Connect with us

Hi, what are you looking for?

वेब-सिनेमा

भारतीय पत्रकार दीपिका नारायण की डॉक्यूमेंट्री India’s Sons की ताइवान में स्क्रीनिंग

Deepika Narayan Bhardwaj – Indian journalist, Documentary film-maker and men’s rights activist

मदन मोहन सोनी-

दीपिका नारायण भारद्वाज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। एक पत्रकार, फिल्म निर्माता और पुरुष अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली एक कार्यकर्ता के तौर पर पूरी दुनिया उन्हें जानती हैं। दीपिका नारायण भारद्वाज की डॉक्यूमेंट्री फिल्म इंडियाज संस……टेल ऑफ फॉल्स रेप केस सवाईवस (India’s Sons) की ताइवान इनोसेंस फिल्म फेस्टिवल में स्क्रिनिंग हो रही है। इस फिल्म में भारत में रेप के झूठे मामलों की वजह से पुरुषों की स्थिति को बताया गया है।

यह इस फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्षित हो रही दुनिया भर की 13 वृत्ति चित्रों में से एक है। इस डॉक्यूमेंट्री में उन बेगुनाह लोगों के दर्द को बयां किया गया है जिसने बिना किसी गुनाह के जेल की सजा भुगती है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पुरुषों के उत्पीड़न के खिलाफ लगातार आवाज बुंलद करने वाली दीपिका नारायण भारद्वाज अपनी डॉक्यूमेंट्री के जरिए भी इन समस्याओं को उठाती रही है। वह पुरुषों पर लगने वाले यौन उत्पीड़न के फर्जी मामलों के खिलाफ हमेशा संघर्षरत रहती हैं। इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में दीपिका ने उन मासूम पुरुषों के दर्द को दिखाने की कोशिश की है जिन्होंने रेप नहीं किया लेकिन रेप के आरोप में उन्हें जेल में गुमनामी की जिंदगी गुजारनी पड़ी।

दीपिका ने इस डॉक्यूमेंट्री में यह दिखाया है कि किस तरह से बड़ी संख्या में पुरुषों ने बिना किसी गुनाह के अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण पल जेल में बिता दिए। उन्हें कैदी बनकर गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर होना पड़ा। इस दौरान जो जलालत, दर्द और तकलीफों से वो गुजरे हैं, इसका जिम्मेदार कौन !

डॉक्यूमेंट्री में अभिनेता करन ओबेरॉय आप-बीती सुनाते हुए बताते हैं कि किस तरह से उन पर झूठे आरोप लगाए गए हैं। यह फिल्म हमारे देश की न्याय व्यवस्था के अंदर व्याप्त खामियों पर भी सवालिया निशान खड़े करता है। एक पक्ष यानी पुरुषों के पक्ष की सिर्फ इस वजह से उपेक्षा की जाती है ताकी महिला पक्ष को इंसाफ मिल सके।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसके अलावा यह फिल्म हमारे देश की अदालतों में चल रहे यौन उत्पीड़न के फर्जी मामलों की ओर भी ध्यान आकृष्ट कराती है। फिल्म में दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के चुनिंदा हिस्सों में महिलाओं द्वारा किए गए रेप के झूठे केस से प्रभावित लड़कों और पुरुषों की कहानियों को दिखाया गया है।

फिल्म की निर्देशिका दीपिका नारायण भारद्वाज जानकारी देते हुए कहती हैं कि महिलाओं की सुरक्षा होनी चाहिए लेकिन इसके लिए पुरुषों से बदला नहीं निकाला जाना चाहिए। रेप का फर्जी मुकदमा बदला लेने का हथियार बन गया है और इससे कई पुरुषों की जिंदगियां बर्बाद हुई है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

दीपिका नारायण भारद्वाज काफी लंबे अरसे से पुरुषों के अधिकारों के लिए काम करती आ रही हैं। दीपिका का मानना है कि पुरुषों की भी अपनी गरिमा और सम्मान होती है। उस पर भी सोचने की जरुरत है। पुरुष कोई डिस्पोजेबल आइटम नहीं है जिसे इस्तेमाल कर के फेंक दिया जाए। पुरुषों को महिला सुरक्षा की बलि वेदी पर नहीं चढ़ाया जा सकता। दीपिका कहती हैं कि पुरुष भी महिलाओं की तरह ही इंसान हैं। वो भी नागरिक हैं। उनके अधिकारों के लिए बात करना महिलाओं के अधिकार जितना ही है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement