दिनांक 07. 10. 2016 को प्रभात ख़बर के बिजनेस पेज पर शीर्षक “सर्दियों के लिए लक्स ने उतरा नयी रेंज के इनरवियर” से एक खबर छपी. इसी तरह दिनांक 08.10.2016 के प्रभात खबर में बिजनेस पेज पर “ठंड के मौसम के लिए आया लक्स इनफ्रेनो प्रीमियम” शीर्षक से खबर का प्रकाशन किया गया. इन दोनों ख़बरों को विज्ञापन के लिहाज से लिखा जान पड़ता है.
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साहित्यिक चोरी के आरोप में ‘पीके’ के निर्माताओं को नोटिस
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक उपन्यासकार द्वारा साहित्यिक चोरी का आरोप लगाने के बाद आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘पीके’ के निर्माता, निर्देशक को नोटिस जारी किया है. उपन्यासकार ने फिल्मकारों पर 2013 में प्रकाशित अपनी हिन्दी किताब ‘फरिश्ता’ के कुछ हिस्सों की साहित्यिक चोरी करने का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है.
‘फरिश्ता’ के लेखक ने फिल्म ‘पीके’ पर किया साहित्य चोरी का मुकदमा
‘‘मैंने 1 जनवरी, 2015 को पीके फिल्म देखी तो मैं हैरान हो गया। पीके फिल्म मेरे उपन्यास फरिश्ता की कट /कॉपी /पेस्ट है।’’ –कपिल ईसापुरी
अपने इन शब्दों में लेखक कपिल ईसापुरी काफी मर्माहत दिखते हैं। प्रेस कॉन्फेरेंस कर अपना दर्द बयान करते हैं। लेकिन मीडिया में एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है- लिखता कोई है, दिखता कोई और है, बिकता कोई और है। इस कहावत का व्यावहारिक रूप प्रसिद्ध लेखक निर्देशक बी आर इसारा विविध भारती को दिए एक साक्षात्कार में इस प्रकार समझाते हैं- ‘‘कम चर्चित साहित्यकारों के साहित्य की चोरी फिल्मी दुनिया में खूब होती है। जब मैं फिल्मी दुनिया में आया था। मुझसे कम चर्चित उर्दू साहित्यकारों का साहित्य पढ़वाया जाता और उसको तोड-मरोड़ कर इस्तेमाल कर कर लिया जाता।’’
‘पीके’ डाउनलोड कर देखने पर सीएम अखिलेश यादव के कार्यालय ने दी सफाई
लखनऊ : आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘पीके’ को कम्प्यूटर पर ‘डाउनलोड’ करके देखे जाने को लेकर उठे विवाद के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने आज इस पर सफाई देते हुए अपने कदम को जायज ठहराया है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले में ट्विटर पर आधिकारिक बयान पोस्ट किया है, जिसमें कहा गया है कि अखिलेश ने फिल्में डाउनलोड करके देखने की सेवा देने वाले ‘क्लब एक्स मीडिया सर्वर’ की सदस्यता ले रखी है और उन्होंने लाइसेंस लेकर इस सेवा का उपयोग कर ‘पीके’ फिल्म देखी है। ऐसे में उन पर फिल्म के ‘पाइरेटेड’ स्वरूप को देखने के लगाये जा रहे इल्जाम निराधार हैं।
अखिलेश यादव हैकर! : ‘पीके’ फिल्म डाउनलोड कर देखने पर थाने में दी गई तहरीर
यूपी के सीएम अखिलेश यादव ही जब खुद कानून तोड़ने लगे तो प्रदेश में भला कानून का राज कैसे कायम हो सकता है. यही कारण है कि यूपी में जंलराज की स्थितियां सदा बनी रहती हैं. गरीब-गुरबों का बुरा हाल रहता है. ताजी सूचना अखिलेश यादव से जुड़ी है. उन्होंने फिल्म पीके सिनेमा हॉल में जाकर देखने की बजाय इसे अवैध तरीके से इंटरनेट से डाउनलोड कर देखा. फिल्म ‘पीके’ को इंटरनेट से डाउनलोड करके देखने का मामला ‘पायरेसी’ का होता है. इसको लेकर लखनऊ के सोशल और आरटीआई एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने विभिन्न जगहों पर शिकायत की है और अखिलेश यादव के खिलाफ एफआईआर लिखाने के लिए लखनऊ के थाना हजरतगंज में तहरीर दी है.
The biggest general manager of Hindu religion has raised objection against pK
Jagdish Singh : Saw pK. Great movie. One of the greatest in history of Indian cinema. Here in San Jose, California too, it is running house full. Great imagination. Great story. Great acting. Hilarious. Must watch.
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‘ओएमजी’ के आस-पास भी नहीं फटक सकी ‘पीके’
तीन दिन पहले हमने आमिर खान की फिल्म पीके देखी। उसी दिन इस पर लिखने का मन था, पर अचानक हमारे इंटरनेट ने बेवफाई कर दी और तीन के लिए वह मौत के आगोश में चला गया। अब जाकर उनका पुनर्जन्म हुआ है और हमें समय मिला है तो सोचा चलो यार उस दिन की कसर पूरी कर ली जाए। पीके को लेकर लंबा विवाद प्रारंभ हो गया है। वैसे तो इस फिल्म को लेकर पहले से ही आमिर की पहली तस्वीर को लेकर विवाद हुआ है, लेकिन फिल्म देखने के बाद जहां लगा कि उस तस्वीर को लेकर ऐसा विवाद करना बेमानी है, वहीं इस बात को लेकर अफसोस हुआ कि आमिर की यह फिल्म परेश रावल की फिल्म ओ माय गाड के आस-पास भी नहीं फटक सकी।
नेताओं की दलाली करने वाले आईपीएस प्रवीण को यह कदम महंगा पड़ गया
लखनऊ से हटाकर डीपीपी कार्यालय से संबद्ध किए गए प्रवीण कुमार त्रिपाठी
लखनऊ। प्रदेश सरकार ने लखनऊ के एसएसपी प्रवीण कुमार त्रिपाठी को हटा दिया है। उन्हें डीजीपी कार्यालय से संबद्ध कर शंटिंग में डाल दिया गया है। उनकी जगह 32वीं वाहिनी के सेनानायक यशस्वी यादव को लखनऊ का नया एसएसपी बनाया गया है। बसपा के खास माने जाने वाले प्रवीण कुमार त्रिपाठी पश्चिमी यूपी की जिम्मेदारी देखने वाले एक कद्दावर नेता से अपने संबंधों के बल पर लखनऊ के एसएसपी बने थे। प्रवीण के कार्यकाल में लखनऊ अपराधियों का अड्डा बन गया था। लंबे समय से इन महोदय पर तलवार लटक रही थी।
‘प्रभात खबर’ ने लालू यादव को राबड़ी देवी और राबड़ी देवी को लालू यादव बना दिया!
प्रभात खबर का एक और कारनामा… इसने रातोंरात अपने अखबार में लालू यादव को राबड़ी देवी और राबड़ी देवी को लालू यादव घोषित कर दिया…. ऐसा विज्ञापन में किया गया है. न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस नामक कंपनी प्रभात खबर अखबार का प्रकाशन करती है. कभी ‘अखबार नहीं आंदोलन’ और आज के दिनों में ‘बिहार जागे…देश आगे’ स्लोगन देकर यह अखबार बेचा जाता है. इस हिन्दी दैनिक ‘प्रभात खबर’ के बिहार संस्करण में विज्ञापन के नाम पर एक और कारनामा सामने आया है. ‘प्रभात खबर’ के गया एडीशन में एक विज्ञापन छपा जो काफी चौकाने वाला है.
‘प्रभात खबर’ ने छापा कुख्यात अपराधी का ‘शुभकामना संदेश’
पटना से प्रकाशित हिन्दी दैनिक ‘प्रभात खबर’ ने अखबार और विज्ञापन की सारी सीमाओं और मर्यादा को तोड़ते हुए बुधवार को प्रकाशित अंक में एक ऐसे विज्ञापन को प्रकाशित किया है जो हैरत में डाल देने वाला है। 28 अक्टूबर को प्रकाशित इस अखबार के 5वें पृष्ठ पर फतुहा के टुनटुन यादव की तस्वीर के साथ छठ पर्व के अवसर पर एक बड़ा सा शुभकामना संदेश छपा है जिसमें टुनटुन यादव को फतुहा विधान सभा क्षेत्र का समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता बताया गया है।
‘प्रभात खबर’ अखबार के खिलाफ जदयू नेता के आंदोलन का सच
‘मुंगेर में प्रभात खबर की कॉपियां फूंकी जा रही है‘ शीर्षक से भड़ास पर श्रीकृष्ण प्रसाद की रिपोर्ट को देखने का अवसर मिला और इसके पीछे के सच को तलाशने की कोशिश एक पत्रकार निगाह से मैंने की. रिपोर्ट में जिस छाया चित्र का इस्तेमाल किया गया है, वे स्वयं इस बात का गवाह है कि इसमें दल के लोग शामिल नहीं हैं. बल्कि यह स्वयं उसका अभियान है और इसे वही पत्रकार तूल दे रहे हैं जिसे काफी पहले चुनाव के दौरान सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के तत्कालीन उपनिदेषक सुरेश पांडेय ने दूसरे के प्रेस प्राधिकार पत्र पर घूमते हुए पाया था.
मुंगेर में ‘प्रभात खबर’ की कापियां फूंकी जा रही
मुंगेर (बिहार) : ‘संपादक हरिवंश हाय हाय’ ‘प्रभात खबर के आपराधिक प्रवृत्ति के पत्रकार राणा बिजय शंकर सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करो और उसे गिरफ्तार करो’ ‘एनजीओ हक के सचिव पंकज सिंह को गिरफ्तार करो’ ‘कासिम बाजार के तात्कालिक थाना-प्रभारी दीपक कुमार और सब-इंसपेक्टर सफदर अली को गिरफ्तार करो’ … इन नारों से बिहार के मुंगेर प्रमंडलीय मुख्यालय की सड़कें विगत सात दिनों से गूंज रही हैं. प्रतिदिन मुंगेर की सड़कों पर दैनिक प्रभात खबर की प्रतियां सरेआम जलायी जा रही हैं.