यूपी के सीतापुर जिले से खबर है कि हिंदुस्तान अखबार के ब्यूरो चीफ जीशान पर एफआईआर दर्ज हो गया है.
जीशान पर आरोप है कि उन्होंने एक घर में घुसकर सामान फेंका, दीवाल तोड़कर निर्माण करवाया और विरोध करने पर हमला कर दिया.
देखें पूरी कहानी क्या है-
उधर, जीशान पक्ष के लोगों ने भी आरोप लगाने वालों पर एफआईआर दर्ज कराया है. इसमें जीशान पक्ष के लोगों ने आरोप लगाया है कि मकान मरम्मत कराते समय शुभम लवकुश आदर्श आदि लोग आए और बिना पैसा दिए निर्माण कार्य कराने पर गाली गलौज के साथ मारपीट करने लगे. देखें क्या कुछ लिखा है-
इस पूरे प्रकरण पर जीशान क़दीर का पक्ष यूँ है-
भड़ास पर मेरे से संबंधित खबर अधूरी है। मैं जीशान कदीर बीते 23 साल से अखबारी दुनिया से जुड़ा हुआ हूं। मेरे पिता जी स्र्व. श्री एसएस कदीर जिले के वरिष्ठ पत्रकार और अधिवक्ता रहे हैं। मैं वर्ष 2008 से हिन्दुस्तान अखबार में कार्यरत हूं। मैने जिले के एक स्थान पर महिला श्रीमती राजुल मेहरोत्रा से एक मकान क्रय किया था। जिसकी रजिस्ट्री के बाद नगर पालिका में दाखिल खारिज कराया और पालिका के सारे टैक्स भी नियमत: जमा किये।
इसके एक कमरे पर अवैध कब्जेदारी थी। जिसको लेकर मैं तीन महीने से लगातार पुलिस और प्रशासन से शिकायतें करता रहा हूं। दिनांक 28 दिसंबर को मकान की मरम्मत कराने के लिए उपजिलाधिकारी और नगर मजिस्ट्रेट को संज्ञानित किया था, उनके अवलोकन के पश्चात ही मरम्मत का कार्य कराया जा रहा है। ऐसे कब्जेदार पक्ष ने इमारत में आकर हंगामा किया।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पांच-सात लोगों को पकड़ा। इस मामले में एक अभियोग मेरे भाई ने कोतवाली नगर में दर्ज कराया। चंद घण्टे के भीतर कुछ लोग साजिश के तहत कब्जेदारों के समर्थन में आ गए, और जबरन दबाव बनाकर मुझे ही नहीं संस्था को बदनाम करने की साजिश के उद्देश्य से जबरन अभियोग दर्ज कराया। तब जबकि मेरा उसे विवाद से कोई सरोकार नहीं था। पुलिस ने जांच की और जिसमें आरोप निराधार पाया गया। ऐसे में दोनों पक्षों की ओर से केस बंद किया गया।
उधर पुलिस और प्रशासन की जांच में ये बात कब्जेदार पक्ष ने स्वीकार की, कि उक्त मकान मेरे द्वारा खरीदा जा चुका है। जिसका हलफनामा पुलिस और प्रशासन को दिया गया। उक्त प्रकरण पहले ही खत्म हो चुका है। लेकिन कुछ लोग साजिश के तहत मुझे और मेरी संस्था को बदनाम करना चाहते हैं। वे नहीं चाहते हैं कि कोई ईमानदार कार्य करता रहे। मैं अपने सारे दस्तावेज इस पत्र के साथ संलग्न कर रहा हूं।
एक घर मेरा पैतृक शहरी क्षेत्र में है। इसके अलावा एक फिट जमीन मेरे परिवार के पास नहीं है। पैतृक मकान को गिरवी रखकर इस प्रापर्टी को खरीदा था ताकि सिर छुपाने की जगह मिल जाए और मेरे बच्चे सहूलियत से रह सके। मेरा जो पैतृक मकान है वो पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। 23 साल के कैरियर में मेरे पास एक पुरानी मोटर साइकिल के अलावा कुछ भी नहीं है। एक अकाउण्ट यूनियन बैंक में है, कहियेगा तो उसका एक साल का स्टेटमेण्ट निकालकर आपको प्रेषित कर दूंगा कि किस तरह से अपना परिवार चला रहा हूं। बस यही ईमानदारी काफी लोगों को रास नहीं आ रही है। इसमें कुछ अपने तबके के लोग भी शामिल हैं। मेरा कैरियर तो डिस्टर्व हो गया है लेकिन मैं अब लिखूंगा और निवेदन है कि सच्चाई को परखकर आप भी जरूर लिखियेगा, क्योंकि कैरियर बनाने में युग बीत जाते हैं। और साजिश रचने में तमाम से परिवार बिखर जाते हैं।
ज़ीशान क़दीर
January 1, 2022 at 7:48 pm
आदरणीय यशवंत सर,
आपके द्वारा पोस्ट की गई खबर पर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं। दरअसल जो आप द्वारा खबर पोस्ट की गई वो अधूरी है। मैं जीशान कदीर बीते 23 वर्षाें से अखबारी दुनिया से जुड़ा हुआ हूं। मेरे पिता जी स्र्व. श्री एसएस कदीर जिले के वरिष्ठ पत्रकार और अधिवक्ता रहे हैं। मैं वर्ष 2008 से हिन्दुस्तान अखबार में कार्यरत हूं। मैने जिले के एक स्थान पर महिला श्रीमती राजुल मेहरोत्रा से एक मकान क्रय किया था। जिसकी रजिस्ट्री के बाद नगर पालिका में दाखिल खारिज कराया और पालिका के सारे टैक्स भी नियमत: जमा किये। इसके एक कमरे पर अवैध कब्जेदारी थी। जिसको लेकर मैं तीन महीने से लगातार पुलिस और प्रशासन से शिकायतें करता रहा हूं। दिनांक 28 दिसंबर को मकान की मरम्मत कराने के लिए उपजिलाधिकारी और नगर मजिस्ट्रेट को संज्ञानित किया था, उनके अवलोकन के पश्चात ही मरम्मत का कार्य कराया जा रहा है। ऐसे कब्जेदार पक्ष ने इमारत में आकर हंगामा किया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पांच-सात लोगों को पकड़ा। इस मामले में एक अभियोग मेरे भाई ने कोतवाली नगर में दर्ज कराया। चंद घण्टे के भीतर कुछ लोग साजिश के तहत कब्जेदारों के समर्थन में आ गए, और जबरन दबाव बनाकर मुझे ही नहीं संस्था को बदनाम करने की साजिश के उद्देश्य से जबरन अभियोग दर्ज कराया। तब जबकि मेरा उसे विवाद से कोई सरोकार नहीं था। पुलिस ने जांच की और जिसमें आरोप निराधार पाया गया। ऐसे में दोनों पक्षों की ओर से केस बंद किया गया। उधर पुलिस और प्रशासन की जांच में ये बात कब्जेदार पक्ष ने स्वीकार की, कि उक्त मकान मेरे द्वारा खरीदा जा चुका है। जिसका हलफनामा पुलिस और प्रशासन को दिया गया। उक्त प्रकरण पहले ही खत्म हो चुका है। लेकिन कुछ लोग साजिश के तहत मुझे और मेरी संस्था को बदनाम करना चाहते हैं। वे नहीं चाहते हैं कि कोई ईमानदार कार्य करता रहे। मैं अपने सारे दस्तावेज इस पत्र के साथ संलग्न कर रहा हूं। क्योंकि आप एक सच्चे पत्रकार और तमाम लोगों को आईना दिखाते रहे हैं। रही बात मेरी तो मैं आप जैसे लोगों से प्रेरित होकर ही समाज में लगातार प्रयासरत हूं। अगर आप चाहे तो अपने स्तर से मेरे कैरियर और मेरे द्वारा किये कार्याें के बारे में जानकारी कर सकते हैं। एक घर मेरा पैतृक शहरी क्षेत्र में है। इसके अलावा एक फिट जमीन मेरे परिवार के पास नहीं है। पैतृक मकान को गिरवी रखकर इस प्रापर्टी को खरीदा था ताकि सिर छुपाने की जगह मिल जाए और मेरे बच्चे सहूलियत से रह सके। मेरा जो पैतृक मकान है वो पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। 23 साल के कैरियर में मेरे पास एक पुरानी मोटर साइकिल के अलावा कुछ भी नहीं है। एक अकाउण्ट यूनियन बैंक में है, कहियेगा तो उसका एक साल का स्टेटमेण्ट निकालकर आपको प्रेषित कर दूंगा कि किस तरह से अपना परिवार चला रहा हूं। बस यही ईमानदारी काफी लोगों को रास नहीं आ रही है। इसमें कुछ अपने तबके के लोग भी शामिल हैं। मेरा कैरियर तो डिस्टर्व हो गया है लेकिन मैं अब लिखूंगा और निवेदन है कि सच्चाई को परखकर आप भी जरूर लिखियेगा, क्योंकि कैरियर बनाने में युग बीत जाते हैं। और साजिश रचने में तमाम से परिवार बिखर जाते हैं। सारे दस्तावेज आपके व्हाट्सएप पर प्रेषित कर दिए हैं।
सादर- सूचनार्थ
जीशान कदीर