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उत्तर प्रदेश

अखिलेश यादव की मीडिया हेल्प लाइन को महत्व नहीं देते अधिकारी

रामजी मिश्र ‘मित्र’

सीतापुर (उत्तर प्रदेश) : अखिलेश यादव ने मीडिया हेल्प लाइन की स्थापना कर मीडिया कर्मियों के दिल में जगह बनाने की कोशिश की थी. लेकिन इसकी सच्चाई अब सामने आ रही है. अखिलेश के ही अधिकारी इस मीडिया हेल्प लाइन को भाव तक नहीं देते. मीडिया हेल्प लाइन का लक्ष्य यह था कि इससे मीडिया कर्मियों की शिकायतों का निस्तारण किया जा सकेगा. इस हेल्प लाइन की स्थापना को कुछ महीने भी न बीते होंगे कि इसे अधिकारियों ने भाव देना बंद कर दिया. सीतापुर जिले से “मीडिया ए वतन” नामक पत्रिका के घोषणा पत्र के सम्बन्ध में अधिकारियों द्वारा अवरोध उतपन्न करने का एक मामला मीडिया हेल्प लाइन पर दर्ज कराया गया था. मामला दर्ज हुए चार महीने तक बीत गए लेकिन डीआईओ ने मीडिया हेल्प लाइन को कोई जवाब तक देना मुनासिब नहीं समझा.

<p>रामजी मिश्र 'मित्र'</p> <p>सीतापुर (उत्तर प्रदेश) : अखिलेश यादव ने मीडिया हेल्प लाइन की स्थापना कर मीडिया कर्मियों के दिल में जगह बनाने की कोशिश की थी. लेकिन इसकी सच्चाई अब सामने आ रही है. अखिलेश के ही अधिकारी इस मीडिया हेल्प लाइन को भाव तक नहीं देते. मीडिया हेल्प लाइन का लक्ष्य यह था कि इससे मीडिया कर्मियों की शिकायतों का निस्तारण किया जा सकेगा. इस हेल्प लाइन की स्थापना को कुछ महीने भी न बीते होंगे कि इसे अधिकारियों ने भाव देना बंद कर दिया. सीतापुर जिले से "मीडिया ए वतन" नामक पत्रिका के घोषणा पत्र के सम्बन्ध में अधिकारियों द्वारा अवरोध उतपन्न करने का एक मामला मीडिया हेल्प लाइन पर दर्ज कराया गया था. मामला दर्ज हुए चार महीने तक बीत गए लेकिन डीआईओ ने मीडिया हेल्प लाइन को कोई जवाब तक देना मुनासिब नहीं समझा.</p>

रामजी मिश्र ‘मित्र’

सीतापुर (उत्तर प्रदेश) : अखिलेश यादव ने मीडिया हेल्प लाइन की स्थापना कर मीडिया कर्मियों के दिल में जगह बनाने की कोशिश की थी. लेकिन इसकी सच्चाई अब सामने आ रही है. अखिलेश के ही अधिकारी इस मीडिया हेल्प लाइन को भाव तक नहीं देते. मीडिया हेल्प लाइन का लक्ष्य यह था कि इससे मीडिया कर्मियों की शिकायतों का निस्तारण किया जा सकेगा. इस हेल्प लाइन की स्थापना को कुछ महीने भी न बीते होंगे कि इसे अधिकारियों ने भाव देना बंद कर दिया. सीतापुर जिले से “मीडिया ए वतन” नामक पत्रिका के घोषणा पत्र के सम्बन्ध में अधिकारियों द्वारा अवरोध उतपन्न करने का एक मामला मीडिया हेल्प लाइन पर दर्ज कराया गया था. मामला दर्ज हुए चार महीने तक बीत गए लेकिन डीआईओ ने मीडिया हेल्प लाइन को कोई जवाब तक देना मुनासिब नहीं समझा.

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खुद मीडिया हेल्प के लोगों ने अधिकारियों द्वारा की गई लापरवाही को स्वीकार करते हुए उन्हें दोषी माना है लेकिन हेल्प लाइन के लोग अब भी कार्यवाही की आस लगाए बैठे हैं. उधर, अखबार के टाइटल के खत्म होने में कुछ समय ही शेष बचा है. मीडिया हेल्प लाइन के सुखदेव यादव के अनुसार उनके यहाँ से पचासों रिमाइंडर भी भेजे गए लेकिन वह जवाब ही नहीं पा सके. इस मसले पर महोली के उप जिलाधिकारी ने कहा वह मीडिया हेल्प लाइन के बारे में नहीं जानते और उन्हें कोई रिमाइंडर भी नहीं भेजा गया है अब तक. इधर डी आई ओ ने कुछ दिनों पहले अपनी बचत के लिए उपजिलाधिकारी अतुल के खिलाफ मामला जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज करा दिया था जो कि अब तक पेंडिंग है. इस मसले पर डी आई ओ न तो कोई कार्यवाही कर सकीं और न तो कोई जवाब भेज सकीं. फिलहाल डी आई ओ ने तीन दिन की छुट्टी का बहाना बना कर जवाब भेज देने की बात कही है.

इससे पहले एस डी एम ने इसी प्रकरण पर लिखित में एक हस्ताक्षर सहित जनसुनवाई पोर्टल पर बयान डाला था जिसमे लिखा था कि प्रकरण मनगढंत है और प्रशासन पर दबाव बनाने की मंशा है. उनका यह जवाब आज तक किसी के गले नहीं उतर पा रहा था कि उन्होंने इस बीच में मीडिया हेल्प लाइन से ही अनभिज्ञता जताने वाला नया बयान दे दिया है. अब ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि अखिलेश यादव की मीडिया हेल्पलाइन के तहत मीडिया कर्मियों को कैसे मदद दी जा सकेगी. खासकर जब अधिकारी चार चार महीनों तक प्रकरणों पर संज्ञान लेने की आवश्यकता तक न समझते हो.

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तहसील के उपजिलाधिकारी अतुल ने मीडिया हेल्प लाइन की जानकारी तक होने से इनकार कर दिया है। एसडीएम अतुल ने मीडिया हेल्प लाइन के सम्बन्ध में यह भी कहा कि ऐसी तमाम मीडिया चला ही करती हैं,  वो उपजिलाधिकारी हैं, कहाँ तक क्या क्या देखें। अतुल मीडिया हेल्प लाइन में दर्ज एक प्रकरण के मामले पर जवाब दे रहे थे। यह मामला महोली तहसील के एसडीएम अतुल से जुड़ा है जो लगातार भ्रष्टाचार के चलते सुर्खियों में रहने लगे हैं। एस डी एम अतुल समय समय पर अखबारों में उनके करप्शन से संबंधित प्रकाशित खबरों पर कहते हैं यह सब मनगढंत है और प्रशासन पर दबाव बनाने की मंशा से ऐसा किया जाता है।

रामजी मिश्र ‘मित्र’
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