आलोक कुमार-
बिहार में बदलाव की आहट है। सियासी घटनाक्रम तेज है। सन ऑफ मल्लाह की पार्टी की ऐसी तैसी कर बीजेपी विधानसभा में सबसे बडी पार्टी की हैसियत में है। बीजेपी से बैर मोल लेने वाले मुकेश साहनी को मुख्यमंत्री ने सरकार से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
नए मुख्यमंत्री की ताजपोशी के लिए सेज सजाने के संकेत हैं। एक केंद्रीय मंत्री को इसके लिए तैयार किया गया है। कांटा से कांटा निकलने की तैयारी है। नए मुख्यमंत्री की जाति यादव बताई जा रही है। क्योंकि असली मुकाबला प्रतिपक्षी यादवों का प्रतिनिधि बताने वाली आरजेडी से है।
मेरे गेस का आधार बिहार के हालात है। तेजी से नरेटिव गढ़ी जा रही हैं। अचानक से कानून व्यवस्था ‘आल टाइम लो’ बताया जा रहा है। विश्वविद्यालयों के पिछड़ते शैक्षणिक सत्र का हवाला दिया जा रहा है। स्वास्थ की चरमराती व्यवस्था को उकेरा जा रहा है।
राज्य वापस जंगल राज की ओर मुड़ गया है, ऐसा बताया जा रहा है। इसबार नीतीश राज में कुछ भी अच्छा नहीं है। मुख्यमंत्री पर उनके ही क्षेत्र में हमला हो चुका है। सदन में विधानसभा अध्यक्ष के साथ फ्रस्टेटेड व्यवहार को दिखाया जा रहा है। लखनऊ के मुख्यमंत्री शपथग्रहण समारोह मंच पर नीतीश कुमार की लिपलिपी छवि को सोशल मीडिया पर खूब परोसा जा रहा है।
मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटने के साथ ही नीतीश कुमार को मुक्त छोड़ने के बजाय केंद्र की किसी प्रभावी कुर्सी से बांधने का है। संभव है कि नीतीश कुमार राज्यसभा के सभापति के तौर पर शपथ लेते नजर आएं। देश के उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होते हैं। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल अगस्त में पूरा हो रहा है। फिलहाल नीतीश कुमार की पार्टी के ही हरिवंश सिंह राज्यसभा के उपसभापति हैं। नीतीश कुमार सभापति बनते हैं तो पूर्व पत्रकार को हटा उपसभापति कोई नया बन सकता है।
लेकिन ज्ञानियों के लिए सवाल है। अगला राष्ट्रपति कौन होगा ? गेस कीजिए। तुक्का भिड़ाईये। क्या कोविंद जी का ही होगा एक और कार्यकाल? संसद का बजट सत्र 8 अप्रैल को अवसान है। राष्ट्रपति चुनाव जुलाई में है। वैसे पुरानी परंपरा के पक्षधर वैकैया नायडू एकबार फिर राष्ट्रपति पद की उम्मीद लगाए बैठे हैं।