Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

ये है विकास : देखिए मोदी के बनारस में मनुष्य की औक़ात!

शीतल पी सिंह-

बताया गया कि संलग्न चित्र बनारस का है जहां से अमृत काल के राजनैतिक स्वप्नदर्शी मोदीजी सांसद हैं जिन्होंने नदी के घाटों के विकास पर हज़ारों करोड़ फूंकने का लक्ष्य रखा है लेकिन शहर के सीवरों को साफ़ करने के लिए चंद करोड़ की मशीनें मंगाने में कोई रुचि नहीं है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सीवर आज भी इंसान मल के कीचड़ में नंगे शरीर घुसकर साफ़ कर रहा है । हमारी मायथालौजी में पुष्पक विमान बनाने के
ज्ञान का दावा है लेकिन पैखाना साफ़ करने और सीवर व्यवस्थित करने के लिए हमने मनुष्यों के एक वर्ग को ही पीढ़ी दर पीढ़ी सीवर का प्राणी बनाकर रख छोड़ा है।

ज़रा भी शर्म बची हो तो सबसे पहले मनुष्य की इस दुर्गति को पहले आदेश से समाप्त कीजिए महोदय!

सत्येंद्र पीएस-

Advertisement. Scroll to continue reading.

बनारस के फोटो पत्रकार और भूतपूर्व मित्र उत्तम ने एक फोटो खींची, जिसमें एक सफाई कर्मी गले तक नाले में डूबा हुआ था। फोटो को पुरस्कार भी मिला। चर्चा भी हुई। बनारस की ही फोटो थी।

लेकिन यह भारत में रोजाना की घटना है कि मेन सीवर में घुसने से सफाईकर्मियों की मौत हो जाती है। कई साल पहले मैंने लिखा था कि चार्ली चैप्लिन की 1930 के आसपास की एक फ़िल्म देखी जिसमें मशीन से नाले की सफाई दिखाई गई थी। आज पूरी दुनिया में मशीन से नाले की सफाई होती है, लेकिन भारत में अभी भी 5 या 7 हजार रुपये महीना पाने वाले कर्मी नाले में उतरते हैं और हर साल हजारों की संख्या में मर जाते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अगर नाला सफाई का मशीनीकरण करना हो तो बमुश्किल इसका 40 हजार करोड़ का बजट होगा, लेकिन शर्मनाक है कि सरकार उस पर विचार नहीं करती।

इसकी एक वजह यह है कि जिस जाति के लोग नाले में उतरते हैं उसका शासकों से लेना देना नहीं है, वह उनका रिश्तेदार नहीं होता। फरीदाबाद में नाले में 2 सफाईकर्मी की मौत की खबर पढ़कर मूड उखड़ गया।

कल मेरे खाने को लोगों ने ऐसा नजिरियाया कि मुझे पचा ही नहीं। रात को खाना ही नहीं खा पाया। सुबह चावल का वडा बनाया लेकिन यह खबर मूड ऑफ कर चुकी थी। न बनाने में मजा आया न खाने में। अच्छे मूड से खाना बने तभी उसका टेस्ट अच्छा होता है और खाने में मजा आता है। आज मन नहीं लगा, हालांकि बच्चों ने खाया और कहा कि अच्छा बना है। मेरा मूड इतना ऑफ था कि बार बार यही पूछ रहा था कि 3 घण्टे मेहनत करके मैंने बनाया है, कहीं इसलिए तो तुम लोग नहीं कह रहे हो कि अच्छा बना है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement