सरकारी विज्ञापनों के नियमन से जुड़े दिशानिर्देश जारी करते हुए आज उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इन विज्ञापनों में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और प्रमुख न्यायाधीश जैसे कुछ ही पदाधिकारियों की तस्वीरें हो सकती हैं।
न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की इस याचिका को खारिज कर दिया कि न्यायपालिका को नीतिगत फैसलों के क्षेत्र में दखल नहीं देना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि कोई नीति या कानून मौजूद न होने की स्थिति में अदालतें हस्तक्षेप कर सकती हैं।
अदालत ने ये भी कहा है कि केन्द्र और राज्य सरकार तीन सदस्य कमेटी बनाएगी जो ये तय करेगी कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन हो रहा है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा से नीचे रह रही है इसलिए जनता का पैसा सरकारी विज्ञापनों पर खर्च नहीं होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर वकील प्रशांत भूषण का कहना है कि अदालत का फैसला सही है। वहीं इस फैसले से बीएसपी अध्यक्ष मायावती खुश नहीं नजर आईं और कहा कि ये फैसला लोकतंत्र के लिए सही नहीं है।
Comments on “नेताओं के फोटो वाले विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक”
Landmark judgement by honourable supreme court. Politicians are using public money for their own benefit. We see pictures of pm, cm, party president, ministers, mla’s even block level workers. In the name of government advertising politicians are misusing public money. Whichever party is in majority misuses the public fund. So now we have a hope that all these stop.