संजय कुमार सिंह-
अपने लिए मुकदमे वापस लेने और जनता के लिए ठोंक दो की नीति पर चलने वाली भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश सरकार को सत्ता में बने रहने के लिए दोबारा जनादेश लेना है, जिसका क्रम चल रहा है और हर बार की तरह इस बार भी हर उपाय आजमाए जा रहे हैं। उपाय ज्यादा अनैतिक और ज्यादा फूहड़ हैं। इसलिए माना जा रहा है कि पार्टी की हालत पतली या खराब है। जो भी हो, मीडिया का काम है वोट बटोरू उपायों पर नजर रखना और उनका प्रचार-प्रसार करना ताकि मतदाता और विपक्षी दल – दोनों सतर्क किया जा सके। पर गोदी मीडिया से ऐसी अपेक्षा नहीं जा सकती है और ऐसे में एक उपराज्यपाल चुनाव से पहले मंदिर-मंदिर कर रहे हैं। निश्चित रूप से यह मामला दिलचस्प है पर इसकी चर्चा नहीं है। वैसे भी, ऐन चुनाव के समय एक राज्यपाल को अपने गृह जिले के मंदिरों की याद क्यों आ रही है।
उपराज्यपाल हैं, जम्मू-कश्मीर के मनोज सिन्हा जो 25 फरवरी से चार बार गाजीपुर के मंदिरों के चक्कर लगा चुके हैं। गृह जिले में मतदान से पहले उनका यह आगमन तय कार्यक्रम के अनुसार विधिवत हो रहा है और वे वोट की अपील भी नहीं कर रहे हैं लेकिन दौरा किसलिए? एक राज्य का चुनाव सात चरण में और आखिरी चरणों में किसी राज्यपाल को अपने गृह जिले के मंदिरों की याद आये तो मामला गौरतलब है। उपराज्यपाल सोमेश्वर नाथ मंदिर में रुद्राभिषेक, अपने पैतृक गांव मोहनपुरा के आवासीय परिसर स्थित राम-जानकी मंदिर में विधिवत दर्शन-पूजन कर चुके हैं। इसके पहले श्री सिन्हा वाराणसी से चंदौली होते हुए जमानियां के रास्ते गाजीपुर पहुंचे थे। तब उन्होंने महेवां में महेश्वरनाथ, ढढ़नी के चंडी माई, करहियां में मां कामाख्या, सुहवल में महादेव मंदिर में दर्शन-पूजन किया था।
रास्ते में शहीद कर्नल एमएन राय की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया था। बाद में जिला मुख्यालय आकर विश्राम करने के बाद वाराणसी लौट गए थे। पर मंदिर मंदिर किसलिए? समाजवादी पार्टी ने इसपर एतराज किया है। पार्टी ने मनोज सिन्हा के आगमन और केंद्रीय मंत्री डॉ.संजीव बलियान के भाजपा चुनाव अभियान में हिस्सेदारी पर एतराज किया है। पार्टी के जिलाध्यक्ष रामधारी यादव ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को इस आशय की चिट्ठी भी भेजी है। इसमें उन्होंने लिखा है, जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा, मंदिर दर्शन के बहाने चार-पांच दिन से गाजीपुर में जमे हुए हैं। संवैधानिक पद का दुरुपयोग कर रहे है। उन पर अंकुश लगाया जाना पारदर्शी व निष्पक्ष चुनाव के लिए नितांत आवश्यक है।
इसी तरह, केंद्रीय मंत्री डॉ.संजीव बलियान पर गाजीपुर के जंगीपुर विधानसभा क्षेत्र में डेरा जमाकर शासन-प्रशासन को प्रभावित कर चुनाव में बाधा पहुंचाने का आरोप है। सपा जिलाध्यक्ष ने इस मामले में वैधानिक कार्रवाई का आग्रह किया है। दूसरी ओर, तथ्य यह भी है कि भाजपा नेतृत्व ने केंद्रीय मंत्री डॉ.संजीव बलियान को गाजीपुर का चुनाव प्रभारी बनाया है और वह 22 फरवरी से गाजीपुर में कैंप कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा नेता सपा जिलाध्यक्ष को ट्रोल कर रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि मनोज सिन्हा के मंदिर भ्रमण का भाजपा के लिए जो सकारात्मक असर होगा वह तो होगा ही इसके विरोध को हिन्दू विरोध का रंग दिया जा सकता है। इसलिए, भाजपा की यह प्रचार शैली दुतरफा असर करती है।
इसीलिए, उप राज्यपाल ने करंडा क्षेत्र के सइतापट्टी में नागा बाबा धाम, नंदगंज के हनुमान मंदिर में मत्था टेक चुके हैं। फिर वह (मंगला भवानी उजियार, बलिया) चले गए। वापसी में कुंडेसर के शिव मंदिर में भी दर्शन किए। इस मौके पर उनके समर्थक उनके साथ रहते हैं। प्रमुख मंदिरों में दर्शन-पूजन चल रहा है। भले ही यह पूरी तरह तरह अनैतिक है लेकिन समाजवादी पार्टी के अलावा किसी ने इसका विरोध भी जोरदार ढंग से नहीं किया है। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषण में मनोज सिन्हा का उल्लेख किया था। परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के बाद मनोज सिन्हा का नाम लेते हुए कहा था कि गाजीपुर ने मनोज सिन्हा के रूप में एक ऐसा रत्न दिया है जो देश की मुकुटमणि जम्मू-कश्मीर को संभाल रहा है। ऐसे में यह संभावना भी लगती है कि पार्टी मनोज सिन्हा को अपना पुजारी प्रतिनिधि बना रही हो। इस बीच शुक्रवार, 25 फरवरी को वाराणसी में उनकी कार दुर्घटना ग्रस्त हो गई थी। संयोग से उन्हें कोई चोट नहीं पहुंची। लोहे के पिलर के बीच से वाहन निकालने के चक्कर में गाड़ी का बायां हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। कार का एक चक्का पंक्चर भी हो गया।
उल्लेखनीय है कि मनोज सिन्हा नरेन्द्र मोदी की पिछली सरकार में रेल राज्यमंत्री रह चुके हैं। गाजीपुर लोकसभा सीट से भाजपा के प्रतिनिधि रहे हैं। मनोज सिन्हा 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल थे। उनका मुख्यमंत्री बनना लगभग तय था। उसी दौरान उन्होंने काशी के ‘कोतवाल’ कालभैरव व संकटमोचन मंदिर में दर्शन-पूजन भी किया था। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने पर यह चर्चा आम थी। 2019 में उनके साथ दूसरा हादसा हुआ और वे गाजीपुर से लोकसभा चुनाव में एसपी-बीएसपी गठबंधन के प्रत्याशी अफजाल अंसारी से 1,19,392 वोटों से हार गए। पर प्रधानमंत्री से करीबी का लाभ मिला और वे उप राज्यपाल बना दिए गए। ऐसे व्यक्ति का चुनाव से पहले मंदिर-मंदिर करने के अपने मायने हैं। यह समझना मुश्किल है कि ऐसा वे अपनी कुर्सी के लिए कर रहे हैं, पार्टी के लिए, या प्रधानमंत्री के लिए। संभव है भविष्य में उन्हें पार्टी का ‘मंदिर प्रतिनिधि’ बनाने का अर्थ समझ में आए।
चर्चा यह भी है कि भाजपा ने गाजीपुर जिले में मनोज सिन्हा के समर्थकों को उम्मीदवार बनाया है। यहां 7 मार्च को मतदान है और राज्यपाल फरवरी के आखिरी दिनों से ‘सक्रिय’ हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में गाजीपुर जिले में मनोज सिन्हा की पसंद के उम्मीदवार उतारे गये थे। जो तीन विधायक जीते थे उनको 2022 में बरकरार रखा गया है। भाजपा ने गाजीपुर जिले की छह में से पांच सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिये थे। जहूराबाद सीट पर काफी दिनों तक मंथन चलता रहा। आखिरकार कालीचरण राजभर को यहां से उतार गया। कालीचरण बसपा के टिकट पर जहूराबाद से 2002 और 2007 में विधायक रह चुके हैं। इन तथ्यों को मनोज सिन्हा से नरेन्द्र मोदी की करीबी के आलोक में देखिए तो उत्तर प्रदेश में भाजपा की राजनीति समझ में आ जाएगी।