Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

मैं इस्लाम विरोधी क्यों हूं?

-देवेंद्र सिंह सिकरवार-

जो धूर्तता दुर्योधन में वैयक्तिक तौर पर थी वह मुसलमानों में सामूहिक तौर पर है और वह है घोर घृणित अपराध करने के बाद भी स्वयं को विक्टिम प्रदर्शित करने की कुटिलता और इसी के सातत्य में इन्होंने एक नया जुमला, एक नया नैरेटिव गढ़ा और वह है- इस्लामोफोबिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मूल रूप से इसका अर्थ होगा ‘इस्लाम के प्रति भय’ और यह एक सत्य है व ऐतिहासिक सत्य है। मदीना हाथ में आने के बाद इस्लाम का इतिहास मानवता, धर्मसहिष्णुता और स्त्रीसम्मान की हत्या का है अतः इस्लाम से भय और घृणा स्वाभाविक है।

संसार में खून कई राजाओं व सत्ताओं ने बहाया है जिसमें मध्यकाल में यूरोप के ईसाई भी कम नहीं रहे लेकिन दुनियाँ में किसी और सत्ता व संगठन ने धर्म के नाम पर मानवता का इतना खून नहीं बहाया यहाँ तक कि चंगेज व हुलागू ने भी धर्म के नाम पर किसी की हत्या नहीं की।

Advertisement. Scroll to continue reading.

यूरोपीय ईसाइयों ने भी अंततः स्वयं को सुधारा और आज यूरोपीय-अमेरकी देश स्वतंत्रता व समानता के गढ़ हैं जबकि इस्लाम की खून की प्यास आज भी वैसी ही है बल्कि कई गुना बढ़ गई है।

इसीलिये इस्लाम से लोगों को डर लगता है क्योंकि घोषित रूप से उनका उद्देश्य पूरे विश्व को इस्लाम के खूनी झंडे के नीचे लाना है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

डर की अगली सीढ़ी ‘घृणा’ होती है और उसका अगला चरण ‘युद्ध’, इसलिए यूरोपियों ने तो फ्रांस के नेतृत्व में युद्ध के लिए कमर कस ली है।

बहरहाल, भारत के संदर्भ में एक आम हिंदू के तौर पर मुझे इस्लाम से नफरत क्यों है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

मेरा किसी मुसलमान ने व्यक्तिगत रूप से कुछ नहीं बिगाड़ा, कई बड़े प्रेम से बात भी करते हैं लेकिन कुछ बातों में मैं एकदम स्पष्ट हूँ क्योंकि मैंने इतिहास के जरिये इस्लाम के सैद्धांतिक व सामूहिक मनोविज्ञान का गहरा अध्ययन किया है।

-इस्लाम आने से पहले अरबों व फारसियों के लिये ‘हिंद’ व ‘हिंदू’ शब्द बड़ा सम्मानीय था लेकिन इस्लामिक डिक्शनरी में इसका अर्थ ‘चोर’, ‘डाकू’, ‘नीच’ है। क्या कारण है सिवाय बौद्धों व हिंदुओं के प्रति नफरत के?

Advertisement. Scroll to continue reading.

-इस्लाम आने से पहले ईरान धर्म सहिष्णु जोराष्ट्रियनों का देश था लेकिन इस्लाम कुबूलते ही वह जाहिल बर्बर फारसियों में बदल गया। कारण क्या था सिवाये इस्लाम की लूटपाट की वृत्ति के?

-इस्लाम आने से पहले मध्य एशिया के बौद्ध तुर्क और काम्बोज के गंधर्व शांतिप्रिय चरवाहे थे लेकिन इस्लाम कुबूलते ही वे खून के प्यासे जाहिल धर्मांध लुटेरे बन गये। क्या कारण था सिवाय इस्लाम की युयुत्सु प्रवृत्ति के?

Advertisement. Scroll to continue reading.

-इस्लाम आने से पहले अफगानिस्तान के ऋग्वैदिक पक्थ (पठान), आप्रीत(अफरीदी), अष्टक(खट्टक) जैसी सूर्योपासक व शैव आर्य जातियाँ जो स्वयं को भारत का प्रथम पहरेदार मानते थे वही मुसलमान होने के बाद अपनी ही माताओं व बहनों का आँचल खींचने लगे। क्या कारण था सिवाये इसके कि इस्लाम ने उन्हें ऐसा बनाया।

-भारत के विभाजन के लिए दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बंगाल, बिहार, असम, मद्रास और बॉम्बे के मुसलमानों ने 95 से 98% मत जिन्ना को क्यों दिया सिवाये इसके कि मुस्लिमों को हिंदुओं, सिखों, बौद्धों व जैनियों से भयानक धार्मिक घृणा होती है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

-पाकिस्तान की भारत से घृणा का आधार क्या है सिवाय उनके मुसलमान होने और भारत में हिंदुओं के बहुसंख्यक होने के?

-भारत के मुसलमानों को भाजपा व संघ से घृणा और पाकिस्तान से प्रेम का कारण क्या है सिवाय इसके कि भाजपा व संघ इस देश की राष्ट्रीयता के मूल आधार हिंदुत्व की बात करते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

-भारत के मुसलमान पाकिस्तान की जीत पर, इजरायल के नुकसान पर, भारत की क्षति पर खुश होने का कारण क्या है सिवाय इसके कि वे इस्लामिक आतंकवाद का विरोध करते हैं और आतंकवादी मुसलमान होते हैं।

-भारत का मुसलमान एपीजे अब्दुल कलाम को क्यों काफ़िर मानता है और याकूब मेनन की फांसी पर गुस्सा होता है? कारण क्या है सिवाय इसके कि कलाम साहब हिंदू संस्कृति में रचे बसे थे और याकूब ने हिंदू काफिरों की हत्या कर जेहाद का फर्ज निभाया था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

-भारत का मुसलमान मुहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी, बाबर और औरंगजेंब को विदेशी लुटेरे न मानकर उन्हें अपना हीरो मानता है? कारण क्या है सिवाय इसके कि इन्होंने करोड़ों हिन्दुओ की बर्बर हत्याएं की, हिंदू औरतों को नंगा कर बाजारों में बेचा व मंदिरों, मठों को नष्ट कर उनपर मस्जिदें बनवाई।

तो आप ऐतिहासिक रूप से देख सकते हैं कि-

Advertisement. Scroll to continue reading.

-इस्लाम जहाँ भी गया वहां उसने भाई को भाई का दुश्मन बना दिया।

-इस्लाम जहाँ भी गया वहाँ के शांतिप्रिय मनुष्यों को बर्बर धर्मांधों में बदल दिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

-इस्लाम जहाँ भी गया वहाँ हमेशा लूटपाट, बलात्कार, गैर धर्मों पर हमले और खून खराबा शुरू हुआ।

-इस्लाम जहाँ भी गया उसने या तो दूसरे धर्म की औरतों को बाजार में नंगा करके बेचा या फिर उन्हें काले कफ़न में लपेटकर जिंदा लाश बना दिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसलिये मैं पूरी तरह स्पष्ट हूँ कि इस्लाम में मंसूर, राबिया, सरमद, रसखान और एपीजे अब्दुल कलामों के लिए कोई जगह नहीं और जो #करीम_चचा आपकी बेटी को प्यार से गोद में बिठाते हैं वक्त आने पर इस ‘काफ़िर की बेटी’ को बिस्तर पर ले जाने में नहीं हिचकेंगे क्योंकि काफ़िर की बेटी कुरान के अनुसार सच्चे मोमिनों के लिये हलाल घोषित है।

मुझे इस्लाम से इसलिये घृणा है कि यह एक इंसान को ‘मुसलमान’ में बदल देता है ठीक वैम्पायर की तरह जिसके काटने पर स्वस्थ व्यक्ति भी खून का प्यासा वैम्पायर बन जाता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

हाँ, मैं इस्लामोफोबिक हूँ क्योंकि मुझे अपनी आने वाली नस्लें इन पिशाचों से बचानी हैं।

एक एफबी पोस्ट ये भी पढ़ें-

Advertisement. Scroll to continue reading.
1 Comment

1 Comment

  1. Zahir Abbas

    November 12, 2020 at 6:58 pm

    आपके द्वारा उठाए गए कथित प्रश्नों से ही आपकी इस्लाम के प्रति मानसिकता पता चलती है। आपने भारत के सभी मुसलमानों को पाकिस्तान परस्त करार देकर उन तमाम भारतीय मुसलमानों की भारतीयता ओर देशभक्ति की तौहीन की है, जो भारत के लिए कुर्बान हो चुके हैं। आपके लेख से यह बात साफ भी हो जाती है कि आपकी सोच और लेखन किस कदर दूराग्रह से ग्रसित है, क्योंकि आपने ना केवल इस्लाम बल्कि भारतीय मुस्लिमों पर भी कई संगीन आरोप लगा दिए हैं। इसलिए आपके प्रति मेरी पूरी सहानुभूति है।
    मैं आपको इस लेख में उठाए गए प्रश्नों का उदाहरण सहित जवाब दे रहा हूं। आपने ‘इस्लामिक आतंकवाद’ का जिक्र किया है। निश्चित रूप से आतंकवाद पर बहस होनी चाहिए, लेकिन मेरा सबसे पहला एतराज आतंकवाद को धर्म से जोडऩे पर है। अगर आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ा जाता है तो फिर पूर्व गृह मंत्री सुशील शिंदे के हिन्दू आतंकवाद वाले बयान पर इतना हल्ला क्यों मचाया गया। क्यों तब किसी भी धर्म को आतंकवाद से नहीं जोडऩे की बातें कहीं गई। और अगर केवल मुसलमान ही आतंकवाद है तो फिर स्वामी असीमानन्द, साध्वी प्रज्ञा, माया कोडनानी, बाबू बजरंगी क्या मुसलमान है? वर्तमान में देश के अनेक राज्यों में सक्रिय और आए दिन पुलिस, सेना और पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों की हत्याएं करने वाले नक्सली और माओवादी क्या आतंकवादी नहीं है? वे किस मजहब के आतंकवादी है? हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला कर लाखों लोगों को मौत के घाट उतार देना क्या आतंकवादी हमला नहीं था? प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध क्या मुसलमानों ने करवाए थे? अमेरिका में जो हमला होता है वह आतंकी घटना है, लेकिन जब वही अमेरिका ईराक, अफगानिस्तान को तबाह कर लाखों लोगों को मार देता है और पाकिस्तान में ड्रोन हमले कर लोगों को मारता है वह आतंकवाद नहीं है? श्रीलंका के दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादी ‘तमिल टाईगर’ क्या मुसलमान है? लिट्टे दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन है, जिसका पास पूरी अपनी फौज थी। इसी संगठन ने बच्चों को सबसे पहले हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी। मानव बम में भी यही अग्रणी रहे। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या भी इन्होंने ही की थी।
    1984 में जिन सिक्खों की हत्या की गई, उनके हत्यारे कौनसे मजहब के थे? सम्राट अशोक द्वारा किया गया कलिंग का संहार क्या था? अंग्रेजों द्वारा किया गया जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड क्या था? फिलीस्तिनियों का ईजराईल द्वारा किया जा रहा नरसंहार क्या है? बर्मा में रोहिंग्या मुसलमानों का कत्लेआम क्या आतंकवाद नहीं है? गुजरात में 2002 में जो हुआ क्या वह आतंकवाद नहीं था? इसके अलावा मुजफ्फरनगर, असम और पूरे देश में हो चुकी गई वारदातें क्या आतंकवाद नहीं है? म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों का कत्लेआम कौनसा आतंकवाद है? चीन में उइगर मुसलमानों का उत्पीड़न क्या आतंकवाद नहीं है? इन सब घटनाओं को गैर मुस्लिमों ने अंजाम दिया है, तो फिर इन घटनाओं को आप कौनसे चश्मे से देखते है? अगर निर्दोषों को मारना ही आतंकवाद है तो उपरोक्त घटनाओं को आप क्या कहेंगे और कौनसे धर्म से जोड़ेंगे?

    आपने ‘इस्लामिक शासन’ की बात उठाई। इसका जवाब है कि इस्लाम पूरी दुनिया को अपना मानता है, वह किसी एक राष्ट्र या क्षैत्र के बंधन में बंधकर नहीं रहता। क्योंकि जो सरहदें, सीमाएं खींची गई हैं वो खुदा ने नहीं बल्कि इंसानों ने खींची है। खुदा ने तो पूरी दुनिया ही बनाई थी। आज तालिबान, आईएसआईएस या उसके सहयोगी जो इस्लाम के नाम पर कर रहे हैं, इस्लाम उसकी अनुमति कदापि नहीं देता और हम उनकी कट्टरता का विरोध भी करते हैं। हमारी वही आस्था है जिसकी ओर कुरआन ने संकेत किया कि एक इंसान की हत्या मानो सम्पूर्ण इंसान की हत्या है। रही बात इस्लामिक शासन की तो भारत पर मुसलमानों ने हजार साल शासन किया, लेकिन क्या भारत मुस्लिम राष्ट्र बना? स्पेन पर 800 साल राज किया तो क्या स्पेन मुस्लिम राष्ट्र बना? दुनिया के 70 से अधिक देशों में बहुतायत मुस्लिम आबादी है, इस लिहाज से उन्हें मुस्लिम राष्ट्र कहा जा सकता है, लेकिन इसके अलावा भी दुनिया भर में मुसलमान रहते हैं, लेकिन उनका ऐसा कोई मकसद नहीं है।
    इस्लाम कभी भी तोडऩे की बात नहीं कहता, बल्कि उसका सिद्धांत है कि पूरी मानव जाति एक ही अल्लाह की बनाई हुई है। पूरे संसार को एक ही मनुष्य से पैदा किया गया है। इस्लाम न्याय, अच्छे व्यवहार, समानता की बात करता है। इस्लाम में जातिवाद, ऊंच-नीच, वर्ग भेद, लिंग-भेद की कोई जगह नहीं है। मानव जाति के लिए अर्पित, इस्लाम की सेवाएं महान हैं। कुरआन ने मनुष्य के आध्यात्मिक, आर्थिक और राजकाजी जीवन को मौलिक सिद्धांतों पर कायम किया है। संसार के सब धर्मों में इस्लाम की एक विशेषता यह भी है कि इसके विरुद्ध जितना भ्रष्ट प्रचार हुआ किसी अन्य धर्म के विरुद्ध नहीं हुआ। लेकिन उसके विरुद्ध जितना प्रचार हुआ वह उतना ही फैलता और उन्नति करता गया। समाज में विखंडनवाद कौन करता है यह सब जानते हैं। क्योंकि जहां जाति, धर्म, लिंग, वर्ग के आधार पर भेदभाव होते हों वहां समानता की बातें बेमानी है।
    आपके लेख से एक बात और निकलकर सामने आती है कि आप शायद इस्लाम और उसकी शिक्षाओं को मानते ही नहीं है। इसलिए मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या आपने इस्लाम का अध्ययन किया है? क्या आपने पाक कुरान को पढा है? मेरा दावा है कि अगर आप इस्लाम का बिना किसी दूराग्रह के अध्ययन कर लें तो आप यह सवाल ही नहीं उठाएंगे।
    अब मेरे आपसे कुछ सवाल है, जिसका मैं आपसे जवाब चाहता हँ। पहला यह कि कभी इराक, कभी अफगानिस्तान, कभी फिलीस्तीन, कभी अमेरिका, कभी बर्मा तो कभी भारत में कभी जात के नाम पर तो कभी आतंक मिटाने के नाम पर हजारों निर्दोष मुसलमान मारे जा रहे हैं। सम्पूर्ण विश्व में मुसलमानों को लादेन का भाई-बंधू बताकर या किसी संगठन से जुड़ा बताकर जेलों में ठूंसा जाता है। आतंकवाद के नाम पर केवल उसे ही फांसी पर लटकाया जा रहा है, जबकि फांसी की सजा पा चुके आतंकी भुल्लर, राजीव गांधी के हत्यारों और गोधरा के 11 आतंकियों को माफी की पेशकश की जा रही है। आज मुसलमान के साथ त्रासदी यह हो रही है कि उसी को मारा जा रहा है और उसी को आतंकवादी भी कहा जा रहा है।
    इसमें मीडिया की भूमिका भी सही नहीं है। किसी मुसलमान को आतंकवाद के आरोप में पकड़ा जाता है तो पूरा मीडिया गला फाड-फाड़ कर उसे न्यायालय के फैसले से पहले ही आतंकवादी घोषित कर देता है, लेकिन जब वही लोग रिहा हो जाते हैं तो मीडिया उनकी खबर तक नहीं दिखाता। देश की कई अदालतों ने मुसलमानों को आतंकवाद के आरोप से बाइज्जत रिहा किया है। यही नहीं तथाकथित आपके राष्ट्रवादी संघठन मुसलमानों को किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं देने देते, उन्हें इस मुल्क का निवासी ही नहीं समझा जाता। उन्हें पाक परस्त या विदेशी तक कहा जाता है। उनके मदरसों को आतंकवाद की फैक्ट्री कहा जाता है। इससे स्पष्ट है कि आपके संगठनों और आप जैसी मानसिकता वाले लोगों का मुसलमानों के प्रति व्यवहार उतना ही अमानवीय और सौतेला है, जितना दलितों और आदिवासियों के प्रति।
    रही बात हिंसा की तो वो मानव प्रवृत्ति पर निर्भर है। दुनिया का कोई भी समाज हिंसा से मुक्त नहीं है। मुझे दुनिया का एक भी ऐसा समाज या धर्म बता दीजिए, जिसमें हिंसा नहीं हुई है। अगर हिंसा को समाज और धर्म से जोड़ते हैं, तो इसका मतलब आप समाजशास्त्र को नहीं जानते।
    बेशक आप इस्लाम विरोधी होइए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। विचारधारा से सहमत या असहमत हुआ जा सकता है, लेकिन विरोधी होने में इतने भी पागल मत बन जाइए की इंसानियत को ही भूल जाएं।
    आज नेहरू-गांधी के देश को यह सिद्ध करना होगा कि जिन्ना की आशंका गलत थी और मुसलमानों का भारत पर भरोसा सही था, जो उन्होंने इस धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के प्रति अपने दिल में संजो रखा था। आज उसी भरोसे को कायम करना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। यही लोकतंत्र का तकाजा है और धर्मनिरपेक्षता की पुकार भी।

    जहीर अब्बास

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement