Mukesh Kumar : दिल्ली की केजरीवाल सरकार भी रेवड़ियां बाँटने लगी है। इक्कीस विधायकों को संसदीय सचिव बनाकार मंत्री पद का दर्ज़ा दे दिया गया है। इतने संसदीय सचिव देश के किसी भी राज्य में नहीं हैं। बहुत से राज्यों में तो ये हैं ही नहीं। लगता है किसी असंतोष को दबाने के लिए ऐसा किया गया है, क्योंकि दिल्ली जैसे आधे-अधूरे और छोटे से राज्य में तीन-चार संसदीय सचिवों से काम चल सकता था, इसके लिए इस पैमाने पर रिश्वत ब़ॉटने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
xxx
प्रशांत भूषण की ओर से दोस्ती का हाथ बढ़ाने पर केजरीवाल क्या करेंगे? अगर दूर की सोचेंगे, पार्टी की सोचेंगे, परिवर्तन की सोचेंगे तो हाथ थाम लेंगे। अगर अपनी सोचेंगे, चमचों की सोचेंगे, केवल दिल्ली सरकार की सोचेंगे, तो मुँह मोड़ लेंगे।
xxx
कार्पोरेट जासूसी में पत्रकारों की भूमिका पर बहुत कम बात हो रही है। राडिया मामले में पहली बार इस पर जमकर चर्चा हुई थी, मगर उसके बाद सन्नाटा छा गया था। हाल में जासूसी की घटनाओं के बाद एक बार फिर से इस ओर ध्यान गया है मगर मीडिया में कोई चर्चा नहीं हो रही। न तो शांतनु सैकिया के बारे में लिखा जा रहा है और न ही उन आधा दर्ज़न पत्रकारों के बारे में जिन्हें कार्पोरेट की दलाली करने के आरोप में या तो नौकरी छोड़नी पड़ी या उन्हें हटा दिया गया। आख़िर ऐसा क्यों है?
वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के फेसबुक वॉल से.
इसे भी पढ़ें….
‘आप’ की हरकतें कहीं से भी उसे देश की दूसरी पार्टियों से अलग नहीं करती है
xxx
केजरीवाल से मेरा मोहभंग… दूसरी पार्टियों के आलाकमानों जैसा ही है यह शख्स…
xxx