मनीष दुबे-
बैंकों में अब लॉकर टूट रहे हैं. ध्यान दीजिए कि बैंक के भीतर उन्हीं लॉकरों को निशाना बनाया गया जो लंबे समय से बन्द हैं. मतलब यह काम वही कर सकता है जिसे इन बातों की नियमित जानकारी हो. वह बैंक का कर्मचारी हो सकता है, वह मैनेजर हो सकता है, गार्ड हो सकता है. लेकिन जिन लोगों के लॉकर टूटे उनके द्वारा शिकायत करने पर बैंक कर्मचारियों ने अभद्रता की.
मतलब चोरी की चोरी उसपर सीनाज़ोरी भी. बात बहुत आला है. चोर अगर क्लीन शेव हो तो साहूकार उसकी दाढ़ी में तिनका भी खोजे तो कैसे?
बैंक है कानपुर के कराची खाना की सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया. पता लगा है कि बैंक का लॉकर इंचार्ज शुभम लापता है. लॉकर टूटने की जानकारी लीक होने के दो दिन पहले तक वह बैंक आता रहा है. लेकिन अब नहीं आता.
सवाल है कि क्या लॉकर इंचार्ज शुभम ने ये कांड अकेले ही कर दिया? कुल 2.5 करोड़ रुपये मूल्य का सामान जो बैंकों के लॉकर में जमा था, पार हो गया. 2.5 करोड़ कीमत की रकम या इतनी ही कीमत का सामान एक बैंक से पार हो जाना कोई छोटी बात नहीं है.
यह जांच का विषय है कि अकेला शुभम ये रुपया या सामान एक साथ ले गया या थोड़े-थोड़े कर? जांच का विषय यह भी है कि बैंक से घर जाते वक्त कर्मचारियों की कोई तलाशी भी होती थी, या ऐसे ही जाने दिया जाता रहा?
कराची खाना की सेंट्रल बैंक में कुल 1141 लॉकर हैं. जिनमें से 507 लॉकर ग्राहकों को रेंट पर दिए गए थे. लूटे जा चुके ग्राहकों का कहना है कि उनकी कई पुश्तों की जमापूंजी इन लॉकरों में महफूज थी. लेकिन बैंक ने उसमें सेंधमारी कर ली.
इन लॉकरों में पंकज गुप्ता का 35 लाख
मीना यादव का 80 लाख
मंजू भट्टाचार्या का 30 लाख
सीमा गुप्ता का 20 लाख
शकुंतला देवी का 30 लाख
निर्मला तहल्यानी का 35 लाख
और विजय माहेश्वरी का 20 लाख रुपये का सामान जमा था जो अब गायब हो चुका हैं.
इन ग्राहकों ने जब अपना लॉकर चेक किया तो होश खो बैठे. बावजूद कोई दिलासा देने के बैंक कर्मचारियों ने ग्राहकों से अभद्रता की ऐसा आरोप है. इधर बैंक ने अपने कर्मचारियों को क्लीन चिट भी दे दी तो आखिर चोर कौन है यह यक्ष प्रश्न हर लुटे ग्राहक के मन में कौंध रहा है?