कन्हैया शुक्ला-
हल्द्वानी के उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में अमर उजाला के पत्रकार नवीन सक्सेना की पत्नी रश्मि सक्सेना को बिना योग्यता के असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त कर दिया गया है। उनके पास असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की अनिवार्य योग्यता यूजीसी-नेट और पीएचडी की डिग्री नहीं है।
कमाल की बात यह भी है कि उनकी नियुक्ति ऐसे पद पर की गई है जिस विषय की उनके पास डिग्री ही नहीं है। इस पद के लिए कोई विज्ञापन भी नहीं निकला था।
हाल ही में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने असिस्टेंट प्रोफेसर (अकेडमिक कंसल्टेंट) के 46 पदों पर भर्तियां की हैं. इनमें से शिक्षाशास्त्र विद्याशाखा में तीन पद विज्ञापित किये गये थे। दो पद शिक्षाशास्त्र विभाग में एक पद विशिष्ट शिक्षा में विज्ञापित किया गया था। नियमों के अनुसार शिक्षा शास्त्र विभाग में नियुक्ति के लिए नेट या पीएचडी अनिवार्य है।
विशिष्ट शिक्षा में रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया (आरसीआई) के नियमों के अनुसार नेट या पीएचडी न होने पर भी उम्मीदवार की नियुक्ति की जा सकती है। लेकिन यह कोई नियम नहीं है कि नेट या पीएचडी उम्मीदवार होने के बाद भी धांधली करते हुए सिर्फ़ एमएड की डिग्री वाले की नियुक्ति कर दी जाए।
संबंधित मामले में विशिष्ट शिक्षा विभाग में एक पद के लिए विज्ञापन दिया गया था। एक पद पर उम्मीदवार का चयन भी हो गया। लेकिन बिना विज्ञापन के एक और पद पर पत्रकार नवीन सक्सेना की पत्नी रश्मि सक्सेना को नियुक्त कर दिया गया। इस पद पर नियमानुसार सिर्फ विशिष्ट शिक्षा में मास्टर डिग्री प्राप्त उम्मीदवार का ही चयन हो सकता था। रश्मि सक्सेना के पास विशिष्ट शिक्षा में कोई डिग्री नहीं है। वे सिर्फ़ बीएड और एमएड हैं। उन्होंने नेट या पीएचडी की परीक्षा भी पास नहीं की है।
शिक्षाशास्त्र विद्याशाखा के इंटरव्यू में बड़ी संख्या में नेट और पीएचडी डिग्री प्राप्त उम्मीदवार आये थे। लेकिन उनकी नियुक्ति न कर राजनीतिक पहुंच रखने वाले लोगों नियुक्ति कई सवाल खड़े करती है। कहा जाता है कि शिक्षा शास्त्र विद्याशाखा में इससे पहले भी अधिकांश नियुक्तियां अवैध तौर पर की गई हैं। इसमें विद्याशाला के निदेशक बनाये गये व्यक्ति के पास ही पद पर बने रहने के लिए अनिवार्य योग्यता नहीं है।
अमर उजाला के पत्रकार नवीन सक्सेना लंबे अरसे से शिक्षा विभाग कवर कर रहे थे। बाद में उनको डेस्क पर स्थानांतरित कर दिया गया। सत्ताधारी पार्टी से उनके ताल्लुकात जग जाहिर हैं।
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति ओम प्रकाश नेगी पर उनके कार्यकाल के दौरान बड़ी संख्या में अवैध नियुक्ति कर बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ताओं को भर्ती करने के आरोप हैं। आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में हुई भर्तियों में बिना अनिवार्य अर्हता के शिक्षकों की भर्तियां की हैं। पत्रकार की पत्नी की अवैध भर्ती करने के बाद उनके भ्रष्टाचार पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय मीडिया भी उनके कारनामों पर पर्दा डालता रहता है।
इस प्रकरण पर पति पत्नी दोनों ने भड़ास के मैसेज का रिप्लाई नहीं दिया जिसमें उनसे उनका पक्ष माँगा गया है।
गुणानंद जख़मोला-
एक पत्रकार की पत्नी को नौकरी क्या मिली, हंगामा हो गया
- बेचारी ने कोर्स बंद होने से बचा लिया, क्या बुरा किया?
- 400 टीचरों के तबादले हो गये, करोड़ों का खेल हुआ, एक पत्ता भी नहीं हिला
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में एक प्रमुख अखबार के शिक्षा बीट देख रहे पत्रकार की पत्नी को असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी मिल गयी। इसके बाद से ही पत्रकार बिरादरी और शिक्षा जगत में खलबली है। कहा जा रहा है कि वह इस पद के योग्य नहीं थी। बताओ, क्या यह योग्यता नहीं कि वह पत्रकार की पत्नी है और बकायदा पढ़ी-लिखी भी है। सबसे अहम बात यह है कि पूरे उत्तराखंड में जब इस पद के लिए तीसरा कोई अन्य योग्य टीचर नहीं मिला तो पत्रकार की पत्नी मिल गयी तो सब उसके पीछे पड़ गये। क्या पत्रकार होना गुनाह है?
कहा जा रहा है कि पत्रकार की पत्नी के पास असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की अनिवार्य योग्यता यूजीसी-नेट और पीएचडी की डिग्री नहीं है। बात यह भी है कि उनकी नियुक्ति ऐसे पद पर की गई है जिस विषय की उनके पास डिग्री ही नहीं है। इस पद के लिए कोई विज्ञापन भी नहीं निकला था। बेकार में लोग इस नियुक्ति पर सवाल उठा रहे हैं। विवि ने असिस्टेंट प्रोफेसर (अकेडमिक कंसल्टेंट) के 46 पदों पर भर्तियां की हैं. इनमें से शिक्षाशास्त्र विद्याशाखा में तीन पद विज्ञापित किये गये थे। दो पद शिक्षाशास्त्र विभाग में एक पद विशिष्ट शिक्षा में विज्ञापित किया गया था। नियमों के अनुसार शिक्षा शास्त्र विभाग में नियुक्ति के लिए नेट या पीएचडी अनिवार्य है। विशिष्ट शिक्षा में रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया (आरसीआई) के नियमों के अनुसार नेट या पीएचडी न होने पर भी उम्मीदवार की नियुक्ति की जा सकती है। लेकिन यह कोई नियम नहीं है कि नेट या पीएचडी उम्मीदवार होने के बाद भी धांधली करते हुए सिर्फ़ एमएड की डिग्री वाले की नियुक्ति कर दी जाए। संबंधित मामले में विशिष्ट शिक्षा विभाग में एक पद के लिए विज्ञापन दिया गया था. एक पद पर उम्मीदवार का चयन भी हो गया। लेकिन बिना विज्ञापन के एक और पद पर पत्रकार की पत्नी को नियुक्त कर दिया गया। इस पद पर नियमानुसार सिर्फ विशिष्ट शिक्षा में मास्टर डिग्री प्राप्त उम्मीदवार का ही चयन हो सकता था। पत्रकार की पत्नी के पास विशिष्ट शिक्षा में कोई डिग्री नहीं है। वे सिर्फ़ बीएड और एमएड हैं। उन्होंने नेट या पीएचडी की परीक्षा भी पास नहीं की है।
मैंने वीसी ओमप्र्रकाश नेगी से बात की। उनका कहना है कि नियुक्ति नियमानुसार हुई है। चार सदस्यीय पैनल ने की है। हर कोर्स में तीन असिस्टेंट प्रोफेसर जरूरी हैं। दो थे, तीसरा नहीं होता तो कोर्स बंद हो जाता। सही बात है वैसे भी महज 6 महीने की नौकरी है। इस पर हंगामा क्यों?
प्रदेश में शिक्षा विभाग में थोक भाव में तबादले हुए। सूत्रों के मुताबिक एक टीचर से तीन से पांच लाख लिए गये तो इस आधार पर करोड़ों का खेल हुआ है। लेकिन सब चुप बैठे हैं। सबके मुंह में दही जमी हुई है। पत्रकार की पत्नी को 6 महीने के लिए जॉब क्या मिली, सब चिल्ला रहे हैं। आखिर क्यों?
फैसल खान
July 30, 2023 at 3:30 pm
जखमोला साहब की पुरानी यारी दोस्ती है शायद अमर उजाला के पत्रकार से जो भडास पर भी निभाई जा रही है,अरे जो बात सच होगी लोग तो कहेंगे ही,पत्रकार की घरवाली है तो प्रधानमंत्री है किया?
Anil Bharadwaj
July 31, 2023 at 12:56 am
Kya Patrkar ki Bibi hona gunah hai…Appoitmen t as per law hua hai .