लखनऊ से संचालित रीजनल न्यूज चैनल ‘नेशनल वाईस’ देश की आवाज बनने की बात छोड़िए, खुद अपनी भी बोलती बंद कराने की राह पर है. इस चैनल के प्रबंधन ने बिना किसी पूर्व नोटिस के नब्बे से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. 31 जुलाई को चैनल के तानाशाह ग्रुप एडिटर रंजीत कुमार ने सभी कर्मियों की एक मीटिंग बुलाई. इस मीटिंग में सबको मौखिक रूप से कह दिया गया कि कल से आप आफिस मत आइएगा, इन्वेस्टर्स ने चैनल से हाथ खींच लिया है. यह सुनकर सभी मीडियाकर्मी हक्के बक्के रह गए.
ज्ञात हो कि इस चैनल में काम करने वाले कर्मचारियों को अभी तक जुलाई का वेतन भी नहीं दिया गया है. यह वेतन कब तक मिलेगा, इसके बारे में भी कुछ नहीं बताया गया है. टर्मिनेशन लेटर की जगह कंपनी रिलीविंग लेटर पकड़ा रही है. फिलहाल कुछ ऐसे कर्मचारी हैं जो मुफ्त में आफिस आकर काम कर रहे हैं. 31 अगस्त तक कंपनी का क्या होगा, इस विषय में कंपनी कुछ भी कहने से बच रही है.
मीडियाकर्मियों का कहना है कि चैनल प्रबंधन ने जिन-जिन को निकाला है, उन्हें लिखित में टर्मिनेशन लेटर दे और तीन तीन महीने की सेलरी दे. अगर ऐसा नहीं किया गया तो लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सड़क पर लड़ाई लड़ने के साथ-साथ लेबर कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी. 31 जुलाई से पांच दिन पहले अचानक बुलाकर एक अगस्त से आफिस न आने और नौकरी से निकाल दिए जाने की मौखिक बात कहना सरासर गुंडई है. एडवांस सेलरी की बात छोड़िए, जुलाई की बकाया सेलरी तक देने में प्रबंधन की नानी मर रही है. जब चैनल चलाने का बूता नहीं था तो फिर चैनल शुरू करने, चैनल खरीदने की जरूरत क्या थी.
नेशनल वाईस चैनल के नाराज कर्मियों ने भड़ास4मीडिया से बातचीत में कहा कि अगर शीघ्र ही जुलाई की सेलरी और टर्मिनेशन के एवज में तीन महीने की एडवांस सेलरी प्रबंधन ने नहीं दिया पहले चैनल के गेट पर, फिर चैनल के ग्रुप एडिटर से लेकर मालिकों तक के घर के सामने तंबू गड़ेगा और वहीं न्याय की लड़ाई लड़ी जाएगी. वहीं कुछ मीडियाकर्मी अपने हक के लिए लेबर कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक का रुख करने जा रहे हैं ताकि चैनल प्रबंधन इतनी आसानी से अपने कर्मियों का खून पीकर भाग न सके.
Comments on “‘नेशनल वाईस’ न्यूज चैनल की बोलती बंद, 90 से ज्यादा मीडियाकर्मियों को नौकरी से निकाला!”
बंद तो होना ही था, अय्याशी में मालिको का सारा पैसा डूब गया, मोटी सैलरी देकर चमचे रखे गए और जिन्होंने मेहनत से चैनल को कम समय में खड़ा किया, उनको निकाला गया, ov वैन तक में 75 हजार प्रति महीना कमीशन खाया गया।
चैनल बन्द होने के लिए सिर्फ एक ही व्यक्ति जिम्मेदार है। अपने लोगो को उपकृत करने, चापलूसों और चुगलखोरों के सामने नतमस्तक ये शख्स कभी हकीकत जानना ही नही चाहा। कामचोर गधों को मोटी सेलरी दी गयी और मेहनत से काम करने वाले कोल्हू के बैल की तरह काम करते रहे। एक से एक ऐसे लोग ऐसी अच्छी पोस्ट पर थे जिन्हें कोई लोकल चैनल अपने यहां आईडी कैमरा साफ करने की भी जिम्मेदारी ना दे।
सर हमे तो नेशनल वॉइस में एचआर ने 31 को रात में फोन पर बातया है कि कल से काम नही करना न कोई नोटिस न पहले से कोई जानकारी दिए हुए
2 साल से क्राइम रिपोर्टर के पद पर कार्यात हु इस चैनल में
9454045912 सर सहयोग करिए
इसमें मैनेजमेंट का भी कम दोष नहीं . अगर किसी को वरिष्ठ पद पर लाया जाये तो लाने के पहले उसका पिछला रिकार्ड जरूर देखना चाहिए. कई चैनल से भगाए जाने के बाद हरिकेस नामका एक बन्दर चुनाव के पहले चैनल में आया और अपने को ग्रुप एडिटर समझने लगा. उसने चार महीने में ही चैनल भट्टा बैठा दिया.
हरिकेश जी ने तो सबकी कुंडली खोली, असल हरामी वो है जो पर्यटन करने डेल्ही से हफ्ते में 4 दिन के लिए आता था अकेले उतनी सैलरी लेता था जितने में पूरा चैनल, कुछ मेढक छाप पत्रकारों से पीटीसी में भरतनाट्यम करवाता था , सिम्पली सियासत से trp बढ़वाता था, साइड बिज़नेस में मूसली पावर बिकवाता था।।। जिसके केबिन से बाहर तक तेल ही तेल बहता है।।
पिछला रिकॉर्ड तो उस पर्यटक कभी नही देखा गया जिसने पिछले चैनल से गमन किया और निकाला गया दुर्भाग्य को अभी हिंदी एम नाम से चल रहे इंस्टीट्यूट के छात्रों का है जो बिना किसी मान्यता के इंस्टीट्यूट में पढ़ रहे हैं सर्टिफिकेट कहां का होगा कहां चलेगा कोई नहीं जानता क्या पत्रकारिता सीखेंगे भगवान ही मालिक
पिछला रिकॉर्ड तो उस पर्यटक कभी नही देखा गया जिसने पिछले चैनल से गमन किया और निकाला गया दुर्भाग्य को अभी हिंदी एम नाम से चल रहे इंस्टीट्यूट के छात्रों का है जो बिना किसी मान्यता के इंस्टीट्यूट में पढ़ रहे हैं सर्टिफिकेट कहां का होगा कहां चलेगा कोई नहीं जानता क्या पत्रकारिता सीखेंगे भगवान ही मालिक
ye bilkul sach inke account chack krao pata chal jayega is ka to muje bhee pata tha