आज के समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों से स्पष्ट हुआ कि आख़िर सरकार ने देश में कोरोना के कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की सच्चाई स्वीकार ली। इसके साथ ही एक और खबर आई कि देश में 712 जिलों में कोरोना एक्टिव हो चुका है! लेकिन सरकारी तैयारी क्या है, बीमारी से तड़पते मरीज़ों, इलाज के लिए सिसिकते तीमारदारों की मानें तो उपचार तो दूर टेस्टिंग के लिए भी उन्हें भटकना पड़ रहा है।
पिछले कुछ दिनों में समाचार पत्रों के अंदर के पेजों पर पढ़ेंगे तो विभिन्न जिलों में मरीज़ों को भर्ती करने के लिए अस्पतालों में बेड नहीं हैं। कोरोना संक्रमित एक युवक जो कि प्रदेश के कानपुर जिले का है, उसकी मानें तो टेस्ट के 8 दिन बाद उसे पाज़िटिव रिपोर्ट मिली और अब तीन दिनों से वो घर में ही आइसोलेट है, कारण- अस्पतालों में बेड नहीं हैं।
कमोवेश पूरे देश के हालात कुछ ऐसे ही हैं। 130 करोड़ आबादी वाले देश में अभी महज़ 10 फ़ीसदी से भी कम लोगों के ही टेस्ट हुए हैं और संक्रमितों की संख्या दस लाख के पार है। वहीं ज़मीनी स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएँ नगण्य है। देशवासी परेशान हैं, भयभीत हैं, कारण घरों पर रहेंगे तो भुखमरी से मर जाएँगे और बाहर गए तो कोरोना से।
सरकार के कम्यूनिटी किचन बंद हो चुके हैं। आर्थिक पैकेज कहाँ गया, किसे मिला, सरकार ही जाने। बस इतना जानिए कि महामारी और भुखमरी इन दोनों से खुद ही लड़ना है। जीना – मरना सब भगवान भरोसे है। इसलिए संक्रमण के इस दौर में जब तक हो सके खुद को बचाइए, क्यूँकि सरकार अभी सरकारी कामों में व्यस्त है!
श्वेतांक अरुण तिवारी
कानपुर उत्तर( प्रदेश)
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