Zafar Irshad : अफ़सोस–शर्मनाक–निंदनीय… जिन वरिष्ठ पत्रकार मनोज श्रीवास्तव ने अपनी पूरी ज़िन्दगी अमर उजाला अखबार को समर्पित कर दी, और नौकरी पर जाते समय जान दे दी..उन मनोज के निधन के बारे में आज अमर उजाला कानपुर ने एक लाइन नहीं छापी, कितने शर्म की बात है… “सही कहते है कि पत्रकार अपने आप में एक खबर है, लेकिन वो दूसरों का दुःख-दर्द तो लिखता है, लेकिन उसकी अपनी दर्द भरी कहानी लिखने वाला कोई नहीं हैं “…
लखनऊ में खबर तो अच्छे से छपी लेकिन कानपुर और दूसरे एडिशन में क्यों नहीं छापा गया… मनोज श्रीवास्तव की लिखी खबर तो आल एडिशन छपती थी लेकिन उनकी खुद की मौत की खबर सिर्फ एक एडिशन में ही सिमट कर क्यों रह गई?
पीटीआई कानपुर में कार्यरत पत्रकार जफर इरशाद के फेसबुक वॉल से.
Comments on “मनोज श्रीवास्तव के निधन की खबर अमर उजाला कानपुर ने एक लाइन नहीं छापी”
manoj sriwastav jinda rahane tak hi to akhawar k liye ho sakte the,mrityu k bad to unka kam nhi raha ,ye akhwarou ka sach hai, hamai yad aa raha hai, Ramesh Puri meerut mai siniour sab the, dehradoon adition sthana mai unka maharwpurn yogdan raha our jab we retayar huye amar ujala mai vidai ka yek shabd nahi tha. hamai 4 mah bad unke retayar hone ki khabar lagi.
Bhai paper pada karo. Page 1 par lagi h.
Bahi paper pada karo.page 1 par lagi h.
अखबार पढ़ लिया करो भाई, अमर उजाला के कानपुर संस्करण में यह खबर छपी है
अखबार पढ़ लिया करो भाई, अमर उजाला के कानपुर संस्करण में इस खबर को प्रमुखता से स्थान दिया गया है।