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वेब-सिनेमा

नेटफ्लिक्स पर ‘मेड’ : हिंदी में बेहतरीन तरीके से डब ये वेब सिरीज़ सच्ची कहानी पर आधारित है!

संजय श्रीवास्तव-

अमेरिकी की बेबी हल्दर… मैने हाल ही में नेटफ्लिक्स पर “मेड” के नाम से एक सीरीज देखी. अगर आप नेटफिलिक्स पर कुछ बेहतर यर्थाथवादी कहानी देखना चाहते हैं तो ये सच में कमाल की और सच्ची कहानी है. उस मेड की कहानी, जिसकी केवल 09 महीने की एक प्यारी सी बेटी थी, जिसे हिंसक और बदमिजाज बॉयफ्रेंड के जुल्मों से तंग आकर एक रात घर छोड़ना पड़ता है. फिर वो कई सालों तक बहुत गरीबी में रहकर नौकरानी का काम करती है. वह कॉलेज जाना चाहती है. क्रिएटर राइटर बनना चाहती है. गरीबी और संघर्षों के बीच दफन हो गए अपने इस सपने को फिर जीना शुरू करती है. वह डायरी लिखने लगती है. और यही डायरी जब किताब का रूप लेती है तो अमेरिका की बेस्ट सेलर बुक बन जाती है.

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नेटफ्लिक्स में इस वेबसीरीज का नाम है “मेड”. इसका पहला सीजन दस एपीसोड का है. हिंदी में बेहतरीन तरीके से डब.

ये सच्ची कहानी पर आधारित है. असल मेड वास्तव में कौन थी, कैसे पूरा अमेरिका अब उसे जानने लगा है, उसके बारे में तो आगे बताऊंगा ही लेकिन उससे पहले भारत में नौकरानी से जानी-मानी लेखिका बनी बेबी हल्दर की कहानी भी जरूर जान लेना चाहिए ताकि भारत और अमेरिका की दो ऐसी शख्सियत के बारे में जानें, जिन्होंने नौकरानी के तौर पर गुरबत के दिन देखे और अपनी प्रतिभा से अपना जीवन बदल दिया.

कुछ साल पहले अपने देश में बेबी हल्दर अचानक साहित्य जगत और पढ़ने – लिखने वालों के बीच चर्चित हो गईं. हल्दर का जीवन बहुत खराब था. मां मर चुकी थी. बाप पियक्कड़ था. बचपन में शादी हो गई. पति जुल्मी था. जल्दी जल्दी तीन बच्चे हो गए. जुल्म बढ़ने लगा और इंतिहा पर पहुंचा तो बेबी हल्दर ने 25 साल की उम्र में बच्चों के साथ दिल्ली की ट्रेन पकड़ी. यहां भाग आई. यहां घरों में काम करने लगी. तरह तरह के अनुभव हुए. किसी ने प्रताड़ित किया. किसी ने पैसा मार लिया. किसी ने गलत नजर डाली. जीवन मुश्किल था बहुत मुश्किल. जब वह गुड़गांव में प्रेमचंद के पोते प्रबोध कुमार के यहां काम कर रही थीं तो उन्होंने गौर किया कि घर की ये नौकरानी किताबों की शेल्फ के पास ज्यादा ठहरती है. किताबों को बहुत हसरत भरी निगाहों से देखती है. बेबी छठी क्लास तक पढ़ी थी. प्रबोध उसे किताब पढ़ने के लिए देने लगे. फिर उससे उन्होंने अपने जीवन की कहानी लिखने को कहा. वैसे तो एक नौकरानी की कहानी की लोगों की नजर में क्या अहमियत. हमारे घरों में जो नौकरानियां आती हैं, उन सबकी अपनी कहानियां हैं लेकिन हम शायद ही उन्हें कभी जान पाते हैं या जानना चाहते हैं.

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बेबी ने कापी और पेन खरीदी. उस पर अपनी कहानी लिखने लगी. वो कहानी जो ना जाने कितनी कहानियों, अनुभवों, पीड़ाओं, बाधाओं, संघर्षों और लम्हों में मिलने वाली छोटी छोटी खुशियों से गुंथी हुईं थीं. प्रबोध ने उसे पढ़ा. उसे संपादित किया और प्रकाशित भी कराया. अब तक उनकी इस किताब का कई विदेशी भाषाओं के साथ 21 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है. बेबी अब तक तीन किताबें लिख चुकी हैं. जिंदगी बदल गई है. हालांकि ये भी सच है कि अपने देश में साहित्यकारों की जिंदगी कितनी बदलती होगी. विनोद शुक्ल जैसे शीर्ष साहित्यकारों को रायल्टी में सालाना कुछ हजार ही मिल पाते हैं.

अब स्टेफनी लैंड की कहानी, जो असल में “मेड” वेब सीरीज की असल नायिका हैं, जीतीजागती नायिका. भले इस रोल को उन्होंने नहीं बल्कि बेहद संजीदगी से खूबसूरत आंखों और मासूम चेहरे वाली मार्गरेट क्यूले ने निभाया है. अगर आप इसको देखेंगे तो तय मानिए आप 27 साल की मार्गरेट के संजीदा अभिनय के कायल हो जाएंगे.

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तो अब स्टीफनी लैंड की कहानी भी जान लीजिए. वह 1978 में पैदा हुईं. अब करीब 44 साल की हैं. अब अमेरिका में जानी-मानी लेखिका और पब्लिक स्पीकर के तौर पर पहचान बना चुकी हैं. उनका सबसे अच्छा लिटरेरी काम उनकी आत्मकथात्मक किताब “मेड-हार्ड वर्क, लो पे एंड मदर्स विल टू सरवाइव” (Maid: Hard Work, Low Pay and a Mother’s Will to Survive) है. ये किताब 2019 में आई. आते ही बेस्ट सेलर बन गई. नेटफ्लिक्स ने 2021 में उनकी इस किताब पर टीवी सीरीज बनाने के अधिकार उनसे खरीदे. फिट एक साल से भी कम समय में पहला सीजन बनाकर उसे दुनियाभर में रिलीज भी कर दिया. लैंड इस समय अमेरिका में मेड अधिकारों और उनके संघर्षों पर बात करने वाली और उन पर खूब लिखने वाली लेखिका हैं. इसे लेकर अमेरिका में तमाम आर्टिकल लिखे हैं. जिसमें मेड सर्विस के तौर तरीकों, मेड्स के साथ होने वाली अभद्रता, शोषण और गरीबी के बारे में बयां किया है.

जब वह 20 साल के उम्र के दौर में थीं तो सिंगल मदर बन चुकी थीं. बॉयफ्रेंड के हिंसक व्यवहार से कितने ही समझौते करने के बाद आखिर एक रात उन्हें बेटी के साथ घर छोड़ दिया. मां-बाप पहले ही तलाक लेकर अलग हो चुके थे. उनकी अपनी अजीब जिंदगियां थीं. जब लैंड ने खुद और अपनी बेटी को पालने के लिए मेड के तौर पर घरों में सफाई का काम शुरू किया तो ये बहुत मुश्किल था. ना रहने का आसरा और ना ही पैसा. बस दुख ही दुख. बस दिक्कतें ही दिक्कतें. बस संघर्ष ही संघर्ष। कई सालों तक वो गरीबी में डूबती उतराती रही. किनारा तलाशती रहीं. वैसे शुक्रिया कहा जाना चाहिए अमेरिका के तमाम सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों और नीतियों का, जो ऐसी महिलाओं की मदद करता है, जो घरों में जुल्म का शिकार होती हैं, जिनके पास आसरा नहीं होता. इन नीतियों के चलते वो खुद अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए तैयार कर पाती हैं.

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हालांकि जब आप सिंगल माम होते हैं तो मुश्किलें किस कदर बढ़ जाती हैं सोचा भी नहीं जा सकता.

इसी बीच लैंड ने अपनी आपबीती लिखनी शुरू की, लिखती तो वो कमाल का थीं. इस डायरी में उसका गुरबत का दुखी जीवन भी था और सरकार की वो नीतियां भी, जिसने उन्हें सहारा दिया. 06 साल तक मेड का काम करने के बाद उनका जीवन तब बदलने लगता है जब एक युूनिवर्सिटी में उनका एडमिशन फॉर्म मंजूर कर लिया जाता है और ये होता है उनकी लेखन प्रतिभा की वजह से. फीस भरने के लिए स्टूडेंट लोन मिल जाता है. वर्ष 2014 में यूनिवर्सिटी ऑफ मोंटाना के बेचलर ऑफ आर्ट्स इन इंग्लिस एंड क्रिएटिव राइटिंग में दाखिला मिल जाता है. बस यही टर्निंग प्वाइंट था. यहीं से उनका जीवन बदलना शुरू होता है. यूनिवर्सिटी में रहने के लिए साफ सुथरा लेकिन लेकिन छोटा और बेहतर क्वार्टर मिलता है, जिसमें वो बेटी के साथ रह सकती थीं, लिख सकती थीं, पढ़ सकती थीं. स्कालरशिप ने उनके खर्चों को पूरा किया.

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पढाई के दौरान स्टीफनी लैंड ने ब्लॉग लिखना शुरू किया. अपने लेख और कहानियां स्थानीय अखबारों और इंटरनेट आधारित प्रकाशनों में पब्लिश कराना शुरू कीं. इससे भी कमाई होने लगी. फिर पहली किताब आने के बाद तो स्टेफनी का जीवन ही बदल गया. अब तक तो वह तीन किताबें लिख चुकी हैं. शादी कर चुकी हैं. जीवन बदल चुका है. अगर आप इंटरनेट पर जाइएगा तो स्टेफनी लैंड के बारे में बहुत कुछ पाइएगा.

अब नेटफ्लिक्स पर “मेड” सीरीज की बात. इसे इतनी खूबसूरती और बारीकी से फिल्माया गया कि आप इससे जुड़ते जाएंगे. “मेड” की हीरोइन मार्गरेट क्यूले ने भावप्रवण अभिनय किया तो बाकी कलाकार भी कहीं से कम नहीं. कहानी ज्यों ज्यों आगे बढ़ती है, आप खुद इस कहानी से जुड़ा महसूस करने लगते हैं. आपको इसकी हीरोइन मेड से हमदर्दी हो जाती है, जो गजब की जुझारू, संवेदनशील और प्यारी है. ये कहानी उसकी हिम्मत कहते हैं और खुद पर भरोसा करने की भी है.

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इस सीरीज को देखा जाना चाहिए. मैं इसे बेहिचक नेटफ्लिक्स पर हाल में आईं अच्छी सीरीज में एक कह सकता हूं.

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