लोकसभा टीवी के 100 कर्मचारी ऐसे हैं जिनकी नौकरी का अनुबंध कई महीने से हर महीने के आधार पर आगे खिसक रहा है।
एक ओर जहां सरकार प्राइवेट कम्पनियों से आग्रह कर रही है कि वे अपने कर्मचारियों की नौकरियों सुरक्षित रखें वहीं लोकसभा टीवी के ये कर्मचारी हर महीने इंतजार करते हैं कि सचिवालय से अनुबंध बढ़ने का सर्कुलर आएगा या नहीं।
इन 100 कर्मचारियों की नौकरी 1 एक अगस्त से लेकर 31 अगस्त तक बढ़ाई गई है। पहले उनकी नौकरी 3-3 महीने के लिए बढ़ रही थी। पिछले चार महीने से यह अनुबंध एक एक महीने के लिए बढ़ रहा है।
लोकसभा और राज्यसभा टीवी में करीब 500 कर्मचारी हैं जो प्रोड्यूसर, पत्रकार, कन्सलटेंट तकनीशियन, गेस्ट कॉर्डिनेटर जैसे पदों पर अनुबंध पर काम कर रहे हैं।
लोकसभा राज्यसभा टीवी को एक करने की प्रक्रिया जब से चली है तब से इन दोनों ही चैनलों के कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटकी है।
एकीकरण के लिए बनी सूर्य प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट आ चुकी है लेकिन इस पर अमल होना बाकी है। इसका खमियाजा चैनलों के कर्मचारियों को करीब 12 महीने से भुगतना पड़ा रहा है।
यह हाल तब है जब लोकसभा टीवी ने पिछले दो साल में 14 करोड़ रुपये से अधिक कमायी की है। कोरोना काल में भी यह चैनल विज्ञापन और लाइव फीड की बिक्री से अब तक 4 करोड़ रुपये की कमायी कर चुका है।
2006-7 में चैनल की शुरुआत के बाद से 117 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है लेकिन कर्मचारियों के वेतन में हर साल 10 प्रतिशत की वृद्धि का वादा भी पूरा नहीं किया जा रहा है।