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हिमाचल में फैलने लगी मजीठिया संघर्ष की चिंगारी : एक-साथ दो दर्जन प्रेस कर्मी पहुंचे लेबर आफिसर के दफ्तर

हिमाचल प्रदेश में मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई को तब बड़ा बल मिला, जब एक साथ दो दर्जन पत्रकार व फैक्ट्री वर्कर एक साथ लेबर आफिसर धर्मशाला के दफ्तार लिखित शिकायत लेकर पहुंचे। अभी तक पिछले दस माह से सिर्फ एक ही पत्रकार रविंद्र अग्रवाल की शिकायतों व आरटीआई के फेर में फंसे लेबर इंस्पेटर अपनी कई सालों की नौकरी में पहली बार एक साथ इतने प्रेस कर्मियों को देखकर हैरान हो गए।

हिमाचल प्रदेश में मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई को तब बड़ा बल मिला, जब एक साथ दो दर्जन पत्रकार व फैक्ट्री वर्कर एक साथ लेबर आफिसर धर्मशाला के दफ्तार लिखित शिकायत लेकर पहुंचे। अभी तक पिछले दस माह से सिर्फ एक ही पत्रकार रविंद्र अग्रवाल की शिकायतों व आरटीआई के फेर में फंसे लेबर इंस्पेटर अपनी कई सालों की नौकरी में पहली बार एक साथ इतने प्रेस कर्मियों को देखकर हैरान हो गए।

यह बात है मंगलवार की, जब मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई अकेले लड़ते आ रहे रविंद्र अग्रवाल के साथ करीब दो दर्जन कर्मचारी अपने-अपने संस्थान की शिकायत के साथ पहुंचे। इनमेें सबसे ज्यादा तादात फैक्ट्री वर्करों की थी, क्योंकि अब तक की लड़ाई में एक बात तो साफ हो चुकी है कि खुद को पत्रकार का दगमा देकर शेखियां बघारने वाले तथाकथित पत्रकारों में कितना दम है। लिहाजा मजीठिया वेज बोर्ड की जंग में फैक्ट्री स्टाफ ने जो दम दिखाया है, वह काबिले गौर व प्रशंसनीय है।

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मंगलवार को लेबर आफिसर के पास पहुंचे कर्मचारियों में अधिकतर दैनिक जागरण की धर्मशाला यूनिट के कर्मचारी थे। इन्होंने अपनी शिकायत में लिखा है कि दैनिक जागरण उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड नहीं दे रहा है। साथ ही संस्था ने दीवाली के गिफ्ट की रिसिविंग पर हस्ताक्षर करवाकर उनके साथ धोखा किया है। इन हस्ताक्षरों को अन्य दस्तावेज के साथ चस्पा करके यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड लेने से इनकार कर दिया है।

इसके अलावा पंजाब केसरी की भी शिकायत की गई है। यह शिकायत करने की हिम्मत करने वाले का नाम ओम प्रकाश मक्कड़ है। जिन्होंने कई साल इस अखबार में बिना पैसे के काम किया और जब उन्हें स्टाफर रखा गया, तब भी अखबार ने तनख्वाह नहीं दी। केवल विज्ञापन के जरिए लूट खसूट मचाने के फरमान जारी कर दिया। जब विज्ञापन नहीं दिया तो खबरें बंद कर दीं। अब ओपी मक्कड़ ने पत्रकारिता को कलंकित करने वाली इस अखबार के खिलाफ बाकी साथियों के साथ मिलकर मोर्चा खोल दिया है। ज्ञात रहे कि पंजाब केसरी अखबार श्रम विभाग को भी आंखे दिखाती आ रही है और मजीठिया से जुड़ी जानकारी नहीं दे रही। कार्रवाई से बचने के लिए राजनीतिक आकाओं के जरिये विभाग पर दबाव बनाया जा रहा है, जो अब चलने वाला नहीं है। क्योंकि इस अखबार की शिकायत भी जल्द ही कोर्ट में की जाएगी।

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उधर, अब तक के अकेले संघर्ष में साथियों के साथ जुडऩे से खुश रविंद्र अग्रवाल ने बताया कि यह अब के संघर्ष की सबसे बड़ी जीत है। उन्होंने उम्मीद जताई कि बाकी साथियों को भी जल्द सदबुद्धि आएगी और वे भी इस आंदोलन में साथ देने के लिए आगे आएंगे।

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