मृत्योपरान्त किसी व्यक्ति को वास्तविक पहचान दिलाते हुए शहीद के तौर पर सम्मानित करना और अपने पापों का सार्वजनिक क्षमा-याचना करते हुए पश्चाताप करना बड़ी बात माना जाती है। इतिहास तो ऐसे मामलों से भरा पड़ा हुआ है, जब सरकार या किसी समुदाय ने किसी को मार डाला, लेकिन बाद में उसके लिए माफी मांग ली। ठीक ऐसा ही मामला है शाहजहांपुर के जांबाज शहीद पत्रकार जागेन्द्र सिंह और उसके प्रति मीडिया के नजरिये का। इसी मीडिया ने पहले तो उसे ब्लैकमेलर और अपराध के तौर पर पेश किया था। फेसबुक आदि सोशल साइट पर अपना पेज बना कर खबरों की दुनिया में हंगामा करने वाले जागेन्द्र सिंह को शाहजहांपुर से लेकर बरेली और लखनऊ-दिल्ली तक की मीडिया ने उसे पत्रकार मानने से ही इनकार कर लिया था। लेकिन जब इस मामले ने तूल पकड़ लिया, तो मीडिया ने जागेन्द्र सिह को पत्रकार के तौर पर सम्बोधन दे दिया।
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नेताओं के फोटो वाले विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
सरकारी विज्ञापनों के नियमन से जुड़े दिशानिर्देश जारी करते हुए आज उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इन विज्ञापनों में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और प्रमुख न्यायाधीश जैसे कुछ ही पदाधिकारियों की तस्वीरें हो सकती हैं।
सर, सपा नेता हमारे खलियान पर कब्जा कर रहा है, हमारी ख़बर दैनिक जागरण में नहीं आती मगर उन लोगों की आ जाती है
सर, मैं ग्राम सुल्तानपुर सेक्टर 128 नोएडा का मूल निवासी हूँ। हमारे अपने ग्राम की खलियान की जमीन का खसरा नं. 598 है। इस ज़मीन पर सपा का एक नेता उच्चाधिकारियों के साथ मिलकर अवैध कब्ज़ा कर रहा है। हमारी कहीं भी सुनवायी नहीं हो रही है। मीडिया वाले भी मेरी सुनवायी नहीं कर रहे हैं। अतः मैं आपको पत्र लिख सब कुछ बता रहा हूँ। हमारी खबर दैनिक जागरण पेपर में नहीं आती मगर उन लोगों की आ जाती है।