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सुख-दुख

चीन ने 10 हमारे जवानों को छोड़ा, फिर सामने आया मोदी सरकार का झूठ

सौमित्र रॉय

चीन ने हमारे उन 10 जवानों, अफसरों को रिहा कर दिया है, जो सोमवार रात गलवान घाटी की भिड़ंत के बाद अगवा किये गए थे।

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कल ही भारत के सरकारी प्रवक्ता झूठ बोल रहे थे कि चीन के कब्जे में कोई भारतीय सैनिक नहीं हैं।

भारत के विदेश मंत्री भी कल झूठ बोल रहे थे कि भिड़ंत के वक़्त हमारे सैनिक निहत्थे नहीं थे।

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असल में ये सारा झूठ उस खोखले राष्ट्रवाद के बहाने बीजेपी और आरएसएस की सियासत को हवा देने के लिए गढ़ा जाता है, जिसका असल मकसद हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना है।

कल पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बहुत साफ कहा कि अगर चीन से LAC पर यूँ ही निहत्थे भिड़ना है तो आरएसएस अपने चढ्ढों को बॉर्डर पर भिजवाए।

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दरअसल, मंत्री-संतरी खुद झूठ नहीं बोल रहे हैं। उन्हें ऊपर से झूठ बोलने के लिए कहा जा रहा है।

नेताओं और उनकी चमचागीरी करने वाले नौकरशाह बाबुओं की बात तो समझ आती है। लेकिन जब करनैल-जनरैल भी झूठ बोलने लगें तो देश कमज़ोर होता है। देश की अखंडता कमज़ोर होती है।

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कल चीन ने यह भी कहा कि अगर भारत ने जवाबी कार्रवाई का दुस्साहस किया तो पाकिस्तान और नेपाल का मोर्चा भी खुल सकता है।

आप CAG की संसद में पेश 2017 की रिपोर्ट पढ़ें। पता चलेगा कि चीन और पाकिस्तान के मोर्चे पर एक साथ भारत 12 दिन से ज़्यादा जंग नहीं लड़ पायेगा। लेकिन मोदी सरकार ने तो CAG जैसी संस्था का ही गला घोंट दिया।

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अब चीन की चुनौती को देखकर रूस से सुखोई और मिग मंगाने की तैयारी हो रही है। 4 राफाल जुलाई तक मिलेंगे।

भारत राष्ट्रवाद के नशे में चूर इस कदर घमंडी हो चुका है कि उसने राष्ट्रीय सुरक्षा से भी मुंह फेर लिया है।

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चीन मई में हमारे इलाके में नहीं घुसा। वह पिछले साल नवंबर से ही घुसपैठ कर चुका था।

जब मोदी सरकार ने पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर को 3 हिस्से में बांट दिया, तभी आपरेशन गलवान की योजना बन गई थी। लेकिन तब हम झूठे राष्ट्रवाद का जश्न मना रहे थे।

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कारगिल भारत के ख़ुफ़िया तंत्र की बड़ी चूक थी। पूरी दुनिया जानती है। देश की सेना ने इसकी बड़ी कीमत चुकाई है।

तभी चूक के कारणों की पड़ताल करने वाली कमेटी ने बॉर्डर पर बेहतर समन्वय के लिए नोडल एजेंसी बनाने का सुझाव दिया था।

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चीन बॉर्डर पर यह काम ITBP और सेना मिलकर संभालती है। ITBP और असम राइफल्स दोनों अमित शाह के गृह मंत्रालय के अधीन आते हैं।

लेह में ITBP और सेना हर हफ़्ते रॉ, IB और सैन्य खुफिया तंत्र के साथ बैठक करती है। क्या उन्हें चीन की घुसपैठ का पता नहीं चला होगा?

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लेह में तैनात 14 कॉर्प्स के GOC-C लेफ्ट. जन. हरिंदर सिंह को सुरक्षा अधिकारियों ने पहले ही बता दिया था कि जम्मू-कश्मीर का नक्शा बिगड़ने से बौखलाया चीन घुसपैठ की तैयारी में है।

क्या सेना की रिपोर्ट PMO और अमित शाह, डोवाल, CDC तक नहीं पहुंची होगी?

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लेकिन सब सियासत में व्यस्त थे। चुनाव जीतना, सरकार गिराना, देश में हिन्दू-मुस्लिम दंगे करवाना, सरकार की चमचागीरी में झूठे बयान देना-यह सब ज़िम्मेदार पदों पर काबिज जवाबदेह लोगों को शोभा नहीं देता।

भारत के इस फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद की धज्जियां उड़ चुकी हैं। इस तरह का राष्ट्रवाद उसी देश को शोभा देता है, जिसका अपना ठोस कैरेक्टर हो। भारत का चरित्र क्या है?

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असल में मोदी के भारत का आज एक ही चरित्र है- मूर्खता। चायवाला, ग़रीब, भिखारी, झोला वाला- जैसी उपमाओं से खुद को नवाज़कार मोदी ने सिर्फ प्रधानमंत्री ही नहीं, देश की छवि भी गिराई है।

गुजरात में बतौर सीएम मोदी के जिस विकास और प्रशासकीय कौशल का झूठा दम बीजेपी भरती थी, उसका भी भंडा फूट चुका है।

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कोरोना की महामारी से निपटने और देश की अर्थव्यवस्था को संभालने तक में मोदी सरकार की कुशलता दुनिया देख रही है।

लेकिन अभी देश जिस भयानक संकट में उलझा है, उससे निकलने के लिए देश को एक बार फिर एक ठोस राष्ट्रीय चरित्र की तरफ लौटना होगा। लेकिन यह झूठे, खोखले, दमनकारी, साम्प्रदायिक आदर्शों पर टिका नहीं हो सकता।

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इसके लिए भारत को अपनी 136 करोड़ अवाम की पूरी ताकत दिखानी होगी। सबको साथ लेकर आगे बढ़ना होगा और उन सब संस्थाओं, तंत्र, सेना और समूहों से आ रही सूचनाओं पर गंभीर होना होगा, जो सच दिखाते हों।

लेकिन बीजेपी और आरएसएस दोनों को सच सुनने, देखने, बर्दाश्त करने की आदत नहीं।

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लिहाज़ा देश एक कमज़ोर सरकार के कंधों पर है।

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