Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

मुस्लिमों से ज्यादा क्षत्रिय मुख्तार के कांट्रेक्टर हुआ करते थे!

Satyendra PS-

1990 से 2000 का दौर अध्ययन का विषय है। यूपी के कम से कम पूर्वांचल इलाके का युवा उस दौर में गुंडा बनना चाहता था। लगता था कि उसी से बड़ा होने, नामचीन होने, नेता बनने और पैसे कमाने की राह खुलेगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

गाजीपुर, आजमगढ़, बनारस, गोरखपुर में तमाम गुंडे उभरे। उन्होंने कत्लेआम मचाया। कारोबारियों पर हमले किए, बेरोजगार युवाओं को जोड़कर टीम बनाई जिसे पुलिस ने गिरोह का नाम दिया।

2000 आते आते ज्यादातर पुलिस एनकांउटर में मार दिए गए। कुछ गैंगवार में निपट गए। ऐसे लोगों में गोरखपुर में श्रीप्रकाश शुक्ल, आनन्द पांडेय, शेतुभान, श्रीपत ढाढ़ी, कुछ हद तक वीरेंद्र प्रताप शाही, सुरेंद्र सिंह, एक कोई राय और अन्य थे जिनका नाम याद नहीं आ रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इनमें से वही बच पाए,जिनका फेमिली बैकग्राउंड मजबूत था, उनकी जातियों का उन्हें समर्थन मिला और राजनीति में घुस गए। मुख्तार अंसारी भी उनमें से एक थे। अवधेश राय मर्डर केस में मुख्तार को उम्रकैद मिली है। कृष्णानन्द राय हत्याकांड में भी उनका नाम आता है। स्वाभाविक है कि मुख्तार कोई सन्त फकीर नहीं है, उसकी गुंडागर्दी के किस्से आजमगढ़ मऊ का हर आदमी जानता है। तमाम लोग लाभार्थी भी हैं, मुस्लिमो से ज्यादा क्षत्रिय मुख्तार के सब कांट्रेक्टर हुआ करते थे, जिनकी जंग ब्राह्मणों से होती थी।

भाजपा के शासन में मुस्लिम धर्म वाले आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग निपटाए जा रहे हैं। इसके अलावा आपराधिक प्रवृत्ति के यादवों का एनकाउंटर हो रहा है। जो भाजपा से जुड़े अपराधी हैं, उन्हें कोई दिक्कत नहीं है या अगर मुस्लिम यादव से इतर अपराधी है तो उसे भी कोई खास दिक्कत नहीं है, अगर वह भाजपा में शामिल हो जाए और अमूमन लोग शामिल भी हो जा रहे हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसमें एक खतरनाक स्थिति यह भी है कि अगर कोई डॉक्टर, ठेकेदार, बिजनेसमैन सपा को फंडिंग करता रहा है, मोटा चंदा देता रहा है और वह यादव है तो उसके खिलाफ आर्थिक अपराध के मामले दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जा रहा है। पता नहीं सपा के शीर्ष नेता को यह जानकारी है भी या नहीं।

खैर…

Advertisement. Scroll to continue reading.

कुछ विद्वानों ने इस विषय पर लिखा है कि ओबीसी आरक्षण होने के साथ अपर कास्ट सवर्ण युवाओं ने गुंडागर्दी की राह पकड़ी थी और कुछ ओबीसी युवाओं ने प्रतिकार में हथियार उठाए। हालांकि इस पर व्यापक शोध या विचार मैंने नहीं किया कि 1990 से 2000 के बीच कत्लोगारद इतना प्रतिष्ठित क्यों हुआ था?

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement