इंडिया न्यूज चैनल में कोई नियम कायदा नहीं चलता। जिसे मन करो रक्खो, जिसे मन करे निकालो। चाहें जिसकी जितनी सेलरी दबा लो। बिना किसी वजह के हर महीने 3-4 लोगों को निकाल दिया जाता है। बस एक कॉल आएगा, कल से मत आना। उसके बाद बोरिया बिस्तर बंध जाता है। इंडिया न्यूज के ही रीजनल न्यूज ‘चैनल इंडिया न्यूज गुजरात’ में कार्यरत रहीं एंकर कम प्रोड्यूसर किंजल खूंट की दो महीने की सेलरी प्रबंधन ने दबा लिया है। किंजल अपने खून-पसीने की कमाई पाने के लिए परेशान हैं।
किंजल को पिछले साल 3 दिसम्बर को इंडिया न्यूज़ गुजरात चैनल के लिए दिल्ली में ज्वाइन कराया गया था। किंजल ने बीते 25 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद HR नरेश जैसवाल से किंजल की टेलीफोनिक बात हुई। इस बातचीत के बाद किंजल ने 30 जुलाई को एक महीने का नोटिस पीरियड देते हुए 30 अगस्त तक काम करने का ईमेल एचआर के नरेशजी और रूपेशजी को भेजा था।
इसके बाद 9 अगस्त को किंजल का HRMS ये कहकर बंद कर दिया गया कि ये कंपनी पॉलिसी है। 14 अगस्त तक किंजल आफिस गईं। फिर उनकी तबियत बहुत खराब हो गई और आफिस आने में असमर्थ हो गईं। वे जब तक कार्यरत रहीं, हमेशा 12 से 15 घंटे तक काम किया। कुछ स्त्री जनित रोगों-परेशानियों के कारण वह आफिस न आ सकीं। कंपनी ने उनकी बाकी छुट्टियां, बाकी ऑफ और लीव बैलेन्स को इन दिनों में गिना ही नही। HRMS बंद था। वे लीव के लिए अप्लाय नही कर पाईं और ना ही किसी ने उनका फोन उठाया ताकि वे उन्हें बता सकें।
रिजाइन की बात आने पर उनकी पूरे जुलाई की सेलेरी नहीं नहीं दी गई और इसे पेन्डिंग पर डाल दिया गया। पूरे जुलाई की 35000 रुपये की सेलेरी बाकी है। फिर अगस्त की सेलेरी भी बाकी है। कंपनी ने फुल एन्ड फायनल के नाम पर किंजल को बस 16,980/- रुपये की सेलेरी दी है। किंजल का आरोप है कि आखिर कैसे काउंट किया गया। उनके 45 दिनों के काम और बाकी छुट्टियों का क्या हुआ? इस संबंध में किंजल अपनी पीड़ा भड़ास को कुछ यूं बताती हैं-
”मैंने नरेशजी से फोन पर बात करी थी। पहले उन्होंने कहा था कि जुलाई की सेलरी आपको सबके साथ ही मिल जाएगी। फिर बताया सबको मिलने के बाद 5-6 दिनों में चेक में मिलेगी। फिर कहा गया कि फुल एन्ड फायनल में साथ मिलेगी। और, अब ये बस 16980 रुपये ही फुल एन्ड फायनल दिया जा रहा है। मुझे पूरी सेलेरी चाहिए, क्योंकि में इसकी हकदार हूं। दिल्ली में मैने 103 डिग्री बुखार में जब काम किया था, तब नहीं सोचा था कि एक दिन ये सिला दिया जाएगा। कम से कम मैंने जिस ईमानदारी और प्रमाणिकता के साथ 8 घंटे न गिनकर15 घण्टे भी काम किया है, उसके लिए तो कंपनी को पूरा पेमेंट देना चाहिए। हमें दिल्ली में जानवरों की तरह रखा गया। दो लोगों वाले बेड पर तीन लड़कियों को सोने ने के लिए बोला जाता था। हम 3 लोगों के सोने के बेड पर 5 लड़कियां सोती थीं। हमेशा बाहर का खाना खाकर तबियत एक महीने तक खराब रही थी। कभी ये फरियाद तो नहीं की हमने कि हमें इंसानों की तरह रखा जाए? कंपनी मुझे मेरे हक के पूरे जुलाई और अगस्त दो महीने की सेलेरी दे। या फिर बताए कि वह दो महीने की सेलरी क्यों नहीं दे रही है? मैंने भीख नहीं मांगी है। काम किया है। मैं हकदार हूं अपने हिस्से के पैसे की। मुझे उम्मीद है कंपनी के लोग मेरा गुस्सा और जज्बात समझ पाएंगे। कुछ लोग कंपनी के नाम पर पॉलिटिक्स खेलकर कंपनी की इज्जत को धक्का पहुंच रहा हैं, इस बात पर भी प्रबंधन थोड़ा ध्यान दे।”
Khalid khan
October 23, 2018 at 5:41 am
I have gone through a similar situation with this organisation. My salary has not been paid since June without any reason given to me. The HR Priyanka has never bothered to call back even after chasing her for months. The HR is supposed to help and clarify the situation. Till date I have no idea if I am still part of the organization or not. I am seriously thinking of taking a legal route for this problem.