कंचन प्रिंटिंग प्रेस जागरण का हिस्सा नहीं… जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अपने कर्मचारियों का लगातार उत्पीड़न कर रहे दैनिक जागरण के मालिकान अब बिना किसी ठोस आधार के लेबर कोर्ट में झूठ बोल रहे हैं। 11 नवंबर 2011 को भारत सरकार ने पत्रकारों और गैर पत्रकारों के वेतन तथा भत्ते से जुड़े जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की अनुशंसा को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी।इस अधिसूचना में अंग्रेजी के पेज नंबर 12 पर साफ़ लिखा है कि अखबार की सभी इकाइयों,शाखाओं तथा केंद्रों को उसका अंग माना जाएगा मगर जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर दैनिक जागरण प्रबंधन गंभीर नहीं है।
कानपुर में चल रही एक सुनवाई के दौरान आज लेबर कोर्ट में दैनिक जागरण प्रबंधन ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में एक चौकाने वाला जवाब लगाया कि कंचन प्रिंटिंग प्रेस और लक्षमी प्रिंटिग प्रेस कर्मचारी मजीठिया वेज बोर्ड के हकदार नहीं हैं। ये कंपनियां न्यूज पेपर के अंतर्गत नहीं आती हैं। सूत्रों का दावा है दैनिक जागरण का प्रकाशन कंचन प्रिंटिंग प्रेस और लक्ष्मी प्रिंटिंग प्रेस में होता है। इसके मालिक भी गुप्ता बंधू ही हैं। मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ कर्मचारियों को न देना पड़े, इसके लिए ये सब नाटक हो रहा है जबकि सारा काम कंचन प्रिंटिग प्रेस और लक्ष्मी प्रिंटिंग प्रेस के कर्मचरियों से कराया जाता है। बताते हैं कि ये दोनों दैनिक जागरण की सिस्टर कंपनी है। दैनिक जागरण वाले सारा काम इन्हीं से करवाते हैं लेकिन जब पैसा देना होता है तो कहते हैं कि ये लोग हमारे कर्मचारी नहीं हैं और लेबर कोर्ट में भी झूठ बोल देते है।
दैनिक जागरण की एक महिला मीडियाकर्मी ने कानपुर में जागरण की झूठ की जानकारी दी। इस महिला मीडियाकर्मी की सूचना पर मैं तह तक गया। गूगल को खंगाला तो एक लिंक मिला कंचन प्रिंटिंग प्रेस प्राइवेट लिमिटेड का। पता था- 2, सर्वोदय नगर कानपुर। अब दैनिक जागरण का पता खंगाला तो वो भी निकला- 2, सर्वोदय नगर कानपुर। कंचन प्रिंटिंग प्रेस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर का नाम खोजा तो उसमें लिखा था नरेंद्र मोहन गुप्ता और असिस्टेंट डायरेक्टर में प्रमोद कुमार निगम का नाम था। अब इस लिंक पर और खोजबीन हुयी तो जागरण प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड की जगह जागरण सब्सक्रिप्शन प्राइवेट लिमिटेड मिला। जागरण माइक्रो मोटर और दूसरी कंपनियों का नाम आया। यानि महेंद्र मोहन गुप्ता की ही है कंचन प्रिंटिंग प्रेस और उसका और दैनिक जागरण का पता एक है और सम्बन्ध भी है दोनों का। तो फिर सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड को लागू करने के लिए तमाम तिकड़म कर रहा है दैनिक जागरण प्रबंधन और क्यों अपनी कंपनियों को लेकर लेबर कोर्ट में झूठ बोल रहे हैं जागरण प्रबंधन के लोग। इसका जवाब तो वक्त ही देगा।
शशिकान्त सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
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