एक अटल सत्य है कि दैनिक जागरण बिना किसी लाभ के कोई काम नहीं करता. किसी के मरने या जीने पर भी यह समूह धन उगाही करने की कोशिश करता है. जागरण समूह आजकल बड़े जोरशोर से गंगा निर्मल अभियान चला रहा है. तमाम बड़े नेताओं-अधिकारियों को इस आयोजन से जोड़कर उन्हें ऑबलाइज भी कर रहा है. पर अब इसके पीछे की जो सच्चाई सामने आ रही है वह गंगा के प्रदूषण से भी ज्यादा प्रदूषित और खतरनाक है. साथ ही जागरण समूह की असली सोच का दस्तावेज भी.
इस धंधेबाज समूह ने अन्य अखबारों और समूहों को धंधेबाजी में मीलों पीछे छोड़ दिया है. गंगा निर्मल अभियान से जुड़ी जो खबरें छनकर आ रही हैं, वह अत्यंत घिनौनी व शर्मनाक हैं. अखबार प्रबंधन गंगा निर्मल अभियान के तहत जमकर धंधेबाजी कर रहा है. जागरण समूह के विश्वसनीय सूत्र बता रहे हैं कि दैनिक जागरण समूह अपने खूंटे से एक पैसे नहीं खर्च कर रहा है, बल्कि इसने खर्चे की सारी जिम्मेदारी जिला प्रतिनिधियों के सिर पर डाल दी है.
जिन जिलों से होकर यह गंगा निर्मल अभियान यात्रा गुजर रही हैं, उन जिलों के प्रभारियों तथा प्रतिनिधियों के सिर पर भीड़ जुटाने लेकर प्रायोजक ढूंढने तक की जिम्मेदारी सौंपी गई है. तोरण द्वार बनवाने से लेकर मोटरसाइकिल और चार पहिया वाहनों की भीड़ इकट्ठा करने की जिम्मेदारी जिला प्रभारी के कंधों पर लाद दिया गया है. कई जिला प्रभारी प्रबंधन के इस फरमान से परेशान हैं. वहीं कुछ इस मौके को अपनी कमाई के रूप में देखकर मेहनत भी कर रहे हैं. पत्रकार खबर लिखना छोड़कर प्रायोजकों को कवरेज का लालच देकर मनाने में जुटे हुए हैं.
हर वक्त नैतिकता की बात करने वाला जागरण समूह अब गंगा निर्मल अभियान को आधार बनाकर आर्थिक प्रदूषण फैलाने में जुटा हुआ है. अभियान चलाने के लिए अपने अंटी से पैसा देने की बजाय जागरण समूह दूसरों के कंधों पर बंदूक रखकर चला रहा है और वाहवाही लूट रहा है. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यह अभियान भी जागरण समूह ने सेवा भाव की वजह से नहीं चलाया होगा, बल्कि इसके पीछे भी देर सवेर आर्थिक कारण ही निकलेंगे.
खैर, अपने कर्मचारियों का खून पीने वाला तथा मजीठिया मांगने वालों को बाहर का रास्ता दिखाने वाला यह समूह अगर गंगा नदी के प्रदूषण को दूर करने के बजाय अपने भीतर मौजूद प्रदूषण-गंदगी और हरामखोरी को दूर कर ले तो देश की आधी समस्या स्वत: हल हो जाएगी. प्रत्येक शुभ-अशुभ मौकों पर विज्ञापन के सहारे लोगों का खून पीने वाला यह समूह अगर अपनी अंटी अपने कर्मचारियों के हित के लिए खोल दे तो गंगा निर्मल अभियान से ज्यादा पुण्य का भागी बन जाएगा. लेकिन खून चूसने वाले खटमल इतने दिलदार कहां होंगे.
भड़ास को भेजे गए पत्र पर आधारित।
Comments on “गंगा निर्मल अभियान में भी चल रहा जागरण समूह का धंधा!”
😆 …..ये प्रकाशन समूह और भी घिनौने खेलों में लिप्त है……