साहित्य के मर्म को समझने का ढोंग करने वाले पत्रकारों के लिए सबक… बिना साहित्य की जानकारी के ही प्रमुख हस्ताक्षरों के जीवन पर कलम चलाना कई बार हास्यास्पद और जनभावनाओं के साथ क्रूर मजाक का पर्याय बन जाता है। ऐसा ही कुछ सकारात्मक पत्रकारिता के बल पर सरोकारी अख़बार होने का दावा करने वाले दैनिक भास्कर को अपने संपादक महोदय के कारण हुआ। दरअसल, दैनिक भास्कर मुज़फ्फरपुर (बिहार) के स्थानीय संपादक कुमार भवानंद साहेब को यह भी नहीं पता है कि कथा सम्राट कौन है और कलम का जादूगर किसे कहा जाता है।
स्वनामधन्य संपादक ने कलम के जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी जी की जयंती पर लिखे विशेषांक लेख में 4 जगह उनके लिए कथा सम्राट शब्द का इस्तेमाल किया है जबकि ये जगजाहिर है कि मुंशी प्रेमचंद को कथा सम्राट कहा जाता है।
जब काबिल संपादक ऐसा बचकाना ज्ञान अपने अख़बार के माध्यम से देंगे तो बिहार की सांस्कृतिक राजधानी मुज़फ्फरपुर के लिए इससे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति क्या होगी। और जब सेनापति को इतनी समझ नहीं होगी तो टीम के अन्य साथियों की बौद्धिक स्थिति का आकलन खुद-ब-खुद किया जा सकता है।
चर्चा है कि भास्कर अब उत्तर बिहार में अपना पांव पसार रहा है और बहुत जल्द ही सीतामढ़ी, बेतिया और अन्य संस्करण मुज़फ्फरपुर यूनिट से ही संचालित किए जाने की संभावना है। ऐसे में जब अख़बार में भ्रामक तथ्य प्रस्तुत होंगे तो जनता के बीच इसकी विश्वसनीयता का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
लेखक
रौनक राज
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