प्रेस क्लब पर फ़र्ज़ी स्वयंभू पत्रकार नेताओं ने कब्ज़ा किया लेकिन उसके 6 महीने बाद ही अचानक सभी पत्रकारों को एक मेल से सूचना मिली कि श्याम नगर में नया प्रेस क्लब रजिस्टर्ड हो गया है जिसके अध्यक्ष कृष्ण कुमार गौड़, उपाध्यक्ष मयंक शुक्ला, और महामंत्री आलोक कुमार है। पत्रकारों में भ्रम फ़ैल गया कि शहर में दो कानपुर प्रेस क्लब कैसे बन गए?
एसआर न्यूज़ के मुख्य प्रबन्ध सम्पादक द्वारा इनके फर्ज़ीवाड़े के प्रमाण और सशपथ शिकायत थाना कोतवाली, एस.एस.पी कानपुर, आईजी जोन कानपुर, डीएम कानपुर, कमिश्नर कानपुर मण्डल, डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म, सोसायटी एवं चिट्स कानपुर मण्डल, रजिस्ट्रार फर्म, सोसायटी एवं चिट्स उत्तर प्रदेश, डीजी पुलिस उत्तर प्रदेश, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, राजयपाल उत्तर प्रदेश को 15-06-2015 कर दी गयी थी जिसपर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव गृह एवं गोपन कारागार उत्तर प्रदेश और डीएम कानपुर ने सीओ कलक्टरगंज कानपुर को जाँच सौंपी है। इसके साथ ही डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म, सोसायटी एवं चिट्स कानपुर मण्डल ने भी कानपुर प्रेस क्लब के महामंत्री अवनीश दीक्षित को नोटिस जारी करते हुए अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए 8 जुलाई 2015 दोपहर 2 बजे तक का समय दिया गया है। नोटिस मिलने के बाद से प्रेस क्लब के स्वयंभू पत्रकार नेता और उनके सहयोगी बौखलाए हुए हैं और लगातार सोशल मीडिया और व्हाट्स एप ग्रुपों में अनर्गल बातें फैलाकर बदनाम कर रहे हैं, भद्दी – भद्दी गलियां और धमकी दे रहे हैं।
पत्रकारों ने जब उपाध्यक्ष मयंक और महामंत्री आलोक से जानना चाहा तो पता चला कि नवीन मार्किट स्थित प्रेस क्लब रजिस्टर्ड ही नहीं था और फ़र्ज़ी लोग उस पर फ़र्ज़ी तरह से कब्ज़ा किये हैं| और जो जानकारियां मिलीं उससे पत्रकारों के होश उड़ गए वह उपस्थित पत्रकारों ने बताया कि नवीन मार्केट स्थित प्रेस क्लब के महामंत्री अवनीश दीक्षित और उनके साथी पूरे शहर में साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक समाचार पत्रों के पत्रकारों को फ़र्ज़ी कहते है और उन्हें न्यूज़ कवर करने से भी रोकते हैं न मानने पर उनके साथ मारपीट और गली गलौज भी करते है, रोड पर पुलिस चेकिंग के साथ खुद भी चेकिंग करते हैं और तो और वसूली भी करते हैं इन्ही सबसे आज़िज़ होकर ये नया प्रेस क्लब बनाया गया है अब किसी भी छोटे पत्रकार का उत्पीड़न नहीं होगा जिसके बाद पत्रकारों ने भरोसा कर उसकी सदस्य्ता ग्रहण करना शुरू कर दी| लेकिन ये सब नवीन मार्किट स्थित प्रेस क्लब पदाधिकारियों को नागवार गुजरा और उन्होंने ने प्रेस क्लब पदाधिकारियों को धमकियाँ देना शुरू कर दिया जिसकी शिकायत उन्होंने सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों से की लेकिन कानपुर की पुलिस ने उन स्वयंभू पत्रकार नेताओं के खिलाफ एफ.आई.आर लिंखना तो दूर सम्मानित प्रेस क्लब के पदाधिकारी होने के कारण उनसे पूछतांछ तक नहीं की परिणाम स्वरूप उनके हौसले बढ़ गये और उन्होंने प्रेस क्लब के सदस्यों के आलावा शहर के सभी पत्रकारों को फ़र्ज़ी कहकर अपमानित करना मारपीट करना और थानों में झूठे मुक़दमे लिखवाकर जेल भिजवाने की धमकिया देना शुरू कर दिया|
प्रेस क्लब में लिखकर चिपका दिया गया कि साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक पत्र पत्रिकाओं के पत्रकारों का प्रवेश वर्जित है इसके विपरीत भी केवल उन साप्ताहिक समाचार पत्रों के पत्रकारों को एंट्री दी गयी जो प्रेस क्लब के पदाधिकारियों की केवल हाँ में हाँ मिलते हुए उनके आगे पीछे घूमते थे| प्रेस क्लब में उन लोगों को भी सदस्य्ता दी गयी जो किसी समाचार पत्र, पत्रिका, पोर्टल और चैनल के पत्रकार नहीं थे, ऐसे लोग मात्र प्रेस क्लब के पदाधिकारियों के इशारों पर शहर में पत्रकारों से गाली गलौज मारपीट कर उन्हें धमकाने और उनसे पत्रकारिता छुड़वाने का काम करने लगे ताकि प्रेस क्लब के स्वयंभू पत्रकारों का वर्चस्व और आतंक शहर में कायम हो सके|
प्रेस क्लब के पदाधिकारियों ने जो सदस्य्ता कार्ड सदस्यों को जारी किये उन पर उन्होंने चालाकी से जानबूझ कर यह अंकित नहीं किया कि कार्ड धारक किस समाचार पत्र, पत्रिका, पोर्टल और चैनल से सम्बंधित है और उसमे किस पद पर सेवारत है और तो और पुलिस और प्रसाशन द्वारा भी बिना सत्यापन कराये उन कार्डधारी पत्रकारों को वीआईपी, वीवीआईपी और पुलिस प्रसाशन दे द्वारा किये जाने वाने प्रोग्राम्स और प्रेस कांफ्रेंस में एंट्री देनी शुरू कर दी, और उन प्रोग्राम्स में मौजूद ऐसे पत्रकार जिनके पास प्रेस क्लब का कार्ड नहीं होता था उन्हें वहीँ सार्वजनिक रूप से अपमानित और प्रताड़ित करना प्रारम्भ कर दिया हद तो तब हो गयी जब थानों और चौराहों तक पर भी कवरेज के लिए गए पत्रकारों पर इन कार्ड धारकों ने पुलिस के सामने ही हमला शुरू कर दिया|
श्याम नगर में नया कानपुर कानपुर प्रेस बनने के बाद से ही स्वयंभू पत्रकार नेताओं में हड़कम्प मच गया आनन – फानन में उन्होंने डिप्टी रजिस्ट्रार को समोधित एक पत्र भेजा जिसमे लिखा कि कुछ लोगों ने फ़र्ज़ी प्रपत्र तैयार कर उनकी संस्था कानपुर प्रेस क्लब के नाम से नवीनीकरण करा लिया गया है जो कि पहले से ही रजिस्टरड है और 2015 तक के लिए नवीनीकृत भी| जिसके बाद डिप्टी रजिस्ट्रार ने 1 माह का समय देते हुए जवाब न मिलने का हवाला देते हुए नए कानपुर प्रेस क्लब का पंजीकरण निरस्त कर दिया था| कानपुर प्रेस क्लब का पंजीकरण निरस्त होने के बाद स्वयंभू महामंत्री अवनीश दीक्षित ने कानपुर कोतवाली में एसएसपी के आदेश पर एक मुकदमा गंभीर धाराओं में नए प्रेस क्लब के संस्थापक पदाधिकारियों के साथ ही 15 अज्ञात खिलाफ कायम करवा दिया था जिसपर आज तक कोई कार्यवाही पुलिस द्वारा नहीं की गयी|
नए कानपुर प्रेस क्लब के संस्थापक उपाध्यक्ष और मुक़दमे में वंचित मयंक शुक्ला के दिए एक बयान के अनुसार उस केस में पुलिस ने विधिक राय ली है जिसके अनुसार उस मुक़दमे में में लगायी गयी कोई भी धाराएं बनती ही नहीं है स्पष्ट है कि मुकदमा केवल रंजिशन लिखवाया गया था और अब पुलिस उसमे एफ.आर. लगा सकती है सवाल ये कि अगर धाराएं नहीं बनती तो क्या ये मुकदमा लिखवाने वाले स्वयंभू महामंत्री अवनीश दीक्षित के खिलाफ 182 की कार्यवाही करेगी ??
एसआरन्यूज से साभार
Comments on “कानपुर प्रेस क्लब पोलखोल (4) : खुलासों से बौखलाए स्वयंभू पत्रकार नेता, दे रहे धमकियां और गालियां”
कल कानपुर प्रेस क्लब के नेताओं ने अपने चमचों – अंकित सिंह (मोबाइल नम्बर – 8687664377), कौस्तुभ मिश्रा (मोबाइल नम्बर – 9044494310) और अनुज मिश्रा (मोबाइल नम्बर – 8896222272) के द्वारा बलवन्त सिंह और मुझे वाटसएप पर बेहद अश्लील गालियां, मानहानि कारक बातें कहलायीं। साथ ही मेरे धर्म को आधार बना कर गालियां बकी व अपमानित किया, इसकी शिकायत आज सभी अधिकारियों को कर दी गयी है, पर कानपुर जिला प्रशासन नपुंसक हो गया है उससे कोई उम्मीद नहीं है। हमारी जान को गम्भीर खतरा है और कभी भी कुछ हो सकता है।
kuchh sangathan giroh ban gaye hain, jinse mukti aavashyak hai, isake liye gambhirata se nirnay lena hoga.