Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

Ndtv की खबर के बाद जेल में बंद तीन लोगों को मिली ज़मानत

दीपक असीम-

रवीश की विश्वसनीता पर अदालत की मुहर…. एनडीटीवी के रवीश कुमार और उनके लाखों करोड़ों चाहने वालों के लिए आज का दिन गर्व का दिन है। आज उन्हें मैगसेसे पुरस्कार से भी बड़ा पुरस्कार मिला है और वो है विश्वसनीयता का तमगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने आज एनडीटीवी के एक वीडियो के आधार पर दिल्ली दंगों के आरोप में एक साल से जेल में बंद तीन लोगों को ज़मानत दे दी है। एनडीटीवी के वीडियो में दिखाया गया था कि तीनों आरोपी घटना के वक्त वहां नहीं थे, जहां का दावा पुलिस कर रही है, बल्कि उस समय वे किसी और जगह पर मौजूद थे। दिल्ली हाईकोर्ट के इस निर्णय से यह दिलासा भी मिलता है कि लोकतंत्र अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और बहुत कुछ है जो सरकारी नियंत्रण से परे है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस दौर में न्यूज़ चैनलों की विश्वसनीयता और निष्पक्षता रसातल में है। रिपब्लिकन टीवी के अर्णब गोस्वामी सबसे बड़े खलनायक की तरह उभरे हैं जो सरकार से सांठ-गांठ भी रखते हैं और टीआरपी से छेड़छाड़ भी करते हैं और अपने यहां काम करने वालों को पैसा भी नहीं देते। शिखर के लिए घाटी का होना ज़रूरी है। ऊंचाई के अहसास के लिए नीचाई भी ज़रूरी है। घटियापन और नीचता के सबसे आखरी सोपान पर अर्णब गोस्वामी, जी टीवी के सुधीर चौधरी, एबीसी न्यूज़ की रुबिका लियाकत, अमीश देवगन, अंजना ओम कश्यप, दीपक चौरसिया ऐसे नाम हैं जो पत्रकारिता को कलंकित करने के लिए याद रखे जाएंगे। इनके घटियापन पर भी अदालत की मुहर लग चुकी है। कोरोना को लेकर इन्होंने जिस तरह की घृणित रिपोर्टिंग की थी, वो सदियों तक याद रखी जाएगी। अदालत ने बाद में कहा भी था कि अगर मीडिया मुसलमानों को कोरोना का जिम्मेदार नहीं बताता तो हम इस महामारी से और अच्छी तरह निपट सकते थे। बहरहाल एक तरफ वो मीडिया है जिसे गोदी मीडिया के नाम से देश पुकारता है और दूसरी तरफ रवीश कुमार हैं जिनकी विश्वसनीयता इतनी है कि कोर्ट उनके न्यूज क्लिप के आधार पर ज़मानत दे देती है।

होना तो यह चाहिए कि सभी ईमानदार हों। ईमानदारी कोई अतिरिक्त गुण नहीं पत्रकारिता की पहली शर्त है। मगर तमाम चैनल जैसे एक दूसरे से स्पर्धा करते हैं कि कौन ज्यादा चाटुकार और बेईमान है। उधर अदालतों का जो हाल है, वो भी कहने की ज़रूरत नहीं है। ऐसे में अगर कोई हाईकोर्ट दिल्ली दंगों के मामले में आरोपियों को राहत देती है, तो खुशी होती है। हालांकि इसी दिल्ली में कपिल मिश्रा की गिरफ्तारी का आर्डर करने वाले जज का रातोंरात तबादला भी हुआ है, मगर अब ऐसा लगता है कि सभी चीजें सरकार के नियंत्रण में नहीं रह सकतीं। कुछ लोग हैं जो इंकार में सिर हिला सकते हैं और सवाल पूछने के लिए हाथ खड़ा कर सकते हैं। रवीश कुमार पत्रकारिता के शिखर बन गए हैं। उन्हें एक बार फिर बधाई।

Advertisement. Scroll to continue reading.
2 Comments

2 Comments

  1. umendra singh

    February 22, 2021 at 3:47 pm

    Deepak Aseem itna tel laga diya ki khtmnho gaya

  2. Kunal kumar

    February 22, 2021 at 4:36 pm

    Hardik Shubhakanaye.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement