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सर् न कहे जाने पर त्यागी तुनक जाते थे!

हर्ष कुमार-

कार्य संस्कृति : अगर आप चाहते हैं कि आपको जूनियर्स से सम्मान मिले तो आपको अपने सीनियर्स का सम्मान करना होगा और जूनियर्स से प्यार से बात करनी होगी।

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मेरठ में एक बड़े धुरंधर पत्रकार साथी थे (त्यागी सरनेम था), अब पता नहीं कहां हैं? वे अक्सर जूनियर्स से ये उम्मीद करते थे कि वे उन्हें सर कहें।किसी के मुंह से यार या भाई जैसे संबोधन सुनकर तुनक जाते थे। अचानक ही ये ख़्याल आया।

दरअसल आज की तारीख़ में माहौल बदल गया है और बदतमीज़ी व बहस करने को ही युवा पीढ़ी स्मार्टनेस समझने लगी है। ये बात पल्ले बांध लें कि अंततः आप अपने व्यवहार से ही जाने जाते हैं, भले ही काम कितना बढ़िया करते हों।

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(नोट : कोई ताज़ा वजह नहीं है, ना ही मेरी किसी से कोई भिड़ंत हुई। केवल ज्ञान बांट रहा हूं मुफ़्त में )

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