लखनऊ : मुख्यमंत्री तक की सुरक्षा को खतरा पहुंचा सकते हैं राज्य मुख्यालय से मान्यता प्राप्त लगभग चार दर्जन पत्रकार. पत्रकारों को राज्य मुख्यालय की मान्यता देने की जिम्मेदारी संभालने वाले एक सहायक सूचना निदेशक की गड़बड़ी व भ्रष्टाचार से और भी कई खतरे पैदा हो सकते हैं. खबर है कि राज्य मुख्यालय की मान्यता पाने वाले 46 पत्रकारों की पूरी पत्रावली ही विभाग से गायब है. इनके बारे में कोई जानकारी विभाग के पास उपलब्ध नहीं है कि इन लोगों ने किस आधार पर मान्यता प्राप्त की. ये लोग क्या करते हैं.
अब तक पत्रकारों को राज्य मुख्यालय की मान्यता देने तथा सचिवालय पास जारी करने का जिम्मा एक ऐसे सहायक सूचना निदेशक के पास था, जो खुद को स्वामी कहलवाना पसंद करता था. इसके पास हर समय फर्जी पत्रकारों की भीड़ जमा रहती थी, जो स्वामी जी का गुणगान किया करते थे. स्वामी जी अपनी जिम्मेदारी सूचना विभाग के कार्यालय में बैठकर निपटाने की बजाय विधानसभा के प्रेस रूम में बैठकर निपटाते थे. नियमों के विपरीत वहीं से कार्ड बांटा करते थे.
इन्होंने स्टाफ रजिस्टर में भी कई खेल किए हैं. बताया जा रहा है कि ये पूर्व सूचना निदेशक प्रभात मित्तल डिप्टी डाइरेक्टर का खास माना जाता था. स्वामी के कहे बिना मान्यता और सचिवालय पास से जुड़े कामों का एक पत्ता भी नहीं हिलता था. आरोप है कि जो लोग इसको लाभ नहीं पहुंचाते थे, वो उनका कोई भी काम नहीं करता था. स्वामी जी सूचना विभाग में बड़ा खेल कर गए हैं. इन पर आरोप लगा है कि ये कम से कम 46 पत्रकारों के मान्यता फर्जी तरीके से कर गए हैं. इन पत्रकारों की मान्यता सीधे-सीधे हो गई है. इसलिए विभाग के पास इनसे जुड़ी पत्रावलियां नहीं हैं.
सूचना विभाग से जुड़े लोग दबी जुबान से आरोप लगाते हैं कि यह डिप्टी डाइरेक्टर पैसे लेकर फर्जी पत्रकारों समेत तमाम लोगों को मान्यता दिलाता था और सचिवालय का पास जारी करवाता था. पिछले दिनों भी कई ऐसे मामले खुले जिनमें आरोपी फर्जी सचिवालय कार्ड के साथ पकड़े गए थे. बताया जा रहा है कि इन सब की जांच के बाद कई शिकायतें सामने आईं. अब विभाग जांच कर रहा है कि राज्य मुख्यालय की मान्यता देने और सचिवालय पास में क्या क्या खेल हुआ है. फिलहाल विभाग की पहली प्राथमिकता गायब पत्रावलियां ढूंढने की है.
विभागीय सूत्रों का कहना है कि स्वामी के खिलाफ काफी सारी शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद पहले इससे सचिवालय पास एवं राज्य मुख्यालय की मान्यता से जुड़ी जिम्मेदारी ली गई. अब इसका तबादला बस्ती जिले के लिए कर दिया गया है. तमाम शिकायतें मिलने के बाद ही प्रमुख सचिव सूचना नवनीत सहगल ने उक्त कार्रवाई की थी. सूत्रों का कहना है कि डिप्टी डाइरेक्टर का तबादला रूकवाने के लिए उसके पास हर समय मौजूद रहने वाले तथा एक महिला पत्रकार से बदतमीजी करने के आरोपी पत्रकार भी गए थे, लेकिन सहगल ने कोई हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.
अब राज्य मुख्यालय की मान्यता से जुड़ी तथा सचिवालय पास जारी करने की जिम्मेदारी अलग-अलग अधिकारियों को दी गई है. राज्य मुख्यालय की मान्यता से जुड़े मामले को देखने की जिम्मेदारी सूचना विभाग के डिप्टी डाइरेक्टर डा. अशोक कुमार शर्मा को दी गई है, जबकि सचिवालय पास से जुड़ी जिम्मेदारी डिप्टी डाइरेक्टर दिनेश कुमार गुप्ता को सौंपी गई है. उक्त दोनों अधिकारियों की गिनती सूचना विभाग के कुछ ईमानदार अधिकारियों में की जाती है. फिलहाल ये लोग गायब पत्रावलियों की जानकारी जुटाने में लगे हुए हैं.