-रत्नाकर दीक्षित-
कई दिनों से अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर हाय-तौबा मची हुई है। इन पर आरोप है कि इनकी कंपनी रिपब्लिक भारत निर्माण के दौरान अन्वय नाइक नामक इंटीरियर डिज़ाइनर के करीब पांच करोड़ रुपये बार-बार मांगने के बावजूद नहीं दिए। ऐसे में अन्वय ने अर्णब और उनके साथी फिरोज पर आरोप लगाते हुए सुसाइड यानी आत्महत्या कर ली। उस समय महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार थी और मामले को दबा दिया गया।
अब अन्वय की पत्नी और बेटी कोर्ट में गुहार लगाई है। कोर्ट के आदेश पर दोबारा फ़ाइल खोली गई है। इसी क्रम में अर्णब की गिरफ्तारी हुई है।
अब जरा सोचने वाले बात यह है की फ़िल्म एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत के मामले में रिया चक्रवर्ती को कटघरे में खड़ा करते हुए अर्णब अपने चैनल पर लगातार रिया की गिरफ्तारी की मुहिम चलाये हुए थे। रिया गिरफ्तार भी हुई।
…तो क्या अर्णब कोर्ट से ऊपर है। अन्वय नाइक ने तो सुसाइड नोट में अर्णब और उनके साथी का नाम भी लिखा है। जब कि सुशांत सिंह राजपूत के मामले में ऐसा कुछ नही है। किसी पर सीधा आरोप नहीं है।
अर्णब के नाम पर राष्ट्रवाद का नारा बुलंद करने वाले जरा यह बताएं की अन्वय के परिवार को न्याय मिलना चाहिए कि नहीं।
पूछता है भारत…
-पंकज मिश्रा-
जो अपने चैनल पर खुद और अपने रिपोर्टर को भी उकसा कर नारे लगवाता हो , हम क्या चाहते 302 ….302 का मतलब पता भी है इसको | 302 का एक झूठा मुकदमा कैसे पीढ़ियों को बर्बाद कर देता है |
जो रिया पर पागलों की तरह ड्रग दो ड्रग दो ड्रग दो चिल्लाने का झूठा इल्जाम लगाए और एक सनकी की तरह फूहड़ मिमिक्री करे , सिर्फ यह दो उदाहरण बताते है कि पत्रकारिता जैसे noble प्रोफेशन की बात तो छोड़ ही दीजिये , यह सभ्य समाज मे रहने लायक भी है |
जो तमाम संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को असभ्य भाषा मे ललकारे उसे तो primary स्कूल में admission दिला कर नैतिक शिक्षा की क्लास कराने के बाद ही लोगो के बीच छोड़ा जाना चाहिए |
कितने लोग ऐसे है जो अपने बच्चों को ऐसा समाज देना चाहते है | नोटों में चिप , गोमूत्र से कोरोना , गोरस में सोना , मोर का रोना ….. go corona go corona …. उसके बाद सोचेंगे कि हमारे बच्चे सिलिकन वैली पर कब्ज़ा करें , नासा की नसों में बहे , मंगल पर पहुंचे , चांद पर घर बनाये …. अरे जिन के दम पे हम इंडियन talent की महिमा बखानते है वह पीढी इस माहौल में नही इससे पहले वाले माहौल की देन है | सुंदर पिचाई अगर मॉडल है तो वह तीस साल चालीस पहले के समाज मे निर्मित हो रहा था |
जैसा अब माहौल बन रहा है न ….. ऐसा ही रहा तो आने वाले समय मे हम कबीलों में बदल जाएंगे , डॉक्टरों से ज्यादा , सड़क पर भूत भगाने वाले ओझा बैठेंगे , रोड पर लोग अभुआएँगे , lab में दूध औटा कर सोना extract होगा , मेडिकल कालेजो में आदमी की गर्दन पर घोड़ा , गधा हाथी का मुंह transplant होगा …मेटिया में भ्रूण विकसित होगा जैसे सिरका बन रहा हो ….
आदमी करिया , करेर और ऐंठा हुआ अमावट बन जायेगा , बस उसे चुभलाते रहो …..रोल करके पॉकेट में रख लो …जिसके न रीढ़ होगी न भेजा ….
फिलहाल तो मुश्किल में है मगर देखना है जोर कितना क़ातिले बाजुए दिल मे है ….. लाज़िम है कि गज़लों की भी फिर ऐसी ही सूरत होनी है ….