चुनाव जीतने के बाद सामने आने लगी अहंकारी केजरीवाल की असलियत

Mukesh Kumar : अहंकारी कौन? केजरीवाल या प्रशांत-योगेंद्र?? मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद केजरीवाल ने कहा था कि राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लड़ने का फ़ैसला अहंकार से प्रेरित था। फिर उन्होंने इस फ़ैसले को नकारते हुए इसके पैरोकारों को पीएसी से बाहर कर दिया। अब वे कह रहे हैं कि पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर अपना विस्तार करेगी। सवाल उठता है कौन अहंकारी है? कहीं ये केजरीवाल का अहंकार तो नहीं बोल रहा था कि मेरे होते हुए फ़ैसला करने वाले तुम तुच्छ लोग कौन होते हो? फैसला करने का हक मेरा और मेरे चमचों का है, किसी और का नहीं इसलिए अब का फ़ैसला सही है और अहंकार रहित है। इस पाखंड पर बलिहारी जाने का मन करता है।

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योगेंद्र और प्रशांत को निपटाने के लिए जी-जान से जुटे केजरी कैंप के नेता

  • ‘आप’ के अंदरखाने एक दूसरे को नीचा दिखाने की जबरदस्त राजनीति चल रही है
  • सत्ता पाते ही आम आदमी पार्टी का चरित्र खास राजनीतिक पार्टियों जैसा हो गया है
  • योगेंद्र और प्रशांत को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर निकालने के लिए लामबंदी

आम आदमी पार्टी के अंदरखाने जबरदस्त खेल चल रहा है. केजरीवाल के इशारे पर उनके भक्त नेता गण प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार बैठे हैं और इसी रणनीति के तहत चालें चल रहे हैं. पूरे मामले को समझने के लिए आपको अंदर के खेल को समझना होगा. टीवी व अखबारों पर जो दिख रहा है, जो छप रहा है, वह बता रहा है कि सब कुछ ठीक रास्ते पर जा रहा है. लेकिन अंदर की कहानी कुछ अलग है. आइए एक एक कर मामले को समझते हैं.

‘आप’ की हरकतें कहीं से भी उसे देश की दूसरी पार्टियों से अलग नहीं करती है

नई दिल्ली। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और मीडिया स्टडीज ग्रुप (एमएसजी) ने मंगलवार को संयुक्त तौर पर “चर्चाः विकल्प की राजनीति का भविष्य” विषय पर एक कार्यक्रम का आय़ोजन किया। चर्चा का संचालन करते हुए मीडिया स्टडीज ग्रुप के अध्यक्ष अनिल चमड़िया ने कहा कि आम आदमी हमेशा अपनी राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए एक नए और मजबूत, सुदृढ़ विकल्प की तलाश करता रहा है। इसी लिहाज से आम आदमी बनाम आम आदमी पार्टी की राजनीति को देखा जाना चाहिए। लेकिन ‘आप’ में प्रशांत भूषण औऱ योगेंद्र यादव को लेकर जो कुछ हो रहा है वह निराशाजनक है।

केजरीवाल सरकार भी बांटने लगी रेवड़ियां, संसदीय सचिव बनाकार 21 MLA को मंत्री पद का दर्ज़ा दिया

Mukesh Kumar :  दिल्ली की केजरीवाल सरकार भी रेवड़ियां बाँटने लगी है। इक्कीस विधायकों को संसदीय सचिव बनाकार मंत्री पद का दर्ज़ा दे दिया गया है। इतने संसदीय सचिव देश के किसी भी राज्य में नहीं हैं। बहुत से राज्यों में तो ये हैं ही नहीं। लगता है किसी असंतोष को दबाने के लिए ऐसा किया गया है, क्योंकि दिल्ली जैसे आधे-अधूरे और छोटे से राज्य में तीन-चार संसदीय सचिवों से काम चल सकता था, इसके लिए इस पैमाने पर रिश्वत ब़ॉटने की ज़रूरत नहीं पड़ती।