सुधीर सिंह गब्बर-
भारतीय जनता पार्टी को किसान आंदोलन और किसानों के बढ़ते आक्रोश को हैंडल करने की जिम्मेदारी राजनाथ सिंह जी जैसे नेता को तत्काल देनी चाहिए। बीते कई सालों में यह पहला अवसर आया है जब किसानों के मुद्दे पर देश व्यापी राजनीति शुरू हुई और विपक्ष इसके बहाने अपनी राजनीति चमका रहा है और आंदोलन में अवसर देख रहा है।
भाजपा और सरकार के बड़े जिम्मेदार लोग बिल के समर्थन में गोलबंदी , बिल का बचाव और बैठक कर रहे जो अबतक बेनतीजा ही है। इसकी वजह से दोनों पक्ष अड़े नजर आ रहे हैं। किसानों का मुद्दा हल नहीं हो पा रहा।
याद कीजिये जब देश के वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यूपी के सीएम थे। किसानों का बड़ा आंदोलन हो रहा था। किसान अपनी मांगों को लेकर उनका घेराव करने 5 कालिदास / सीएम आवास को कूच किये। आवास के पास पुलिस की टीम बैरिकेटिंग बना किसानों को रोकने का प्रयास कर रही थी। इसी दरम्यान राजनाथ सीएम आवास से सीधे निकले और किसानों के बीच पहुंच गए। किसानों को अन्नदाता कहते हुए खुद को किसान पुत्र कहा और किसानों की सारी मांगे मान ली।
आक्रोशित किसान और किसान नेता जयकारा लगाते वापस हुए। सारा आंदोलन धराशायी हो गया। फिर आज ऐसा क्या हो गया कि देश में माहौल ऐसा बनता दिख रहा है कि भाजपा किसान विरोधी है। कईं विपक्ष को किसानों के मुद्दे पर राजनीति का अवसर मिल रहा है।
भाजपा के 70 फीसदी नेता (शीर्ष से लेकर बूथ लेबल तक) किसान ही ही हैं, किसान परिवार से ही आते हैं। सबके पास खेती है। सब गाँवो के ही निवासी हैं या एक पीढ़ी पहले रहे होंगे। ऐसे में भाजपा सरकार को किसानों के हित में दिल इतना बड़ा करना चाहिए कि विपक्ष और किसान नेताओं के पास कोई मुद्दा ही न रह जाये। इससे अन्नदाता खुश होगा, जब किसान खुश होगा तो भाजपा मजबूत होगी। कृषि प्रधान देश है भारत जहाँ की 70 फीसदी आबादी कृषि पर आधारित है। किसान मजबूत होगा तो देश मजबूत होगा। किसानों के चूल्हों पर रोटी सेकने वाला विपक्ष और उसका मुद्दा धराशायी होगा।
अच्छी सरकार को नापने का पैमाना भी विरोध और समर्थन के स्तर को देखकर ही किया जाता है। तो करिए न एक तीर से कई शिकार मोदी जी। सिर्फ किसानों के हित में दिल खूब बड़ा कर दीजिये। किसानों को मजबूत कर दीजिए। फिर देखिए पूरा देश आपका बमबम करेगा।
सुधीर सिंह गब्बर
पत्रकार
आज़मगढ़
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