फारुख अब्दुल्ला दो साल तक बिना सुनवाई हिरासत में रह सकते हैं… ऐसा प्रतीत हो रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार यह मान कर चल रही है कि कश्मीर में हालात सामान्य होने में एक साल से अधिक का समय लगेगा। यह खुलासा उच्चतम न्यायालय में उपलक्ष ढंग से उस समय हुआ जब केंद्र सरकार ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में रखा है। इस कानून के तहत बिना सुनवाई के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है।यह भी विचारणीय तथ्य है कि यह सच्चाई बंदी प्रत्यक्षिकरण याचिका पर आयी है। अभी तक केंद्र सरकार ने नहीं बताया है कि पूर्व मुख्यमंत्री उम्र अब्दुल्ला और मेहबूबा मुफ़्ती तथा अन्य की हिरासत किस कानून के तहत की गयी है।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद लगाई गई पाबंदियों के खिलाफ याचिका पर उच्चतम न्यायालय में आज सुनवाई के दौरान जब इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से बताया कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला को हिरासत में रखने के खिलाफ जब वाइको की बंदी परिक्षीकरण याचिका पर सुनवाई शुरू हुई तो केंद्र ने बताया कि अब्दुल्ला को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में रखा है। पब्लिक सेफ्टी एक्ट पहली बार फारूक अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला के कार्यकाल में लगाया गया था। श्रीनगर से लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला 5 अगस्त से घर में नजरबंद हैं, जब भारत सरकार ने कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था।
राज्यसभा सांसद एवं एमडीएमके के नेता वाइको की याचिका पर चीफ़जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने सुनवाई की। याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने पूछा कि क्या अब्दुल्ला किसी प्रकार की हिरासत में हैं? इस पर वाइको के वकील ने कोर्ट को बताया कि केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा है कि फारूक अब्दुल्ला किसी प्रकार की हिरासत में नहीं है, लेकिन हमें उनका पता ठिकाना मालूम नहीं है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या अब्दुल्ला किसी प्रकार की हिरासत में हैं? इस पर वाइको के वकील ने कोर्ट को बताया कि केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा है कि फारूक अब्दुल्ला किसी प्रकार की हिरासत में नहीं है, लेकिन हमें उनका पता ठिकाना मालूम नहीं है। इस पर अदालत ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर को नोटिस जारी करते हुए 30 सितंबर तक जवाब मांगा है। वाइको की तरफ से वकील ने कोर्ट को बताया कि अब्दुल्ला के घर को सब्सिडियरी जेल घोषित कर दिया गया है। उन्हें अभी घर पर ही रहना होगा। हालांकिइस दौरान दोस्त और रिश्तेदार उनसे मिल सकते हैं। हाल ही में कोर्ट ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसदों को फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला से मिलने की इजाजत दी थी। हालांकि, प्रतिबंधों के कारण वो मीडिया से बात नहीं कर पाए थे।
राज्यसभा सदस्य वाइको फारूक अब्दुल्ला को करीबी दोस्त बताते हैं। वाइको ने अब्दुल्ला को पिछले चार दशक पुराना दोस्त बताते हुए कहा कि उन्हें अवैध तरीके से हिरासत में लेकर संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया गया है। याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं (केंद्र और जम्मू-कश्मीर) की कार्रवाई पूरी तरह से अवैध और मनमानी है। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है जो लोकतांत्रिक देश की आधारशिला है।
वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.