मजीठिया की जंग : कोटा के रणबांकुरों को मिलेंगे 6.80 करोड़ रुपये…. लेबर कोर्ट कोटा का फैसला आ गया है। इससे जहां भास्कर प्रबंधन और मालिकों सहित बाकी अखबार मालिकों की नींद हराम हो गई है, तो वहीं मजीठिया वेजबोर्ड की लड़ाई लड़ रहे क्रांतिकारियों में खुशी की लहर है। एक साथ 43 साथियों के लाखों के क्लेम को कोर्ट ने मंजूरी देते हुए रिकवरी की आगामी कार्रवाई के लिए अवार्ड सरकार को भेज दिया है। अवार्ड के अनुसार इन सभी मजीठिया क्रांतिकारियों की कुल अवार्ड राशि 6 करोड़ 80 लाख, 3 हजार 91 रुपये बनी है।
इस फैसले की खास बातें यह रहीं कि इसमें दैनिक भास्कर प्रबंधन के वकीलों ने वो हर चाल चलने की कोशिश की थी, जिसके दम पर बाकी अखबार मालिक अपने कर्मचारियों का हक दबाए हुए हैं। इनमें प्रमुख मुद्दे 20 जे, समाचारपत्र स्थापना की क्लासिफिकेशन, कर्मचारी की प्रबंधकीय कैपेसिटी, रैफरेंस में त्रुटियां, क्लेम की गणना पर सवाल इत्यादी प्रमुख मुद्दे शामिल हैं। माननीय न्यायाधीश ने प्रबंधन के सभी तर्कों और दलीलों को खारीज करते हुए हर पहलू को विस्तार से अपनी जजमेंट में जगह दी है। अच्छी बात यह है कि यह जजमेंट हिंदी में होने के कारण हर अखबार कर्मचारी को इसे पढ़ने और समझने में कोई दिक्कत नहीं होगी। फिलहाल मजीठिया वेजबोर्ड की जंग लड़ रहे लड़ाकों में जश्न का माहौल है।
उधर, यह भी खबर मिली है कि इस जजमेंट से मालिकों के खेमे में मातम पसरा हुआ है। अब सबसे पहले मालिकों के उन चमचों और चापलूसों की नौकरी जाने वाली है, जो ये दावे करते आ रहे थे कि इन्हें कुछ नहीं मिलने वाला है। इस मामले में यह बात भी बताना जरूरी है कि मालिकों के चमचों ने कर्मचारियों को प्रबंधकीय श्रेणी में साबित करने के लिए झूठी गवाही तक दी थी, मगर काबिल न्यायाधीश की कानूनी दक्षता और कर्मचारी पक्ष के वकीलों के दलीलों और तर्कों के आगे यह टिक ना पाई। जजमेंट में इस पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि भले ही इस मामले में मौखिक गवाह खड़े किए गए थे, मगर सारे दस्तावेज और रिकार्ड न्योक्ता के पास मौजूद होने के बावजूद कागजी दस्तावेज प्रस्तुत न करना प्रतिवादी के खिलाफ गया है।
इसी तरह भास्कर ने ब्रांच की बैलेंसशीट के सहारे कोटा सेंटर को अलग स्थापना साबित करने की नाकाम कोशिश की और कर्मचारी पक्ष द्वारा प्रस्तुत की गई डीबी कार्प लिमिटेड की बैलेंसशीट ने उसका यह खेल खराब कर दिया। जज साहब ने एक्ट की धारा 2डी और बैलेंसशीट के आधार पर भास्कर की क्लासीफिकेशन क्लास-2 में स्वीकार की। वहीं झूठ का सहारा लेकर कर्मचारियों के क्लेम की सत्यता को उलझाने में जुटे विरोधी पक्ष को सीए ध्रूव गुप्ता के कोर्ट के समक्ष हाजिर होकर गवाही देने ओर जिरह में हर सवाल का जवाब देने के चलते क्लेम का दावा पुख्ता हो गया। कोट ने सीए की गवाही को अहम मानते हुए क्लेम स्वीकार किया, हालांकि ब्याज के मामले में कर्मचारी पक्ष महरूम रह गया। फिलहाल जो राशि कोर्ट ने तय की है, उसे जोड़ा जाए तो भास्कर को करोड़ों को झटका लगा है और अभी बाकी केसों में इससे भी बड़ा झटका मिलने की तैयार है।
द्वारा:
रविंद्र अग्रवाल
मजीठिया क्रांतिकारी
हिमाचल प्रदेश
मोबाइल नंबर : 9816103254
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