25 हजार करोड़ की ठगी… पूरा देश शांत… न अखबारों के पहले पन्ने पर खबर… न ही किसी चैनल पर बहस… नीरव मोदी (11400 करोड़), विजय माल्या (9432 करोड़) और स्टर्लिंग बायोटेक के सर्वेसर्वा संदेसरा ब्रदर्स (14500 करोड़) की जालसाजी पर देश में सियासी संग्राम की इबारत लिखने वालों को भी सांप सूंघ गया क्या? तृणमूल कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद अलकेमिस्ट समेत दर्जनों फर्जी कम्पनियों के मालिक महाठग केडी सिंह ने सिर्फ कानपुर में ही 10 हजार लोगों को 1 हजार करोड़ की सीधी चपत लगा दी। पूरे देश में कितनों की गाढ़ी कमाई डूबी, कितनों का कालाधन… इसका सिर्फ अंदाज़ा लगाते रहिये।
कानपुर में एफआईआर हुई तो यहां चन्द अखबारों ने पहले पन्ने पर खबर छाप दी। लखनऊ में तो एक शीर्ष अखबार ने इसे संक्षिप्त खबर बनाकर पांच, सात लाइनों में ही समेट दिया। हद है भैया। खैर सरकार किसी की भी रहे, केडी सिंह की महालूट पर आजतक रत्ती भर भी शिकन न आई। मानो सबको पूरी ईमानदारी से हिस्सा पहुंच रहा हो। चलिए भ्रष्ट नेताओं-अफसरों-एजेंसियों-मीडिया की साठगांठ के कड़वे सच का आईना आपको दिखाता हूँ।
ठगी की इतनी बड़ी इबारत 2010 से लिखी जा रही है। सेबी ने 2013 में ही केडी सिंह की कम्पनियों को फर्जी करार देकर सरकार से कार्रवाई की सिफारिश की। कार्रवाई ठन ठन गोपाल रही। लगता तो यही है ये महाठग सैकड़ों करोड़ देकर पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा और फिर टीएमसी से राज्यसभा सांसद बनने में कामयाब हुआ था। 2014 में मनमोहन के बाद मोदी सरकार देश की सत्ता पर काबिज हुई। सितंबर 2015 में टीएमसी के ही एक अन्य सांसद ने हिमाचल प्रदेश में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके वहां केडी सिंह के ऊपर एक हजार करोड़ से ऊपर के बेनामी सौदों का आरोप लगाते हुए सीधे वित्त मंत्री अरुण जेटली से शिकायत की। बाकायदा बेनामी सौदों की पूरी जानकारी, खातों के नम्बर, लोगों के नाम व मोबाइल नम्बर तक देकर तत्काल ईडी से जांच की मांग की।
ईडी की दरियादिली तो देखिए। महाठग केडी सिंह पर 2016 में एफआईआर हुई और 3 वर्ष बाद जनवरी 2019 में महज 238 करोड़ की बेनामी संपत्ति ही जब्त की गई। मतलब 2014 से 2019 तक मोदी सरकार का पूरा कार्यकाल खत्म हो गया और मोदी जी देश से कालेधन का खात्मा और लाखों फर्जी कम्पनियां खत्म करने की दुहाई देते रहे। वहीं केडी विदेशों में सैकड़ों करोड़ भेजता रहा। खैर 2019 में जो कार्रवाई हुई वो सेबी द्वारा केडी सिंह के ग्रीस भागने के इनपुट के बाद आनन फानन में कई गयी। सेबी खुद 2018 में केडी सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट गयी। मतलब सेबी को भी 2013 से कुल 5 साल लग गए। हद है। इससे तेज कार्रवाई तो एजेंसियां सपा सांसद आजम खान पर कर रही है।
एक शीर्ष अखबार ने केडी सिंह और उसकी लुटेरी कम्पनियों का नाम छिपाते हुए (जाने किसके डर से) साफ लिखा कि इसका सूडान में 700 करोड़ का होटल है। लेकिन ईडी जैसी शीर्ष जांच एजेंसी आजतक ऐसी न जाने कितनी बेनामी सम्पत्तियों की टोह न ले सकी। खैर वो तो छिदम्बरम में व्यस्त रही होगी। आगे आप समझदार हैं। देश की आम जनता से 25 हजार करोड़ से अधिक की ठगी को अंजाम देने वाला लुटेरा केडी सिंह मीडिया को भी अपनी जेब मे रखकर मनमाफिक इस्तेमाल करता था। नामी मैगजीन तहलका के स्वामित्व वाली मीडिया कम्पनी में इसके आधे से ज्यादा न सिर्फ शेयर थे बल्कि करोड़ों (2011 में 31 करोड़, आगे भी बहुत) की अवैध रकम भी खपाई गयी। संपादक तरुण तेजपाल तो बस नाम के थे। असली मालिक तो केडी था।
वैसे इस कम्पनी में कपिल सिब्बल और जेठमलानी के भी शेयर थे और सिब्बल की ही सरकार थी। जनाब देश के कानून मंत्री भी थे। आगे आप अपनी खोपड़ी का तनिक शुद्ध इस्तेमाल कीजिये। अब एजेंसियों की क्या बिसात, जो इस महाठग को छू भी लेतीं। सिर्फ यही नहीं केडी सिंह ने अपनी काली कमाई से फाइनेंशियल वर्ल्ड नाम से अखबार भी शुरू किया। कुछ ही समय में सैकड़ों को बेरोजगार करके बन्द भी कर दिया। तेजपाल के जेल जाने के बाद ये तहलका को भी बेचना चाहता था।
सूत्रों पर भरोसा करें तो केडी सिंह के ठगी के महासाम्राज्य में उत्तरप्रदेश के कई अफसरों और नेताओं का कालाधन तो खपाया ही गया है साथ ही दिल खोलकर बेहिसाब पैसा भी बांटा गया है अब यही अफसर और नेता केडी सिंह को बचाने की नीयत से देश की इतनी बड़ी ठगी की जांच यूपी की जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू से कराकर इसे दफन कराने का षड्यंत्र रच रहे हैं ये जांच एजेंसी लाखों के घोटाले की जांच में बीसियों साल लगा देती है। फिर 25 हजार करोड़ की लूट की जांच का तो भगवान ही मालिक है।
सुप्रीम कोर्ट इस महाठगी का संज्ञान लेकर सीधे एसआईटी को पूरी जांच सौपे क्योंकि देश से लेकर विदेशों तक हजारों करोड़ फूंककर विशाल काला साम्राज्य खड़ा किया गया है। सैकड़ों करोड़ तो मुम्बई के एक पूंजीपति के जरिये अमेरिका भेजे गए हैं। बंगाल में ममता बनर्जी की मेहरबानी से महाठग के खिलाफ एक एफआईआर तक न हुई। बाद में टीएमसी को भी इसका असली चेहरा गाहेबगाहे नजर आ ही गया। जब ममता के खिलाफ नारद स्टिंग को अंजाम दिया गया। फिलहाल एजेंसियां केडी सिंह से आम जनता की गाढ़ी कमाई के हजारों करोड़ की वसूली कर पाएंगी या नहीं। ये कहना तो फिलहाल बचकानापन होगा। बड़ी मेहनत से केडी सिंह जैसे महाठग पर जो आईना आपको दिखाया है उससे देश में नेताओं-अफसरों-एजेंसियों-मीडिया का स्याह चेहरा जरूर आपके सामने आ गया होगा। अब अगर आम जनता में अपनी गाढ़ी कमाई डूबने के बाद आत्महत्या का सिलसिला शुरू हुआ तो इसका कलंक सरकारों के माथे पर ही लगेगा। शर्मनाक शर्मनाक शर्मनाक…
लेखक मनीष श्रीवास्तव लखनऊ के बेबाक पत्रकार हैं.
m Kumar srivastava
September 9, 2019 at 10:50 pm
Jabardust brother