नेताओं की दलाली करने वाले आईपीएस प्रवीण को यह कदम महंगा पड़ गया

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लखनऊ से हटाकर डीपीपी कार्यालय से संबद्ध किए गए प्रवीण कुमार त्रिपाठी


लखनऊ। प्रदेश सरकार ने लखनऊ के एसएसपी प्रवीण कुमार त्रिपाठी को हटा दिया है। उन्हें डीजीपी कार्यालय से संबद्ध कर शंटिंग में डाल दिया गया है। उनकी जगह 32वीं वाहिनी के सेनानायक यशस्वी यादव को लखनऊ का नया एसएसपी बनाया गया है। बसपा के खास माने जाने वाले प्रवीण कुमार त्रिपाठी पश्चिमी यूपी की जिम्‍मेदारी देखने वाले एक कद्दावर नेता से अपने संबंधों के बल पर लखनऊ के एसएसपी बने थे। प्रवीण के कार्यकाल में लखनऊ अपराधियों का अड्डा बन गया था। लंबे समय से इन महोदय पर तलवार लटक रही थी। 

लखनऊ के मोहनलालंगज का वीभत्स गैंगरेप और हत्या का मामला हो या हत्‍या-लूट की दर्जनों घटनाएं, लखनऊ पुलिस खुलासे करने में पूरी तरह फेल रही। राजधानी में ही अपराध की स्थिति सरकार को असहज कर रही थी। प्रवीण के कार्यकाल में कई दर्जन संगीन मामले घटित हुए। सभी मामले में पुलिस पर लीपापोती करने के आरोप लगे। बुधवार को एसएसपी के निर्देशन में पुलिस ने अंबेडकर पार्क की देखभाल करने वाले कर्मचारियों पर जमकर लाठीचार्ज करवाया। खुद को कानून से बड़ा मानने वाले तथा राजनेताओं की दलाली करने वाले आईपीएस प्रवीण को यह कदम महंगा पड़ गया। 

बताया जा रहा है कि प्रवीण कुमार के आने के बाद से राजधानी के पुलिसकर्मी भी अराजक हो गए थे। अपने वरिष्ठों से बदतमीजी करने तथा धमकी देने से भी नहीं हिचक रहे थे। एक थाना प्रभारी ने एसएसपी प्रवीण के खिलाफ ही जीडी में आरोप जड़ दिए थे। लखनऊ समेत पुलिस विभाग में अराजक स्थिति को देखते हुए सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए प्रवीण को हटा दिया। सरकार की नाराजगी इसी से समझी जा सकती है कि प्रवीण से लखनऊ का चार्ज लेने और उन्‍हें हटाने के अतिरिक्त किसी अन्य कप्तान का तबादला नहीं किया गया। 

प्रवीण कुमार अपने पूरे कार्यकाल के दौरान विवादित रहे है। चंदौली, मुजफ्फरनगर, गौतमबुद्धनगर समेत जहां भी इन्‍हें तैनाती मिली वहां अपराधों का बाढ़ आ गया। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद सरकार ने प्रवीण को वहां का कप्तान बनाया, लेकिन आंख की बीमारी का बहाना बनाकर ये महोदय अपनी जिम्‍मेदारी से पीछे हट गए। प्रवीण कुमार द्वारा मुजफ्फरनगर दंगे की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश के पत्र को लेकर भी सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी। लेकिन सरकार कार्रवाई करने की बजाय पश्चिमी यूपी देखने वाले परिवार के एक सदस्‍य के रहमोकरम पर इन्‍हें लखनऊ का एसएसपी बना दिया था।

माना जा रहा है कि प्रवीण को इतने बुरे तरीके से हटाकर प्रदेश सरकार ने उनको सबक देने का काम किया है। प्रवीण की जगह जिम्‍मेदारी संभालने वाले आईपीएस यशस्वी यादव 2000 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस हैं। इनका भी कार्यकाल विवादों में रहा है। महाराष्ट्र में एक महिला कांस्टेबल द्वारा रेप का आरोप लगाने समेत कानपुर में डाक्टरों पर लाठीचार्ज करवाने का मामला भी विवादों में रहा है। इन्‍हें हाईकोर्ट के आदेश पर कानपुर से हटाया गया था। 



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Comments on “नेताओं की दलाली करने वाले आईपीएस प्रवीण को यह कदम महंगा पड़ गया

  • यशवंत जी, नेताओं के इशारे और कहे पर जिला देखने वाले प्रवीण कुमार के बारे में कुछ भी कहना बेकार है. ये उतना ही सोचता करता है जितना इसके आका इसे समझा देते हैं. इसे ये नहीं पता होता कि ये क्या कर रहा है. इसलिए हे भगवान, इसे माफ ही कर देना.

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