प्रभात खबर, भागलपुर के स्थानीय संपादक जिवेश रंजन सिंह का तबादला रांची कर दिया गया है. वे सेंट्रल डेस्क पर भेजे गये हैं, जबकि यहां सेंट्रल डेस्क का काम देख रहे ब्रजेंद्र दुबे को रेजीडेंट एडीटर बनाकर भागलपुर भेजा गया है. श्री दुबे अगले कुछ दिनों में पदभार ग्रहण करेंगे.
उधर, नैनीताल से खबर है कि “आजतक” न्यूज चैनल के अल्मोड़ा संवाददाता गितेश त्रिपाठी को उत्तराखंड श्रमजीवी पत्रकार यूनियन की अल्मोड़ा जनपद इकाई का जिला संयोजक मनोनीत किया गया है। उत्तराखंड श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के प्रांतीय महासचिव प्रयाग पाण्डे की ओर से जारी पत्र में गितेश त्रिपाठी को अल्मोड़ा जनपद में उत्तराखंड श्रमजीवी पत्रकार यूनियन की नए सिरे से यूनियन की समयबद्ध सदस्यता अभियान चलाकर आगामी एक माह के भीतर अल्मोड जनपद में उत्तराखंड श्रमजीवी पत्रकार यूनियन की नई जिला इकाई का विधिवत चुनाव कराने की जिम्मेदारी सौपी गई है।
Comments on “जिवेश रंजन और ब्रजेंद्र दुबे का तबादला, गितेश त्रिपाठी को नया कार्यभार”
अरे, लगता है गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे जी अपना आदमी देवघर व भागलपुर के प्रभात खबर पर काबिज करवाना चाहते हैं। देवघर में एक संपादक को तो पहले ही सांसद के खिलाफ न्यूज छापने पर तबादला कर दिया गया था। अब जिवेश जी भी निकल लिये। कोई बात नहीं, जो सांसद चाहेंगे वहीं संपादक रहेगा, भागलपुर में भी और देवघर प्रभात खबर में भी।
एक पुरानी कहावत है कि ” सैया भये कोतवाल तो डर काहेका”रांची के एक दैनिक अख़बार के बड़े पत्रकार के अनुज भाई 34वे राष्ट्रिय खेल (NGOC) के करोड़ो रुपये घोटाले के प्रमुख आरोपी है क्यों की राष्ट्रिय खेल आयोजन समिति के कोषाअध्यक्ष थे और करोड़ो का घोटाले किय।इस प्रमाणित घोटाले में कई संलिप्त छोटे पदाधिकारी अभी जेल की हवा खा रहे है लेकिन प्रमुख अभियुक्त कोषाअध्यक्ष पर पुलिस हाथ नहीं डाल पा रही है।विश्वस्त सूत्रों को माने तो खबरों को आन्दोलन बनाने वाले बड़े पत्रकार जो प्रधान संपादक के चहेते भी है आज अपने अनुज भाई को बचाने के लिय झारखण्ड के मुख्य मंत्री के आवास के चक्कर काट रहे है जिस में मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार भी शामिल है। ऐसा भी सुनने में आया है की इस बड़े घोटाले में कोषाअध्यक्ष ने बड़े भाई का भी ध्यान रखा है क्यों की घोडा घास से यारी थोड़े करेगा। क्या मुख्यमंत्री डील करेंगे या “न खाउगा न ही खाने दूंगा” के सिद्धांत का पालन करेंगे यह तो इस केस की करवाई से पता चल जायेगा।
इस सम्बन्ध में विशेष जानकारी हेतु दैनिक जागरण;रांची 16 सितम्बर की प्रकाशित समाचार को पढेगे तो पुष्टि हो जाएगी की कैसे बड़े पत्रकार तिल को ताड़ बनाने वाले अपने अनुज भाई को बचाने के लिय समाचार को ही खा गए ? वाह रे नैतिकता वाह रे खबरों का आन्दोलन…जय हो भाई वाद।