सौमित्र रॉय-
बेहद महत्वपूर्ण अपडेट- NDTV को अदाणी सेठ की जिस सहायक कंपनी विश्वप्रधान कमर्शियल (VCPL) ने खरीदा है, वह पहले अम्बानी के रिलायंस ग्रुप की कंपनी थी।



2009 में NDTV ने इसी विश्वप्रधान कंपनी से 350 करोड़ का लोन लिया था। लोन की शर्त यह थी कि न चुकाने पर 350 करोड़ और ब्याज़ मिलाकर इक्विटी में बदल जायेगा। यानी NDTV में हिस्सेदारी।
आज अदाणी समूह की प्रेस विज्ञप्ति पढ़ें तो पता चलता है कि विश्वप्रधान कंपनी अदाणी सेठ की है, रिलायंस की नहीं।
क्या NDTV 2009 में ही बिक चुका था?
कल प्रणव रॉय और राधिका रॉय की तरफ से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को लिखे स्पष्टीकरण में NDTV को बेचने की किसी बातचीत से इनकार किया गया है।
तो क्या अदाणी सेठ ने अम्बानी के साथ मिलकर NDTV पर कब्ज़ा किया है?
प्रकाश के रे-
एनडीटीवी का रिलीज़ पढ़ा, जो डॉ रॉय की होल्डिंग और विश्व प्रधान कंपनी द्वारा सूचना न देने के बारे में है. वह सब तकनीकी है और बड़े खेल का मामला है. हम जैसे छोटे लोगों के लिए इससे क्या संदेश मिलता है, इस पर सोचना चाहिए. एक तो यह कि क़र्ज़ लो, लौटाओ, दूसरा यह कि क़र्ज़ के लिए सबसे अहम चीज़ें गिरवी न रखो और तीसरे यह कि जब बेचना हो, तो चैन से बेच देना चाहिए. शिकायत के लिए गुंजाइश कम रहे. डॉ साहब को यह विचार करना चाहिए. वे तो बहुत बड़े आदमी हैं.
मुकुंद हरि-
एनडीटीवी ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को बताया है कि अदाणी एंटरप्राइजेज की सब्सिडियरी – एएमजी मीडिया नेटवर्क्स लिमिटेड ने विश्वप्रधान कॉमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड यानी वीसीपीएल के इस कदम के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं दी है।

एनडीटीवी की तरफ़ से एक्सचेंज को दी गयी सूचना के मुताबिक – एनडीटीवी के संस्थापक और कंपनी ये स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि वीसीपीएल ने कर्ज़ को इक्विटी में बदलने के अधिकार का इस्तेमाल हमसे बातचीत और हमारी सहमति के बिना लिया है। हमें इस क़दम की जानकारी आज ही मिली है।
हमने कल ही एक्सचेंज को बताया था कि संस्थापकों की हिस्सेदारी में कोई बदलाव नहीं है। नीचे एनडीटीवी की तरफ़ से बीएसई और एनएसई को कल भेजा गया पत्र।
कृष्णन अय्यर-
NDTV के बिकने में एक बड़ा ट्विस्ट आया है..अडानी ने NDTV को पिछले दरवाज़े से ख़रीदने की कोशिश की है..इसे कॉरपोरेट की भाषा मे “Hostile Takeover” या जबरदस्ती अधिग्रहण कहते है..
NDTV ने जो बयान जारी किया है उसे सहज भाषा मे बताता हूँ
- 2009, NDTV ने “X लिमिटेड” से लोन लिया..
- शर्त ये थी कि लोन नहीं चुकाने की सूरत में NDTV का लोन NDTV के शेयर में बदल जाएगा..पर लोन को शेयर में बदलने के लिए NDTV की इजाज़त ज़रूरी है..
- बहुत सामान्य सा एग्रीमेंट है जो कॉरपोरेट लोन में आम बात है..बैंक भी कॉरपोरेट को लोन देते वक़्त ऐसी शर्त रखते हैं
अडानी ने “X लिमिटेड” को ख़रीद लिया और NDTV को नोटिस जारी कर लोन को शेयर में बदल कर 29.18% का मालिक बन गया..
अडानी ने NDTV से कोई इजाज़त नही ली या लोन चुकाने का कोई मौक़ा नही दिया..ऐसा NDTV ने बोला है..
NDTV का मुआमला कॉरपोरेट में एक बेंचमार्क होगा..एक बार मरहूम “जूट किंग” अरुण बाजोरिया ने बॉम्बे डाइंग को टेकओवर करने की कोशिस की थी..सरकार ने रोक दिया था..
इस वक़्त पूरा सिस्टम अडानी के साथ है..NDTV को कुचलने की कवायद जारी है..अडानी के लिए सबकुछ सहज होगा पर बिना लड़ाई प्रणय रॉय साहब हार नही मानने वाले..हम सब NDTV के साथ है..
रविश कुमार ने अपनी प्रोफाइल में “बागों में बहार है” वाला एपिसोड पिन कर दिया है..याअनि अब और कोई सवाल नही..सवालों को सुपुर्दे ख़ाक कर दिया गया है..
अडानी ने NDTV का 29.18% हिस्सा ख़रीद लिया..मार्केट से 26% हिस्सा खरीदने के हक़ भी अडानी को हासिल हो गया..याअनि अडानी के पास NDTV का 54% मालिकाना होगा जो Absolute Control के लिए काफ़ी है..
अभी इतना डिटेल्स ही पब्लिक डोमेन में है..पर डील इससे कहीं ज़्यादा है जिसका डिटेल्स बाद में पता चलेगा..हमारे इन्वेस्टमेंट बैंकिंग सर्किल में इसकी कोई ख़बर नहीं थी..बहुत गोपनीय तरीक़े से सबकुछ हुआ..
मुझे NDTV के भविष्य की फ़िक्र नही है..मुझे रवीश कुमार के भविष्य के बारे में जानना है..रवीश कुमार का अगला क़दम बहुत महत्वपूर्ण है..रवीश कुमार एक “इंस्टीट्यूशन” है..
गोदिमीडिया की एक बड़ी टीम NDTV में घुसेगी..दीपक चौरसिया भी काफ़ी दिनों से बेकार है..अडानी वाले NDTV में और अम्बानी वाले चैनलों में “ज़हरख़ुरानी” का मुक़ाबला काफ़ी दिलचस्प रहेगा..
ख़ैर, अंतिम क़िला ढह गया..अब ख़ुद की लड़ाई सबको साथ मिल कर लड़नी है..पर जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है..रविश कुमार, आपको जय हिंद..