दीपांकर-
मैन्युफैक्चरिंग कंसेंट क्या है… तीन ट्रेनें आपस में टकराई, तीन सौ से ज्यादा लोग मारे गए, हजारों घायल हैं. मृतकों की क्या हालत है, घायलों का इलाज कैसे हो रहा है, ऐसी भीषण दुर्घटना के हालात क्यों बने रेलवे कर्मचारियों को ओवरटाइम क्यों करना पड़ रहा है, सिग्नलिंग डिवाइस बनाने वाली कंपनी का मंत्री जी से क्या सम्बन्ध है, रेलवे के ठेके किन प्राइवेट प्लेयर्स को दिए जा रहे हैं, उसकी गुणवत्ता कैसी है.


ये सब दिखाने के बजाए मीडिया रेल मंत्री की तारीफ करने में लगा है कि मंत्री जी तो चौबीस घंटे से दुर्घटना स्थल पर बने हुए हैं.
यही मैन्युफैक्चरिंग कंसेंट है. आपका दिमाग मास मीडिया का गुलाम है, वो जैसे चाहेंगे वैसे आप सोचेंगे.
लोगों की मौत से ज्यादा अब मीडिया के लिए ये महत्वपूर्ण है कि मंत्री मौके पर हैं, कोई मंत्री होने के कारण अगर मौके हालत पर है तो अप्रत्याशित क्या कर रहा है?
लोगों की मौत हुई है लेकिन मीडिया सरकार के लिए अपनी तरफ से लंगोट सिलने में लगा है. सवाल पूछने की हिम्मत नहीं है ये तो समझ में आता है, लेकिन इन लोगों के लिए मौतों और घायलों से ज्यादा महत्वपूर्ण दुर्घटना स्थल पर मंत्री का होना है? उधर लोगों की मौत हुए चौबीस घंटे भी नहीं बीते इधर मंत्री की तारीफ में कसीदे पढ़े जाने लगे.
तमाशा देखिए ये कि दुर्घटना स्थल पर माइक से भारत माता की जय के नारे लगा रहे हैं. बस इतना याद रखिए ऐसी ही किसी ट्रेन में आप भी हो सकते हैं. कोई आयेगा भारत माता की जय का नारा लगा कर चला जायेगा, आप पार्टी बचाते ही रह जाएंगे.