इंडिया न्यूज़ में काम तो हो रहा है लेकिन सैलरी नहीं मिल रही। कर्मचारियों से बंधुआ मजदूरी करवाने के बाद भी तनख्वाह नहीं दी जा रही है। 3 महीने से सैलरी नहीं आई हैं। यूपी, एमपी, हरियाणा और राजस्थान डेस्क के कर्मचारी 3 महीने से सैलरी नहीं आने से परेशान है। कर्मचारी मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। नवंबर, दिसंबर के बाद अब जनवरी भी खत्म होने वाली है।
कर्मचारी सैलरी के लिए ऐसे तरस रहे है जैसे बिना जल के मछली तड़पती है। कर्मचारी कमरे का किराया नहीं दे पा रहे है। कई लोगों की फ्लैट की EMI अटक गई है। लेकिन ये पत्रकार रोये तो किसके सामने कोई सुनने वाला ही नहीं है। काम का डंडा ऐसा है कि बेचारे डेस्क के पत्रकार रोना भी नहीं रो सकते।
सैलरी की आस में जैसे तैसे दिन कट रहे हैं। लेकिन मालिक कार्तिकेय शर्मा और HR के कान में जू नहीं रेंग रही है। बताया जाता है कि मालिक की तरफ से आदेश है कि जब बिना पैसे के काम हो रहा है तो पैसे देने की क्या जरूरत। साथ ही अन्दर खाने से खबर है कि इसी बहाने लोगों को निकालने की तरकीब चली गई है। जब सैलरी नहीं दोगे, तो अपने आप लोग चैनल छोड़ देंगे।
कई लोग चैनल छोड़ कर चले भी गए है और कई मजबूरी में बंधुआ मजदूरी कर रहे हैं। इंडिया न्यूज रीजनल के हेड रोहित सावल भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन रोहित सावल और उनकी टीम की तरफ से कर्मकारियों से जमकर बंधुआ मजदूरी कराई जा रही है। कर्मचारी बेहद मानसिक तनाव में हैं।
यूपी में आए नए आउटपुट हेड पुष्कर चौहान भी अपनी भड़ास बीपी बढ़ा-बढ़ा कर निकाल रहे हैं। सैलरी की बात जब उठाई जाती है तो चुप हो जाते हैं। कर्मचारियों की आवाज़ ऊपर तक पहुंचाने वाला कोई नहीं हैं। 20, 10 और 8 हजार की सैलरी पाने वाले ये पत्रकार आज ये सोच रहे हैं कि आखिर वो कौन सा दिन था जिस दिन पत्रकार बनने की चाहत दिल में पाली थी।
खुद ये बेचारे अब पत्रकार के नाम पर मज़ाक बन गए हैं। यहां के लोग कह रहे हैं कि इंडिया न्यूज चैनल में काम करने का मतलब आपका करियर शुरू होने से पहले खत्म होना। किसी भी छोटे से छोटे या लोकल चैनल या अखबार में काम कर लीजिए लेकिन इंडिया न्यूज में नहीं क्योंकि इंडिया न्यूज़ में सिर्फ शोषण होता है।
इंडिया न्यूज के एक दुखी मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित. मीडियाकर्मी के अनुरोध पर उनका नाम पहचान गोपनीय रखा गया है.