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कोई अखबार इतना नीचे गिर कर समझौता कर लेगा!

-Aditya Pandey-

बॉलीवुड इतना पैसा बड़े अखबारों के मुंह में भर देता है कि खिलाफ बोलने की गुंजाइश ही नहीं बचती!

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लवण भास्कर अब उस कगार पर है जहां अपने कर्मियों को न्यूनतम वेतन देने तक में उसे रोना आ रहा है। इसलिए खबर लाने वालों से लेकर उन्हें बेहतर बनाने वालों तक को विदाई दी जा रही है। नतीजा यह कि मुंबई से अखबार को यह खबर मिलती ही नहीं कि उद्धव के खास विधायक पर ईडी का बड़ा छापा पड़ा है और न यह कि कंगना मामले पर अदालत ने परम को जमकर फटकार लगाई है। कल एनसीबी पर हुए हमले की खबर अखबार को आज तक नहीं मिल सकी है। लोग कहते हैं कि बॉलीवुड और पेंगुइन कंपनी से मिले पैसे के साथ यही शर्त जुड़ी है कि एक शब्द भी खिलाफ न छपे लेकिन यह मानना मुश्किल है कि कोई अखबार इतना नीचे गिर कर समझौता कर लेगा।

वैसे भी आज कल बड़ा अखबार कुछ दयावान कॉलम लिखने वालों के सहारे चल रहा है जो बिना सोचे समझे कुछ भी लिख देते हैं और बिना एक शब्द जोड़ घटाव के अखबार छाप डालता है वरना आज ही के लेख के लिए वैदिक बाबू से पूछा जरूर जाता कि जबरन धर्मांतरण के खिलाफ योगी के अध्यादेश में हिन्दू या मुस्लिम कहां लिखा है? शेखर गुप्ता, शशि थरूर और योगेन्द्र यादव भी भर्ती के लिए लिख देते हैं और वेतन कटौती से भन्नाए अखबार के संपादक देखना तक पसंद नहीं करते कि छप कर जा क्या रहा है। उनकी जिम्मेदारी इतनी ही है कि भारती सिंह को जमानत मिल तो पहले पेज पर खबर लग जाए और सैफ तैमूर की फोटो मनोरंजन पन्ने पर चार कॉलम से छोटी न लगे।

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हफिंगटन पोस्ट ने आज दम तोड़ दिया है लेकिन लवण भास्कर जिंदा है क्योंकि संपादकीय वालों तक को वसूली के काम में लगा दिया गया है। संपादक अब खबरों पर नहीं इस बात पर काम कर रहे हैं कि कहां, कब, किससे और कितनी वसूली की जा सकती है।

ज़मीर ही किसी इंसान और अखबार के होने की पहली शर्त है। जो बड़ा अखबार आप खरीदते हैं उसके ज़मीर को भी कभी टटोल लें। आपको बॉलीवुड की वह खबरें तो खूब दी जाती हैं जिनमें तैमूर के मुर्गियों के साथ खेलने का वर्णन होगा लेकिन यह खबर आपसे छुपा ली जाएगी कि अमिताभ की फिल्म ” झुंड ” प्रदर्शित नहीं हो पा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे फिलहाल डिब्बाबंद रखने को कहा है। अब वजह भी जान लीजिए।

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स्क्रिप्ट चुरा कर फिल्म बना ली गई और कहानी मालिक ने आपत्ति ली तो उनको जम कर धमकाया गया। कमाल देखिए कि टी सीरीज से लेकर दो नेशनल अवॉर्ड विनर हस्तियों ने जानबूझ कर यह हरकत की और बिग बी पूरे मामले को जानने के बाद भी चोरी की स्क्रिप्ट वाली फिल्म में शामिल हुए।

दूसरा कुछ मामला होता तो लवण भास्कर आग उगलने लग जाता लेकिन यहां दुम दबी हुई है।

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बॉलीवुड से इतना छुपा हुआ पैसा आता है अखबारों को कि उनके पीछे छिड़े झगड़े किसी की जान तक पर बन आते हैं। इतना पैसा बॉलीवुड इनके मुंह में भर देता है कि उसके खिलाफ बोलने की गुंजाइश ही नहीं बचती… भला बड़ा अखबार बड़े अभिनेता के खिलाफ कैसे बोलेगा?

दरअसल यह अखबार नहीं परचूनी पुड़िया का खजाना है जहां आप पैसे दें और मनपसंद खबर लगवा लें, चेक दे दें और चाहें जिस खबर को गायब करवा दें और तो और पैसे देकर चाहे जिसके खिलाफ या पक्ष में अभियान चलवा लें।

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…और हां, इस अखबार के लिए ‘रिश्ते की खूबसूरती’ वाली खबर की बानगी भी देखते चलिए

” 22 साल के शौहर के लिए तीन दुल्हनें खोज रही हैं चौथी दुल्हन “

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वाह रिश्तों की खूबसूरती।

इंदौर के पत्रकार आदित्य पांडेय की एफबी वॉल से.

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