अवधेश कुमार-
मैं अभी उत्तर प्रदेश के सिकंदराराऊ विधानसभा क्षेत्र में था। यहां भी मैंने वही स्थिति देखी। भाजपा विधायक वीरेंद्र सिंह राणा के विरुद्ध व्यापक असंतोष है। यादव लोग तो सपा के साथ हैं मान लिया। मुझे ब्राह्मण भी मिले, जो कह रहे हैं कि विधायक कभी जीतने के बाद आया ही नहीं। कह रहे हैं कि कोई काम ही नहीं किया।
मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि भाजपा के विधायकों ने 5 सालों में ऐसा क्या किया जिससे लोग कितने नाखुश हैं। यहां भी वही स्थिति है। योगी मोदी से नाराजगी नहीं है। हालांकि सरकार की कुछ नीतियों की आलोचना करते हैं लेकिन कहते हैं कि यह विधायक है इसलिए वोट नहीं दूंगा।
यहां सपा ने बुद्धिमानी से ललित प्रताप बघेल को खड़ा कर दिया है। बसपा ने अवधेश कुमार सिंह को टिकट दिया है। यहां राजपूतों की बहुतायत है। उसके बाद यादव है। तो सपा का समीकरण यादव, मुसलमान एवं बघेलों की संख्या हो गई। इसके समानांतर भाजपा के ठाकुरों में भी राणा का विरोध है। भाजपा के अंदर भी असंतोष है।
बसपा यहां जीतेगी नहीं लेकिन ठाकुर उम्मीदवार के कारण भाजपा का वोट जरुर काटेगी। भाजपा ने नया उम्मीदवार दिया होता तो स्थिति बुरी नहीं होती।
मैं अभी एटा में हूं। यह जगह ऐसा है जहां बता रहे हैं कि भाजपा विधायक के खिलाफ नाराजगी नहीं है। हालांकि ज्यादातर मैंने आम आदमी से बात की मैंने पूछा कि क्या भाजपा विधायक के खिलाफ नाराजगी है? लोग कह रहे हैं कि नहीं है। किस आधार पर वोट डालेंगे? कह रहे हैं कि कानून और व्यवस्था के आधार पर डालेंगे। गुंडागर्दी खत्म हुई है। लेकिन कुछ सपा के वोटर मिलते हैं वह उल्टी बात बताते हैं।