Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

एलआईसी और पोस्ट आफिस : आज की दो सबसे सुंदर सूचनाएं!

हीरेंद्र झा-

2003 की बात है जब मैं भागलपुर टीएनबी कॉलेज से बी.ए. की परीक्षा के बाद दिल्ली जाने की तैयारी में था। एक मित्र जो उनदिनों एलआईसी एजेंट हुआ करते थे उन्होंने तब जबर्दस्ती मुझे एक पॉलिसी बेच दी थी। ना कहना मैं बहुत बाद में सीख सका..लेकिन तब मैं अपने उस मित्र को ना नहीं कह पाया और इस तरह से मैंने वो पॉलिसी ले ली।

Advertisement. Scroll to continue reading.

1500 का पहला किस्त भी दिया। फिर दिल्ली चला गया। उसी साल मैंने अपना पहला मोबाइल खरीदा था। एलआईसी वाला दोस्त वैसे तो नहीं पर प्रीमियम भरने के समय हर छठे महीने मुझे कॉल करता रहा। इस तरह कुछ बरस बीत गये। पढ़ाई पूरी होने के बाद पहले प्रेम और फिर करियर सजाने में ऐसा उलझा कि फिर बहुत कुछ छूट गया। एलआईसी वाला वो दोस्त भी। तब से लेकर अब मुंबई तक लंबी यात्रा रही है। बीस साल लंबी।

आज पूरे बीस साल के बाद गांव के डाकघर से मुझे एक चिट्ठी मिली। एलआईसी ऑफ़ इंडिया की तरफ़ से। मैंने चिट्ठी खोलकर देखी तो मेरी आँखें चमक उठीं। लिखा था कि हीरेन्द्र झा आपकी पॉलिसी मैच्योर हो गई है और आप अपना पता और बैंक खाता सुनिश्चित करें। अगर आपके पास बॉन्ड के पेपर नहीं हैं या गुम हो गये हैं तो हमारी शाखा से यथाशीघ्र संपर्क करें। सच कहूँ दोस्तों तो मैं इस पॉलिसी के बारे में पूरी तरह से भूल चुका था।

मेरे पास कोई पेपर तो छोड़िये अपना पॉलिसी नंबर तक नहीं था। लेकिन, ये चिट्ठी पाकर मुझे जो खुशी मिली वो मैं बयां नहीं कर सकता। मैं LIC India Forever का मुरीद हो गया.. सोचा इस पोस्ट के माध्यम से एलआईसी और उस गुमशुदा दोस्त को शुक्रिया अदा करता चलूँ। बाबूजी भी यह सुनकर बहुत खुश हुए। उनकी खुशी उस वक्त और भी बढ़ गई जब मैंने उन्हें बताया कि इन पैसों से मैं पेड़ लगाऊंगा। आजकल कहीं आने-जाने का मन नहीं करता है पर अब पहली फुर्सत में भागलपुर एलआईसी ऑफ़िस जाना है अपना पैसा लेने।

Advertisement. Scroll to continue reading.

एलआईसी ज़िंदाबाद!


अशोक पांडेय-

Advertisement. Scroll to continue reading.

भोपाल में रहनेवाली अज़ीज़ पुलिस दोस्त पल्लवी Pallavi Trivedi पिछले दिनों अपनी लाहौल-स्फीति यात्रा के दौरान हिक्किम नाम की जगह भी पहुँची थी. चौदह हज़ार फीट पर स्थित हिक्किम में जो डाकखाना है उसे दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर मौजूद डाकखाना बताया जाता है.

पल्लवी ने वहां से मुझे जो पोस्टकार्ड डाला था वह करीब दो माह बाद आज तब पहुंचा है जब उसके मिलने की उम्मीद न पल्लवी को बची थी न मुझे.

सुबह-सुबह थोड़ा सा उजाला हुआ.

Advertisement. Scroll to continue reading.

डाक विभाग को शुक्रिया और पल्लवी को कोडभाषा में – “प्रिपसखुर.”

Advertisement. Scroll to continue reading.
2 Comments

2 Comments

  1. सिंहासन चौहान

    June 8, 2023 at 4:43 pm

    प्रिपसखुर — प्रिय पल्लवी सदा खुश रहो …

  2. अतुल गोयल

    June 9, 2023 at 5:10 pm

    ☺️प्रिय पल्लवी सदा खुश रहो

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement