विजय शंकर सिंह-
आरएसएस प्रमुख, मोहन भागवत ने आईबी IB की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि बीजेपी ने यूपी चुनावों में खराब प्रदर्शन किया है, इसलिए शेष चरणों के लिए संघ कैडर को सक्रिय करने की ज़रूरत है।
इस आकलन के बाद संघ कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में फैल जाएं और हिंदुओं को बाहर आकर भाजपा को वोट करने के लिए प्रेरित करें।

अजय भट्टाचार्य-
उत्तर प्रदेश में भाजपा की दरकती जमीन को संभालने के लिए पार्टी के पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मोर्चा संभाल लिया है। जालौन में संघ और भाजपा के दिग्गजों के बीच हुए मंथन में सीटों की स्थिति से लेकर नेताओं की रैलियों तक बिंदुवार चर्चा की गई।
इस बैठक में संघ की तरफ से सह सर कार्यवाह अरुण कुमार और भाजपा के उप्र प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान समेत देश-प्रदेश के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए। कानपुर-बुंदेलखंड की 52 सीटों पर संघ की तरफ से किए गए जमीनी सर्वे में इन सीटों को ए, बी और सी श्रेणी में बांटा गया।
बैठक में जानकारी दी गई कि 40 सीटों ए श्रेणी में होने से भाजपा की स्थिति अच्छी है। जबकि, छह-छह सीटें बी और सी श्रेणी में आई हैं। संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि उप्र का विधानसभा चुनाव लोकसभा का सेमीफाइनल है। इस चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ-साथ 300 सीटें आनी जरूरी हैं। तभी 2024 में होने वाले आम चुनाव में 70 प्लस के लक्ष्य का सपना पूरा हो सकता है।
सत्येंद्र पीएस-
उत्तर प्रदेश में पहले और दूसरे चरण में भाजपा का बुरा हाल है। पहले चरण में उन किसान व उनके समर्थकों ने वोट किया, जो साल भर धरने पर थे। दूसरा चरण गन्ना बेल्ट था। उत्तर प्रदेश में गन्ने से कमाई वाले सबसे ज्यादा काश्तकार इसी इलाके में हैं।
इस बेल्ट में जयंत ने बहुत अच्छा किया, या कहें कि चौधरी अजित सिंह जितनी चौधराहट नहीं दिखा पाते थे, उससे ज्यादा जयंत को जनता ने किसान नेता माना है। जिस तरह जयंत को लाठियां पड़ीं, तेज बुखार और कोरोना में वे किसानों के बीच गए, इन दोनों इलाकों के किसानों ने याद रखा।
तीसरा चरण मुलायम सिंह के गढ़ में होने जा रहा है । इस इलाके में अखिलेश यादव की इज्जत दांव पर है कि कितना पाते हैं, कितना डुबाते हैं।
चौथा और पांचवा चरण विशुद्ध रूप से लावारिस राष्ट्रवादी है। इसमें कुछ इलाके को छोड़ दें तो कह सकते हैं कि बेनी वर्मा के टाइम समाजवादी असर था। अब जर्जरात राष्ट्रवाद है। इस क्षेत्र में सपा को सम्भालना है, जो ज्यादा खतरनाक है।
छठा व सातवां चरण निहायत लावारिस रहा है। इस इलाके में कोई इस काबिल नेता भी सपा बसपा ने नहीं पनपने दिया जिसे नेता कहा जाए। मुलायम सिंह के दौर में जनेश्वर मिश्र और मोहन सिंह थे। उसके बाद तो एकदम लावारिस हो गया।
छठा चरण 50:50 है। सातवां चरण कह सकते हैं कि योगी आदित्यनाथ के प्रभाव वाला है, लेकिन यह अखबारी बात है।
योगी जी पता नहीं क्यों अयोध्या से लड़ने से डर गए।