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सुख-दुख

नोएडा जागरण में संपादकीय प्रबंधन में तलवारें खिंचीं, कोरोना पॉज़िटिव रहे किशोर झा का उत्पीड़न का आरोप, छुट्टी पर गए

दैनिक जागरण की नोएडा यूनिट के स्थानीय संपादक किशोर झा ने समूह संपादक विष्णु त्रिपाठी के खिलाफ खुलेआम बागी तेवर अपना लिए हैं। इधर दो दिन पूर्व अखबार में अशुद्धियों और कुछ तथ्यात्मक मिसिंग को लेकर विष्णु त्रिपाठी ने किशोर झा और उनकी दिल्ली-एनसीआर संपादकीय टीम के बारे में वाट्सएप ग्रुप पर सार्वजनिक रूप से आपत्तिजनक लहजे में कई टिप्पणियां की थीं।

उन्होंने किशोर झा समेत उनकी टीम के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों के लिए निकम्मा, काहिल, नासमझ जैसे आपत्तिजनक विशेषणों का इस्तेमाल किया था। इस पर किशोर झा ने अपनी टीम के संबंधित साथियों के खिलाफ कार्रवाई भी की। लेकिन विष्णु त्रिपाठी ने इन कार्रवाइयों पर भी सवाल उठा दिए।

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इस पर किशोर झा ने ग्रुप पर ही 18 जुलाई तक खुद के अवकाश पर जाने का एलान कर दिया। साथ ही अपनी ओर से की गई कार्रवाई को वापस लेने का भी एलान कर दिया।

बता दें कि किशोर झा मध्य जून में कोरोना पॉजीटिव पाए जाने के बाद से घर में ही आइसोलेशन में थे और स्वस्थ होकर इसी सप्ताह दोबारा ड्यूटी पर लौटे थे। अपने जवाब में किशोर झा ने यह भी लिखा है कि डॉक्टरों ने उन्हें अभी कुछ दिन शारीरिक और मानसिक दवाब से बचने की सलाह दी थी, लेकिन दफ्तर में कामकाज का माहौल ऐसा है नहीं।

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माना जा रहा है कि किशोर झा की यह टिप्पणी प्रकारांतर से विष्णु त्रिपाठी के कार्य-व्यवहार पर सीधी चोट है।

यह सर्वविदित है कि विष्णु त्रिपाठी जागरण के विभिन्न वाट्सएप ग्रुपों पर आए दिन कनिष्ठ पत्रकारों से लेकर वरिष्ठ संपादकों तक के बारे में प्रायः कोई न कोई आपत्तिजनक भाषा में टिप्पणियां करते रहते हैं। चूंकि ऐसे किसी भी ग्रुप से मालिकान लोग नहीं जुड़े हैं, इसलिए उनकी टिप्पणियां बेलगाम और अमर्यादित होती हैं।

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वह किसी के लिए भी अक्षम, मूढ़, मूर्ख, निकम्मा, आठवीं पास पत्रकार, सफेद हाथी, अकर्मण्य, चुल्लू भर पानी में डूबने जैसी टिप्पणियां करते रहते हैं। नतीजा यह है कि पूरे समूह का संपादकीय विभाग उनके सामने भींगी बिल्ली रहता है।

ऐसे एकाधिकारवादी माहौल में किशोर झा ने जिस तरह से परोक्ष रूप से उनसे मोर्चा लेते हुए खुद अवकाश पर जाने का साहसिक एलान किया है, उसे पूरे जागरण समूह में आश्चर्य की तरह देखा जा रहा है।
इस ताजा प्रकरण को लेकर जागरण नोएडा में कई तरह की सुगबुगाहटें हैं।

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पढ़ें किशोर झा द्वारा लिखी गयी चिट्ठी-

आदरणीय सर,
मैं 17 जून से बीमार था। चार जुलाई को अस्पताल से डिस्चार्ज हुआ। 14 दिन के लिए होम क्वारंटाइन करते हुए डाक्टर ने मुझे आराम करने की सलाह दी। उन्होंने मानसिक और शारीरिक दबाव से बचने की हिदायत दी है। मैंने उसी दिन से घर पर ही रहकर काम (वर्क फ्राम होम) करने का फैसला किया था जो सही साबित नहीं हुआ। इस बीच अखबार में हुई गड़बड़ी किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं है। मैंने कार्रवाई कर संदेश देने की कोशिश की थी जिससे आप संतुष्ट नहीं हैं। अतः सभी कार्रवाई को वापस ले रहा हूं।
चूंकि तनाव, दबाव और शारीरिक श्रम से मेरा स्वास्थ्य फिर गड़बड़ाने लगा है। अतः मैं डाक्टर की सलाह के अनुसार 18 जुलाई तक अवकाश पर रहूंगा। इस दौरान मैं मेल और वाट्सएप पर भी उपलब्ध नहीं रहूंगा। मुझसे मेरे मोबाइल नंबर पर संपर्क किया जा सकता है।
सादर

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