधड़ी के मामले में ICICI …
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दागी कोचर के पक्ष में जेटली की बैटिंग!
अभी तक तो विपक्ष के लोग सीबीआई के राजनितिक दुरुपयोग के आरोप लगाते थे लेकिन अब मोदी सरकार में शामिल और अमेरिका में इलाज करा रहे बिना विभाग के मंत्री अरुण जेटली ने सार्वजनिक रूप से आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन लोन फ्रॉड मामले में सीबीआई जांच पर सवाल उठाए हैं और आरोपियों का बचाव किया है। सीबीआई द्वारा …
द टेलीग्राफ में छपी ये खबर- ‘जेटली चुप, टीवी चैनल बचाव में’
Sanjaya Kumar Singh गोदी मीडिया जेटली के बचाव में कूदा… अरुण जेटली-विजय माल्या विवाद में टीवी चैनलों (और अखबारों और सोशल मीडिया पर भक्त पत्रकारों) ने जेटली का बचाव शुरू कर दिया है। माल्या के आरोपों के बाद एक तरफ जेटली ने उनसे मिलना स्वीकार कर लिया दूसरी तरफ कांग्रेस सांसद पीएल पूनिया ने कहा …
जेटली जी तो अब ‘इंटायर जर्नलिज्म’ भी पढ़ाने लगे!
Vishnu Rajgadia : जेटली जी तो अब ‘इंटायर जर्नलिज्म’ भी पढ़ाने लगे। कह रहे हैं राजनीतिक दलों को मिली छूट पर लिखने से पहले तथ्य जान लें। तो तथ्य यह है कि सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया, जिससे राजनीतिक दलों के काले धन पर मामूली सी भी चोट हो। जब यह बात सामने आ गई तो जेटली जी तर्क दे रहे हैं कि राजनीतिक दलों को छूट देने का कोई नया नियम अभी नोटबंदी के बाद नहीं बनाया गया है।
जेटली के लौंडे को कार पार्किंग का तरीका समझाने वाले दिल्ली पुलिस के दो सिपाही सस्पेंड
Anand Sharma : जेटली साहब पूरे देश पर कड़ा टैक्स शिकंजा थोपना चाहते हो पहले अपने गोबर औलाद के पुत्र मोह से निकलो. उस कांस्टेबल से मुआफी मांगो और लौंडे को चौराहे पर जूतों से पीटों ताकि तुम बाप बेटों का अहंकार तुम्हारे सड़े दिमाग से निकले…..साले औलाद को पार्किंग की तमीज सीखा नहीं पाए पूरे देश को ईमानदारी सिखाएंगे….ब्लडी इम्पोस्टर….loser…. लीच
पीटीआई के नए संपादक के लिए जेटली की सिफारिश डस्टबिन में गई
Sanjaya Kumar Singh : कई बार विस्तार प्राप्त कर चुके समाचार एजेंसी पीटीआई के संपादक आखिरकार रिटायर हो रहे हैं और पीटीआई बोर्ड, इस एजेंसी चलाने के लिए प्रशासक नहीं, संपादक तलाश रहा है। इस खबर को पढ़िए आप समझ जाएंगे कि देश की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी कितनी गंभीरता से चल रही है। इसकी हिन्दी सेवा ‘भाषा’ के संपादक कुमार आनंद हुआ करते थे और उनके इस्तीफा देने के बाद से भाषा के संपादक का भी पद वर्षों से खाली पड़ा है।
जेटली का चाबुक और मीडिया घरानों का घुटने टेकना… : चौथे खंभे का ‘आपरेशन’ शुरू
: इमरजेंसी के विद्याचरण भी पानी मांगे : वित्तमंत्री अरुण जेटली नये प्रयोगकर्ता के तौर पर सामने आए हैं। उन्होंने डीडीसीए में अगर ‘चारा मॉडल’ को आगे बढ़ाया है। तो सूचना प्रसारण मंत्रालय के जरिये ‘लोकतंत्र में इमरजेंसी’ का नया माडल दिया है। जेटली जी ने छह महीने के भीतर ही चौथे खंभे की ऐसी कमर तोड़ी है कि फिर से उठने में उसे सालों लग जाएंगे। यह सब कुछ सरकारी कोड़े से संभव हुआ है। जेटली की चाबुक क्या चली एक-एक कर सारे मीडिया घराने घुटने टेक दिए। विरोध जताने वाले सरकारी कहर का सामना कर रहे हैं। पत्रकारिता का यह हाल उन जेटली साहब ने किया है जो इमरजेंसी की पैदाइश हैं। सरकारी शिकंजा ऐसा है कि संजय गांधी और विद्याचरण शुक्ल की जोड़ी भी शरमाने लगे।
जेटली साहब ज़रा अपने दूरदर्शन को भी देखिए, वो सरकारी भोंपू बना हुआ है
Mukesh Kumar : अरूण जेटली ने सही फरमाया है कि चैनलों की चर्चाएं शोरगुल और उत्तेजना से भरी होती हैं। उन्होंने ये समझाइश भी ठीक ही दी है कि उन्हें इस पर विचार करना चाहिए यानी सुधारना चाहिए। भला कौन उसे असहमत होगा, क्योंकि सभी चैनलों की चर्चाओं से त्रस्त हैं। लेकिन जेटली साहब ज़रा अपने दूरदर्शन को भी देख लिया कीजिए। वो किस कदर एक पक्षीय और सरकारी भोंपू बना हुआ है। उसे तथ्यों-कथ्यों से कुछ लेना-देना नहीं होता, बस सरकार का अंधाधुंध प्रचार और विपक्षियों के खिलाफ़ निंदा अभियान। आखिर प्रसार भारती का गठन इसलिए तो नहीं किया गया था। अगर जेटली सचमुच में भारतीय मीडिया के चरित्र को लेकर चिंतित हैं और उसमें बदलाव चाहते हैं तो शुरूआत प्रसार भारती से ही करें। उसे मुक्त करें और समूचे मीडिया के लिए रोल मॉडल बनने दें। अगर नहीं कर सकते तो ये पाखंड उनको शोभा नहीं देता।
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भक्तों की भाषा पर वर्षों चुप-शांत रहे अरुण जेटली अब केजरीवाल को भाषा संबंधी सीख दे रहे हैं
Sanjaya Kumar Singh : अरुण जेटली का महत्त्व… लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जब नरेन्द्र मोदी अनोखे और बाद में जुमले घोषित किए जा चुके दावे कर रहे थे तो पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा था कि नरेन्द्र मोदी का आर्थिक ज्ञान रसीदी टिकट के पीछे लिखे जाने भर है। नरेन्द्र मोदी ने यह कहकर इसका जवाब दिया था कि वे जानकारों के सहयोग से सरकार चलाएंगे। ऐसे में वित्त मंत्री कौन होता है यह महत्त्वपूर्ण था और जब अरुण जेटली का नाम सार्वजनिक हो गया तो समझ में आ गया कि राजा की जान किस तोते में है।
अखबार के मालिक को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भेजा नोटिस
Deepak Sharma : अखबार के मालिक के खिलाफ ED का नोटिस. मालिक ने अखबार के सम्पादक को नोटिस यानी जांच खत्म करवाने की ज़िम्मेदारी दी. संपादक ने ये काम बिजनेस ब्यूरो चीफ को सौंपा. ब्यूरो चीफ ने फाइनेंस सेक्रेटरी से जांच रुकवाने के सिफारिश की. फाइनेंस सेक्रटरी ने ब्यूरो चीफ से कहा कि एक बार वित्त मंत्री से भी बात कर लें. बिना मंत्री के ED जांच नही रोकेगा. वित्त मंत्री ने ब्यूरो चीफ को मिलने का वक़्त नही दिया.
Jurnos urge Jaitley for wage board for TV employees
Electronic Media Forum Assam (EMFA), while congratulating Arun Jaitley for being bestowed the responsibility of Information & Broadcasting ministry (under GoI), urges him for initiating a separate wage board for the employees of privately owned television channels of India. Prime Minister Narendra Modi on November 10 in New Delhi distributed the portfolios of his expanded Union cabinet, where Jaitley has been given the Information & Broadcasting (I&B) ministry in addition to Finance and Corporate Affairs.