मनोज श्रीवास्तव के निधन की खबर अमर उजाला कानपुर ने एक लाइन नहीं छापी

Zafar Irshad : अफ़सोस–शर्मनाक–निंदनीय… जिन वरिष्ठ पत्रकार मनोज श्रीवास्तव ने अपनी पूरी ज़िन्दगी अमर उजाला अखबार को समर्पित कर दी, और नौकरी पर जाते समय जान दे दी..उन मनोज के निधन के बारे में आज अमर उजाला कानपुर ने एक लाइन नहीं छापी, कितने शर्म की बात है… “सही कहते है कि पत्रकार अपने आप में एक खबर है, लेकिन वो दूसरों का दुःख-दर्द तो लिखता है, लेकिन उसकी अपनी दर्द भरी कहानी लिखने वाला कोई नहीं हैं “…

अमर उजाला ने मनोज श्रीवास्तव की मौत पर विस्तार से और सकारात्मक खबरें छापकर शानदार काम किया है

: संवाददाता के निधन की खबरें छापकर पत्रकारिता मे नए युग का सूत्रपात : उपजा की लखनऊ इकाई में आयोजित हुई शोकसभा : लखनऊ 9 अक्टूबर। वरिष्ठ पत्रकार मनोज श्रीवास्तव को यू0पी0 जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के कार्यालय में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। वक्ताओं ने उन्हें खबरों पर पैनी नजर रखने वाला स्वाभिमानी किन्तु अहंकार रहित पत्रकार बताया। उल्लेखनीय है कि अमर उजाला के विशेष संवाददाता स्वर्गीय मनोज श्रीवास्तव का 7अक्टूबर को दिल का दौरा पड़ने से वाराणसी में निधन हो गया था।

मनोज श्रीवास्तव ने पत्रकारिता का रोब दिखाकर अपनी पत्नी का तबादला लखनऊ नहीं कराया, बल्कि वह स्वयं वाराणसी चले गये

लखनऊ । वरिष्ठ पत्रकार मनोज श्रीवास्तव को आज यू.पी. प्रेस क्लब में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। वक्ताओं ने उन्हें उसूलों से समझौता न करने, खबरों पर पैनी नजर रखने और जल्द ही लोगों को दोस्त बना लेने वाला स्वाभिमानी पत्रकार बताया। अमर उजाला के विशेष संवाददाता स्वर्गीय मनोज श्रीवास्तव का परसों दिल का दौरा पड़ने से वाराणसी में निधन हो गया था। कल सुबह यहां बैकुण्ठ धाम पर उनके इष्ट मित्रों, राजनेताओं ओर पत्रकारों की भारी भीड़ के बीच अन्त्येष्टि की गयी।

मनोज श्रीवास्तव के व्यक्तित्व में एक आवारापन रहा… जगमगाती जागती सड़कों पे आवारा फिरने का आवारापन….

alok paradkar : हम नहीं हैं आदमी, हम झुनझुने हैं… मनोज श्रीवास्तव जी को पहले भी जब याद करता था, उनके द्वारा दोहरायी जाने वाली दुष्यन्त कुमार की पंक्ति ‘जिस तरह चाहो बजाओ इस सभा में, हम नहीं हैं आदमी, हम झुनझुने हैं’ की याद हो आती। पत्रकारों, खासकर अपने से जूनियर पत्रकारों, की आपसी भेंट-मुलाकातों में वे इसे अक्सर कहा करते थे और जब कभी नहीं कहते तो हम उन्हें इसकी याद दिला देते। फिर अपनी पीड़ा की इस अभिव्यक्ति पर हम सभी ठहाका लगाते। यह उस सामूहिक पीड़ा की अभिव्यक्ति थी जो किसी मीडिया संस्थान में प्रशिक्षु उपसम्पादक से लेकर विशेष संवाददाता तक की होती है। alokparadkar

( File Photo Alok Paradkar )

श्रद्धांजलि : यकीन नहीं हो रहा कि मनोज श्रीवास्तव हम लोगों के बीच में नहीं हैं

Yashwant Singh : जब मैंने लखनऊ से अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत की तो जिन कुछ पत्रकारों का सानिध्य, संग, स्नेह, मार्गदर्शन मिला उनमें से एक मनोज श्रीवास्तव जी भी हैं. पर इनके आज अचानक चले जाने की सूचना से मन धक से कर के रह गया. लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार साथियों ने मुझे फोन पर सुबकते हुए मनोज के निधन की सूचना दी. मनोज श्रीवास्तव शख्स ही ऐसे थे कि वे सभी के प्रिय थे. तभी तो वे लखनऊ की अच्छी खासी पत्रकारिता को त्यागकर बनारस रहने के लिए तबादला लेकर चले गए थे.

अमर उजाला, लखनऊ के पत्रकार मनोज श्रीवास्तव का हार्ट अटैक से निधन

एक दुखद खबर बनारस से आ रही है. अमर उजाला में कार्यरत पत्रकार मनोज श्रीवास्तव का हार्ट अटैक से निधन हो गया. मनोज अमर उजाला लखनऊ में लंबे समय से कार्यरत थे और कुछ माह पहले ही तबादला कराकर बनारस आए थे. मनोज की पत्नी बनारस में शिक्षिका हैं. सिगरा महमूरगंज में मनोज और उनकी पत्नी ने एक फ्लैट खरीदा और इसी में रह रहे थे. पत्नी पढ़ाने गई हुई थीं. मनोज की इकलौती संतान उनकी बिटिया झांसी से एमबीबीएस कर रही हैं. घर पर मनोज अकेले थे और अमर उजाला आफिस जाने के लिए तैयार होकर निकल रहे थे.