खंडवा : जिले के समस्त पत्रकारों ने मोघट पुलिस थाने में 13 मार्च 2015 की रात को पत्रकारों पर दर्ज हुए शासकीय कार्य में बाधा के झूठे प्रकरण के विरोध में वाहन रैली निकाली और उप पुलिस अधीक्षक को गृहमंत्री एवं आईजी के नाम ज्ञापन सौंपा।
स्थानीय पार्वतीबाई धर्मशाला में जिले के सौ से अधिक पत्रकारों की एक बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद सिन्हा एवं कैलाश पालीवाल ने की। सर्वप्रथम पीड़ित पत्रकार नंदकिशोर मंडलोई ने मोघट पुलिस थाने में 13 मार्च के घटनाक्रम पर बताया कि वह रात में जब अपने घर लौट रहे थे, थाने के बाहर पुलिस एक युवक को नंगा कर पीट रही थी। उन्होंने रुक कर तुरंत अपने मोबाइल से फोटोग्राफ लिए तो थाने के अंदर से शांतिलाल नामक सिपाही ने उनका मोबाइल छीन लिया। जब थाने में वह मोबाइल लेने पहुंचे तो टीआई विश्वदीपसिंह परिहार ने अभद्र व्यवहार करते हुए उन्हें थाने में बैठा लिया। रात करीब एक बजे तक वे उनको गालियां देते रहे। फिर छोड़ दिया। इस पूरे घटनाक्रम की अगले दिन शनिवार को डीएसआर में देखकर पता चला कि टीआई ने उन पर मुकदमा कायम कर दिया है।
बैठक में सुनील जैन ने कहा जिले में थाना प्रभारियों की अभद्रता एवं अशालीन व्यवहार चिंतनीय है। पूर्व में भी टीआई कोतवाली ने महापौर के साथ अशालीन व्यवहार किया था। पुलिस अब तक कई पत्रकारों के साथ मारपीट कर चुकी है।
पत्रकार प्रमोद सिन्हा ने कहा कि पुलिस का हर समय कानून व्यवस्था बनाने में पत्रकारों ने सहयोग दिया है। मामला चाहे थाने में आत्महत्या का हो या फिर शहर में दंगों के नियंत्रण की स्थिति का। लेकिन पत्रकारों पर झूठे प्रकरण लगाना पुलिस की ओछी मानसिकता का परिचयायक है।
पत्रकार देवेन्द्र जायसवाल ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम की जांच किए बगैर पुलिस द्वारा दुर्भावना से प्रकरण दर्ज किया गया है क्योंकि थानों में हो रही अमानवीय गतिविधियों और भ्रष्टाचार की संबंधी खबरों का प्रकाशन समाचार पत्र में किया जाता रहा है। यही कारण है कि पुलिस ने झूठे प्रकरण लगाकर लोकतंत्र का गला घोटने की कोशिश की है।
पत्रकार उदय मंडलोई ने कहा कि सीसी टीवी फुटेज देखकर पुलिस निष्पक्ष जांच करे और प्रकरण का खात्मा करे। पत्रकार लोकेश पचौरी ने कहा कि थाना प्रभारी किसी भी पत्रकार पर प्रकरण दर्ज करने से पहले जांच करें। इस प्रकार के मामले दर्ज होने पर उच्च स्तर तक शिकायत कर कार्यवाही की मांग करेंगे।
पत्रकार मनीष करे ने कहा कि जो पत्रकार 24 घंटे फिल्ड में रहकर समाचार संकलन का कार्य कर रहा है, उसके साथ पुलिस सभ्यता से पेश आए और सहयोग करे अन्यथा इसका उच्च स्तर पर विरोध किया जाएगा। पत्रकार हरेन्द्रनाथ ठाकुर ने कहा कि इस पूरे मामले में डीआईजी स्तर के अधिकारी से जांच कराए जाने का प्रावधान है उन नियमों का पालन करते हुए प्रकरण का खात्मा किया जाए।
पत्रकार निशात सिद्दीकी ने कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर यह कुठाराघात है जो पत्रकार कवरेज कर रहे हैं, उन पर पुलिस द्वारा दुर्भावना पूर्वक प्रकरण दर्ज किया जाना निंदनीय है। पत्रकार शेख शकील ने मांग की कि पूरे मामले में पुलिस अधीक्षक द्वारा अलग से जांच रिपोर्ट तैयार की जाए और झूठे मुकदमे का खात्मा कराया जाए।
पत्रकार संजय पंचौलिया ने पुलिस की इस कार्रवाई को पत्रकारों पर दबाव बनाने की कोशिश करार दिया। इसका कड़ा विरोध किया जाना चाहिए। पत्रकार प्रतीक मिश्रा ने कहा कि पत्रकारों पर पुलिस की दमनकारी कार्रवाई का जिला स्तर पर विरोध होना चाहिए। पत्रकार गोपाल राठौर ने कहा कि पुलिस अगर झूठे मुकदमे कायम करेगी तो इनके कार्यक्रमों का बहिष्कार कर खबरों का प्रकाशन नहीं करना चाहिए। पत्रकार हर्षभान तिवारी ने पूरे प्रकरण के लिए पत्रकारों की एक कमेटी के गठन की बात भी रखी।
बैठक के बाद समस्त पत्रकारों ने पार्वतीबाई धर्मशाला से रैली निकाली। वाहन रैली पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंची। जहां पर जानबूझकर पुलिस अधीक्षक नहीं पहुंचे। काफी देर इंतजार के बाद उप पुलिस अधीक्षक एसआर सेंगर ने आकर पत्रकारों से ज्ञापन लिया। ज्ञापन में दर्ज हुए झूठे प्रकरण को खात्मा करने की मांग की गई है साथ ही पत्रकारों के साथ हो रही अभद्रता की शिकायतों पर भी कार्यवाही की मांग की गई है।
इस दौरान जिले के समस्त पत्रकार शेख वसीम, गोविंद गीते, दीपक सपकाल, नितिन झंवर, विशाल नकुल, भारत गौड़, मनीष गुप्ता, हेमंत जोशी, रितेश चौरसिया, अनुप खुराना, जावेद खान, रहीम बाबा, इमरान खान, चेतन मंडलोई, राजेश तेजी, मांगीलाल पटेल, संदीप पंवार, विश्वनाथ गढ़वाल, प्रदीप राठौर, अमित राठौर, तेजेन्द्र राऊत, सुदीप मन्ना आदि शामिल रहे।